जानिए किस कारण से मानसून के दौरान दिल्ली में जलभराव की स्थिति हो जाती है और खराब
यमुना में बढ़ा जलस्तर भी मानसून के दौरान दिल्ली में जलभराव की समस्या को बढ़ा रहा है। यमुना का स्तर 205 मीटर से ऊपर चला जाता है तो शहर में जलभराव की स्थिति खराब हो जाती है। यमुना में गिरने वाले प्रमुख नालों का बहाव बंद कर दिया जाता है।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यमुना में बढ़ा जलस्तर भी मानसून के दौरान दिल्ली में जलभराव की समस्या को बढ़ा रहा है। जब यमुना का स्तर 205 मीटर से ऊपर चला जाता है तो शहर में जलभराव की स्थिति और खराब हो जाती है। कारण यह है कि यमुना में गिरने वाले प्रमुख नालों का बहाव बंद कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यमुना की बाढ़ का पानी नालों के रास्ते उल्टे शहर में न आ जाए। कुछ वर्ष पूर्व जब यमुना में काफी बाढ़ आई थी तो उस समय बाढ़ का पानी बडे़ नालों के माध्यम से शहर में घुस गया था। उसके बाद सभी प्रमुख नालों पर गेट लगाए हैं। जो यमुना में बाढ़ आने पर बंद कर दिए जाते हैं।
गत दिनों भी जब यमुना का पानी खतरे के निशान से ऊपर था तो शहर में झमाझम बारिश हो रही थी। ऐसे में बारापुला सहित अन्य नालों का गेट बंद कर दिया। इससे यमुना के किनारे के इलाकों में जलभराव को लेकर समस्या देखी गई। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छोटी कालोनियों में नालों का प्रबंधन नगर निगमों द्वारा किया जाता है, जबकि पीडब्ल्यूडी द्वारा चौड़ी सड़कों के साथ नालों का प्रबंधन करता है। नगर निगमों के नाले कालोनियों से पीडब्ल्यूडी के नालों में पानी ले जाते हैं। पीडब्ल्यूडी के नाले इस पानी को बारापुला और नजफगढ़ जैसे बड़े नालों में ले जाते हैं जो यमुना में गिरते हैं।
बता दें कि नजफगढ़ ड्रेन, दिल्ली गेट, मोरी गेट, शाहदरा और जहांगीरपुरी नालों सहित 17 और नालों से गंदा पानी यमुना में गिरता है। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से 1.2 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण और हाल ही में हुई भारी बारिश के दौरान यमुना का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया था। यमुना का चेतावनी का स्तर 204.5 मीटर माना गया है, जबकि खतरे का स्तर 205.3 मीटर है। दिल्ली में 10 एजेंसियां 2846 से अधिक उन नालों का प्रबंधन कर रही हैं जो चार फीट से अधिक चौड़े हैं। इनकी लंबाई 3394 किमी है।
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