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बुराड़ी फांसीकांडः ​​​​​हिटलर जैसा खौफ था ललित का... 'मरने' के लिए कहा तो मर गए

दिन में होने वाली तीसरी पूजा में परिवार के हर सदस्य का शामिल होना जरूरी था। पूजा में शामिल ना होने वाले सदस्यों को ललित सजा भी देता था।

By JP YadavEdited By: Thu, 12 Jul 2018 01:35 PM (IST)
बुराड़ी फांसीकांडः ​​​​​हिटलर जैसा खौफ था ललित का... 'मरने' के लिए कहा तो मर गए
बुराड़ी फांसीकांडः ​​​​​हिटलर जैसा खौफ था ललित का... 'मरने' के लिए कहा तो मर गए

नई दिल्ली (जेएनएन)। बुराड़ी के संत नगर में भाटिया परिवार के 11 में से 10 सदस्यों की मौत फंदे पर लटकने से ही हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इसकी पुष्टि हुई है। 10 लोगों के शव पहली मंजिल पर बरामदे की छत पर लगी लोहे की ग्रिल से लटके मिले थे। वहीं, बुजुर्ग महिला नारायणी देवी का शव बरामदे के कोने पर रोशनदान से लटका मिला था। वहीं, आत्महत्या के इस सनसनीखेज मामले में असली मास्टरमाइंड की भूमिका में ललित ही लग रहा है। बताया जाता है कि ललित घर में परिवार के सदस्यों के साथ हिटलर की तरह पेश आता था। अगर उसकी कही बात का उल्लंघन होता था, तो वह कड़ी से कड़ी सजा देता था। इतना ही नहीं, अगर ललित खुद गलती करता तो वह स्वयं को भी सजा देता था। 

ललित का था खौफ
जानकारी मिली है कि ललित जब परिजनों से कहता था कि उसके अंदर पिता की आत्मा प्रवेश कर गई है तो उसकी आवाज और शरीर कांपने लगते थे। यह देखकर घर के लोग न केवल डर जाते, बल्कि उसकी सारी बातें मानते थे। इस दौरान वह अपनी हर इच्छा मनवाता था। खौफ के चलते परिवार के सदस्य विचार शून्य हो जाते थे।  

ग्रुेजएट था ललित पर अपने हाथों लिखना समझता था शान के खिलाफ
ललित की परिजनों पर तानाशाही इस कदर हावी थी कि वह खुद ग्रेजुएट होने के बावजूद रजिस्टर में अनुष्ठान क्रियाओं और बातों को नहीं लिखता था। इसके लिए प्रियंका की मदद लेता था। वहीं किसी कारणवश प्रियंका घर में मौजूद नहीं होती थी तो ललित की पत्नी टीना रजिस्टर लिखने का काम करती थी। हालांकि पुलिस ने हैंड राइटिंग जांचने के लिए घर में मिले रजिस्टरों को फिलहाल टेस्ट के लिए भेजा हुआ है।

प्रियंका और टीना लिखती थीं रजिस्टर
उसकी भांजी प्रियंका ही रजिस्टर में वो सबकुछ लिखती थी, जो ललिल बोलता था। ललित अपने पिता की आवाज में पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान, परिवार के लोगों की दिनचर्या और सजा संबंधी निर्देश देता था। हैरानी की बात है कि बातें नहीं मानने की स्थिति में वह परिवार के सदस्यों के लिए सजा तय करता था। सजा पाने वालों में उसकी बुजुर्ग मां भी शामिल होती थीं। ललित ने जो बोला वह लिखना ही होता था। न सुनने पर वह गुस्सा हो जाता था।

हिटलरशाही ने ली 11 लोगों की जान
हिटलरशाही के चलते ही ललित ने तरक्की के बहाने पूजा-अनुष्ठान करने की बात की थी। इसके लिए पूरे परिवार को राजी किया गया। ललित ने दावा किया कि फंदे पर लटकते समय ऐन मौके पर उसके पिता आकर उन्हें बचा लेंगे, जिन्हें वह सपने और कुछ क्रियाओं के दौरान देखता था। घर से मिले रजिस्टर,डायरी और नोट्स से पता चला है कि भाटिया परिवार को पिछले 11 सालों के दौरान मिले आनंद व खुशी के लिए शुक्रिया अदा करने के लिए परिवार ने अनुष्ठान किया था।

