मिड-डे मील में बच्चों को दी जा रही एक्सपायर हो चुकी सूजी! SOP का नहीं हो रहा पालन; कई खामियां आईं सामने
दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में मिड-डे मिल में नियमों का उल्लंघन पाया गया है। एमसीडी ने एक स्वयंसेवी संस्था को एक्सपायरी डेट की सूजी का उपयोग करने और एसओपी का पालन न करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पहले भी ऐसी अनियमितताएं मिली थीं। एमसीडी अब ऐसी संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी कर रही है। अधिकारियों और प्रिंसिपलों की भूमिकाओं की भी जांच की जाएगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलने वाले मिड-डे मिल में लगातार नियमों का उल्लंघन हो रहा है। पूर्व में कमियां पाए जाने पर नोटिस दिए जाने के बाद अभी एक माह भी पूरा नहीं हुआ और निरीक्षण में दोबारा कमियां पाई गईं। इसको लेकर एमसीडी ने फिर से संस्था को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में जवाब मांगा है।
एमसीडी की ओर से किचन चलाने वाले स्वयंसेवी संस्था की ओर से एक्सपाइरी डेट की सूजी तक का उपयोग करने की बात कही जा रही है। इतना ही नहीं किचन संचालन के लिए जो एसओपी है उसका पालन तक नहीं हो रहा है। पूर्व में भी एमसीडी को नरेला जोन की एक किचन में ऐसी ही अनियमितताएं मिली थी। जिस पर एमसीडी ने नोटिस दिया था।
ऐसे में अब एमसीडी ऐसी संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट करने की भी तैयारी कर रही है ताकि इसमें सुधार हो सके। एमसीडी की शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष अमित खरखड़ी ने कहा कि जब वह सेंट्रल जोन की किचन में गए तो वहां पर तैनात कर्मियों को आयल कैचर, फ्लाइकैचर जैसी तकनीक लगी ही नहीं थी। जबकि यह लगाना जरूरी है ताकि किचन स्वच्छ रहे।
इतना ही नहीं सूजी का जिससे हलवा बनाकर बच्चों को खिलाया जाता है वह भी एक्सपाइरी डेट की मिली। उन्होंने कहा कि राशन में घपला करने के लिए संस्था ने किचन से आठ किलोमीटर दूर फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया का आउटलेट से राशन खरीदने के लिए कालकाजी में एक ही गोदाम का उपयोग किया जा रहा है। इसमें एमसीडी के सेंट्रल और साउथ जोन के किचन का राशन दिखाया जाता है।
ताकि कोई भी अधिकारी निरीक्षण करने आए तो उसको एक किचन के सामान को दिखाकर अपना रजिस्टर बनायाजा सके। खरखड़ी का कहना है कि दोनों किचन आउटलेट में वहां न तो गेहूं मिला और न ही चावल। उन्होंने कहा कि नियमानुसार किचन से एक किलोमीटर दूर ही यह गोदाम होना चाहिए।
एमसीडी के शिक्षा समिति के डिप्टी चेयरमैन ने कहा कि कुछ अधिकारी एनजीओ को बचाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि पुराने निरीक्षण की भी रिपोर्ट अब तक जमा नहीं की है। खरखड़ी ने कहा कि हर जोन का एक स्कूल प्रिंसीपल रोजाना किचन के कामकाज की जांच के लिए जिम्मेदार है। इस जांच प्रक्रिया में तीन से चार घंटे लगने की वजह से इसे प्रिंसिपल नजरअंदाज कर देते हैं।
इसकी वजह से यह समस्या है। उन्होंने कहा कि हम प्रिंसीपल की भूमिकाओं की भी जांच करेंगे और जो लोग जिम्मेदार पाएं जाएंगे उन पर भी कार्रवाई होगी। हम स्कूली बच्चों की सेहत से खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं। क्योंकि अभिभावक बड़े विश्वास से निगम के स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजते हैं।
उल्लेखनीय है कि एमसीडी के 1500 स्कूल हैं। इसमें साढ़े छह लाख के करीब विद्यार्थी पढ़ते हैं। एमसीडी ने मिड-डे मिल बनाने का कार्य स्वयंसेवी संस्थाओं को दे रखा है। निगम के 18 केंद्रीकृत किचन चलते हैं जिसमें 15 स्वयंसेवी संस्थाएं कार्य करती है।

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