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    नरेला व बवाना क्षेत्र में बढ़ता अपराध उड़ा रहा लोगों की नींद

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 31 Oct 2018 09:37 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : नरेला, कंझावला व बवाना इलाके में अक्सर होते गोलीकांडों ने

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    नरेला व बवाना क्षेत्र में बढ़ता अपराध उड़ा रहा लोगों की नींद

    जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : नरेला, कंझावला व बवाना इलाके में अक्सर होते गोलीकांडों ने गांवों के शांतिप्रिय लोगों की नींद उड़ा दी है। एक सप्ताह में ही तीन युवाओं व एक शिक्षिका की हत्या ने ग्रामीणों को झकझोर दिया है। बुजुर्ग यह सोचकर परेशान हैं कि जो नौजवान घर-परिवार व समाज की उन्नति के लिए काम में जुटा होता है वह नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है। शहरों, विशेषकर मलिन बस्तियों तक सीमित रहने वाले नशे के कारोबार ने अधिकतर गांवों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। विभिन्न किस्म के नशे का चलन बढ़ा है। कहीं खुलेआम तो कहीं चोरी छिपे नशीले पदार्थो की बिक्री हो रही है। नशे का आदी हो चुका युवा वर्ग अपनी तड़प मिटाने के लिए अपराध के रास्ते पर चल रहा है। दिल्ली देहात में लगातार बिगड़ रहे हालात का गांवों में जाकर जायजा लेने पर कई चौकाने वाले पहलू सामने आते हैं।

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    दिल्ली देहात विशेषकर नरेला एवं बवाना क्षेत्र के गांवों में छोटे-बड़े अनेकों अपराध घटित होने की घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। चोरी, राहजनी और हत्याओं की वारदात में लगातार बढ़ोतरी हुई है। इसकी एक वजह है देहात के कई इलाकों का झुग्गीकरण। दूसरा, पहले पुलिस के व उसके बाद होने वाले कानूनी झमेलों से बचने के लिए थोड़ा नुकसान उठाने वाले पीड़ित नागरिकों का थानों में रिपोर्ट दर्ज करवाने से कतराना। इस कारण अपराधी मनोवृत्ति के लोगों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।

    ऐसा देखा जा रहा है कि कई मामलों में पुलिस या तो चुप्पी साध लेती या फिर जाने-अनजाने गुंडागर्दी फैलाने वालों का ही पक्ष ले लेती है। कुछ मामलों में निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ ही मामला दर्ज कर दिया जाता है, जिससे शांतिप्रिय व्यक्तियों का पुलिस से भरोसा उठ जाता है और अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं।

    गांवों के बुजुर्ग बताते हैं कि पहले पुलिस के नाम से बदमाश घबराते थे, लेकिन कुछ सालों में खाकी का खौफ कम हुआ है। गांव वालों का मानना है कि यह सब उन पुलिसकर्मियों की वजह से होता है जिन्होंने कमाई के लिए गलत रास्ता चुना, उनकी वजह से उनके अन्य साथी पुलिस वाले पिसते हैं।

    रुक नहीं रही काले शीशे की गाड़ियां

    काले शीशे वाली कारों पर प्रतिबंध हैं लेकिन बवाना, नरेला, कंझावला आदि इलाकों में काले शीशे की कारें ही लोगों के बीच खौफ का कारण बनी हुई हैं। काले शीशे की कारों में बैठकर असामाजिक तत्व गैर-कानूनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। मोटर साइकिल सवार बदमाश भी महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों का बहुत बड़ा कारण इन इलाकों में बने हुए हैं। चेन झपटमारी से लेकर महिलाओं तक से छेड़छाड़ ज्यादातर मोटरसाइकिल सवार बदमाश ही करते हैं।

    लोगों की मांग

    -देहात में पुलिसकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए

    -काले शीशे वाली कारों और तेज रफ्तार मोटर साइकिल सवारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो

    -शादी समारोह में बंदूक चलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाकर उसके अमल पर नजर रखी जाए

    -प्रत्येक गांव में पंचायतों का आयोजन करके ग्रामीणों से सुझाव मांगें, इसमे पुलिस के बड़े अधिकारी आएं

    -लड़कियों के स्कूल के आसपास पीसीआर की संख्या बढ़ाई जाए, सिविल यूनीफार्म में पुलिस कर्मी तैनात हों

    -पथ प्रकाश की व्यवस्था सभी जगह सुदृढ़ की जाए

    -कानून की मदद करने वाले वालों को पुलिस अधिकारी सम्मान दें

    - किरायेदारों का सत्यापन मौके पर जाकर निष्पक्ष तरीके से हो