दिन में तीन बार होती थी घर में पूजा
घर में मिले हर रजिस्टर के अंदर धार्मिक बातें लिखी हुई हैं। रजिस्टर में लिखी बातों से पुलिस को पता चला है कि भाटिया परिवार के लोग दिन में तीन बार पूजा के लिए बैठते थे। परिवार के लोग हनुमान को बहुत मानते थे और पूजा के दौरान हनुमान चालीसा का पाठ भी होता था। इसमें से पहली पूजा सुबह 8 बजे, दूसरी पूजा दोपहर 12 बजे और तीसरी पूजा रात के दस बजे होती थी। तीसरी पूजा में परिवार के हर सदस्य का शामिल होना जरूरी था। पूजा में शामिल ना होने वाले सदस्यों को ललित सजा भी देता था।

मांगलिक प्रियंका के लिए परेशान था परिवार
रजिस्टर में लिखे नोट्स और डायरी से यह भी पता चला है कि परिवार की बेटी प्रियंका मांगलिक थी, जिससे उसकी शादी नहीं हो रही थी। वह 32 साल की थी और बढ़ती उम्र परिवार के लिए परेशानी का सबब बन रही थी, हालांकि उसकी हाल में ही सगाई हुई थी और वह बेहद खुश थी।

इस तरह गई सबकी जान
पुलिस आशंका जता रही है कि लगातार परिवार के साथ सब कुछ ठीकठाक होने के कारण परिवार के बाकी सदस्यों ने भी ललित पर विश्वास करना शुरू कर दिया। परिवार के सभी सदस्यों ने ऐसा ही करना शुरू कर दिया जैसा ललित कहता था। यहां तक पूजा करने के लिए भी सभी तैयार हो गए। पूजा के लिए बाजार से स्टूल, तार, रोटी लाए गए। फंदा लगाने से पूर्व नारायण देवी ने सभी को रोटी खिलाई। पुलिस आशंका जता रही है कि सभी ने एक-दूसरे के हाथ बंधे। ललित, भूपी और टीना ने फंदे लगाए। बाद में ललित व टीना ने भूपी को फंदा लगा दिया। ललित के साथ पूरे परिवार को यकीन था कि उनके पिता ऐन मौके पर पहुंचकर उन्हें बचा लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सभी की मौत हो गई।

संयुक्त आयुक्त क्राइम ब्रांच आलोक कुमार के मुताबिक, बुधवार दोपहर मेडिकल बोर्ड ने क्राइम ब्रांच को पोस्टमार्टम रिपोर्ट सौंपी। इसमें साफ कहा गया है कि सभी दस लोग स्वयं फंदे पर लटके थे न कि उन्हें गला घोंटकर मारने या जहर देकर मारने के बाद लटकाया गया था। यह भयावह हादसा था। माना जा रहा है कि ललित के कहने पर ही सभी 10 सदस्य फंदे पर लटके थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, दस लोगों में से तीन के हाथ में खरोंच के निशान मिले थे। पुलिस का मानना है कि छोटी सी जगह में नौ लोग फंदे पर लटके थे और पास में कूलर रखा था। शायद छटपटाने से उनके शरीर एक-दूसरे से या रेलिंग व कूलर से टकराए हों, जिससे शरीर में खरोंच आ गई। मामले में मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम की अंतिम रिपोर्ट सौंपी जाएगी। वहीं, अभी ललित की बुजुर्ग मां नारायण देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है। उनका शव कमरे में अलमारी के पास जमीन पर पड़ा मिला था। उनके गले में बेल्ट लगी थी। रिपोर्ट नहीं आने का कारण यह है कि उनके शव का पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल बोर्ड के डॉक्टर उनकी मौत के तरीके को लेकर एकमत नहीं हैं। यही वजह है कि मंगलवार दोपहर बोर्ड में शामिल डॉक्टरों ने ललित के घर जाकर उस स्थान का निरीक्षण किया, जहां नारायण देवी का शव पड़ा था।

घटना के दस दिन बाद जिन 10 लोगों के शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई है, उनमें नारायण देवी की बेटी प्रतिभा (57) व दो बेटे भुवनेश (50) व ललित भाटिया (45), भुवनेश की पत्नी सविता (48), भुवनेश के बच्चे मीनू (23), निधि (25) व ध्रुव (15), ललित की पत्नी टीना (42) व उनका बेटा शिवम (15), प्रतिभा की बेटी प्रियंका (33) शामिल हैं। प्रियंका की 17 जून को सगाई हुई थी। नवंबर में उसकी शादी होनी थी।

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