फेफड़ों के कैसर में शुरुआती पहचान, बचाव के लिए लक्षणों के प्रति जागरूकता जरूरी
रोहिणी के राजीव गांधी कैंसर संस्थान में लंग कैंसर वॉरियर्स मीट का आयोजन हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती पहचान, उपचार और टीमवर्क पर जोर दिया। उन्होंने वायु प्रदूषण और धूम्रपान के बढ़ते खतरे के बीच जागरूकता और समय पर निदान को महत्वपूर्ण बताया। डॉक्टरों ने आधुनिक उपचार तकनीकों और व्यक्तिगत विकिरण चिकित्सा पर भी चर्चा की।
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लंग कैंसर से बचाव के लिए जागरुकता आवश्यक।
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली। रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र की ओर से इंद्रप्रस्थ हाल में आयोजित लंग कैंसर वारियर्स मीट में विशेषज्ञों ने फेफड़ों के कैंसर के डायग्नोसिस के नए तरीकों, मौजूदा उपचार प्रोटोकाल और टीमवर्क की भूमिका पर चर्चा हुई।
विशेषज्ञों ने यह बताया कि शुरुआती पहचान, लक्षणों के प्रति जागरूकता और समय पर उपचार भारत जैसे देश में अत्यंत जरूरी है। जहां वायु प्रदूषण और धूम्रपान मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
राजीव गांधी कैंसर संस्थान के मेडिकल आन्कोलाजी के सह निदेशक डॉ. उल्लास बतरा के कहा कि फेफड़ों का कैंसर न सिर्फ़ उपचार योग्य है बल्कि सही मार्गदर्शन और समर्थन के साथ इसे सहज रूप से संभाला जा सकता है।
डॉ. मानसी शर्मा, डॉ. एलएम डारलोंग और डॉ. कुंदन चुफाल ने आधुनिक उपचार तकनीकों, सर्जिकल इनोवेशन और व्यक्तिगत रेडिएशन थेरेपी पर चर्चा की। कार्यक्रम में मेडिकल आन्कोलॉजी, थोरासिक सर्जरी और रेडिएशन आन्कोलाजी विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञों ने चर्चाएँ कीं। कार्यक्रम में सर्वाइवर्स व केयरगिवर्स शामिल हुए।

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