नेशनल हेराल्ड केस में सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज कराया बयान
सुनवाई - 25 अगस्त को होगी अगली सुनवाई - मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी व अन्य हैं जमान
सुनवाई
- 25 अगस्त को होगी अगली सुनवाई
- मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी व अन्य हैं जमानत पर जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ चल रहे नेशनल हेराल्ड केस में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को अपना बयान दर्ज कराया। एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में स्वामी का बयान पूरा दर्ज नहीं हो सका। अगली सुनवाई अब 25 अगस्त को होगी।
सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया हुआ है। इस केस में फिलहाल सोनिया गांधी, राहुल गांधी व अन्य जमानत पर हैं। स्वामी का आरोप है कि नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) है। काग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ रुपये की देनदारी को अपने जिम्मे ले लिया था। इसका अर्थ है कि पार्टी ने कंपनी को 90 करोड़ का लोन दे दिया। इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी की 24 फीसदी हिस्सेदारी काग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नाडीज के पास है।
बाद में एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दे दिए गए और इसकेबदले यंग इंडियन को काग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद काग्रेस ने 90 करोड़ का लोन भी माफ कर दिया यानी यंग इंडियन को मुफ्त में टीएजेएल का स्वामित्व मिल गया।
स्वामी का आरोप है कि साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है। हेराल्ड हाउस को फिलहाल पासपोर्ट ऑफिस के लिए किराए पर दे दिया गया है। स्वामी का कहना है कि हेराल्ड हाउस को समाचार पत्र चलाने के लिए जमीन दी गई थी। इस लिहाज से उसे व्यावसायिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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स्वामी सोशल मीडिया पर टिप्पणी न करें : मोतीलाल वोरा
नेशनल हेराल्ड केस की सुनवाई के दौरान शनिवार को कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा ने कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर मांग की कि सुब्रमण्यम स्वामी पर रोक लगाई जाए कि वे इस केस से संबंधित कोई टिप्पणी सोशल मीडिया पर न करें। अर्जी में कहा गया कि लोकप्रियता हासिल करने के लिए स्वामी कई तरह के माध्यमों से केस से संबंधित टिप्पणी करते रहते हैं। इस पर रोक लगाई जाए। फिलहाल, कोर्ट ने अर्जी पर कोई फैसला नहीं दिया है।
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