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    जानिए टाइफाइड की दवा को कैसे बना दिया जा रहा था रेमडेसिविर, ऐसी है नक्कालों की पूरी कहानी

    जिन लोगों के फेफड़ें कोरोना वायरस से संक्रमित हो जा रहे हैं डॉक्टर उनको रेमडेसिविर इंजेक्शन देकर उस संक्रमण को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। आजकल इस दवा की बहुत मांग बढ़ गई है। मौके का फायदा उठाने के लिए जालसाजों ने एक नई तरकीब निकाली।

    By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Tue, 04 May 2021 06:02 PM (IST)
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    ये भी पता चला कि आरोपित अब तक काफी संख्या में इस नकली रेमडेसिविर को बेच भी चुके हैं।

    नई दिल्ली, [राकेश कुमार सिंह]। देश के तमाम राज्यों में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में रोजाना इजाफा हो रहा है। जिन लोगों के फेफड़ें कोरोना वायरस से संक्रमित हो जा रहे हैं डॉक्टर उनको रेमडेसिविर इंजेक्शन देकर उस संक्रमण को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। आजकल इस दवा की बहुत मांग बढ़ गई है। प्राइवेट दुकानों पर ये उपलब्ध नहीं है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए जालसाजों ने एक नई तरकीब निकाल ली। कुछ लोगों ने पुलिस में शिकायत की, पुलिस ने छानबीन शुरू की तो इस पूरे मामले की परत दर परत खुलती चली गई। पकड़े गए लोगों से पूछताछ के दौरान पुलिस के सामने जो बातें आईं वो अपने आप में चौंकाने वाली थीं। ये भी पता चला कि आरोपित अब तक काफी संख्या में इस नकली रेमडेसिविर को बेच भी चुके हैं और कुछ लोगों ने अधिक मात्रा में इसे खरीद कर अपने पास स्टोर भी कर लिया है।

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    क्राइम ब्रांच को मिली सूचना

    नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करने वाले गिरोह के बारे में पुलिस को जानकारी मिली थी। उसके बाद पुलिस ने जाल बिछाया और सात आरोपितों को गिरफ्तार किया। इनसे पूछताछ में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को कई सनसनीखेज जानकारी मिली। पुलिस के मुताबिक आरोपित उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के विभिन्न शहरों में करीब पांच हजार नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच चुके हैं।

    20 से 40 हजार रखी कीमत

    आरोपित 20 से 40 हजार रुपये में एक नकली इंजेक्शन का सौदा करते थे। क्राइम ब्रांच ने सातों से पूछताछ के बाद तीन और आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान रविन्द्र त्यागी, श्रवण कुमार और रीना कुमारी के रूप में हुई है। रविन्द्र त्यागी कानपुर का रहने वाला है। गिरोह के मास्टरमाइंड आदित्य गौतम ने रविन्द्र को करीब 600 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे थे। इनमें से काफी इंजेक्शन उसने श्रवण कुमार और रीना के जरिये बिकवाए थे।

    ग्राफिक्स डिजाइनर ने तैयार किया नकली स्टीकर

    श्रवण मूलरूप से रुड़की का रहने वाला है और पेशे से ग्राफिक्स डिजाइनर है। श्रवण ने एक अन्य आरोपित के जरिये रेमडेसिविर का नकली स्टीकर रुड़की में ही तैयार करवाया था। वहीं, रीना दिल्ली के उत्तम नगर की रहने वाली है। पुलिस ने बताया कि तीनों ने पिछले साल ही मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर और अन्य मेडिकल उपकरण बेचने का काम शुरू किया था। जल्द अधिक पैसा कमाने के लालच में इन्होंने मेडिकल उपकरणों और रेमडेसिविर जैसी जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी शुरू कर दी थी।

    कोटद्वार से फार्मा कंपनी को लीज पर लिया

    सभी ने मिलकर कोटद्वार में एक फार्मा कंपनी लीज पर ली थी। पुलिस ने बताया कि आरोपितों ने टाइफाइड में इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक टेकोसेफ इंजेक्शन को बड़ी संख्या में खरीद लिया था।

    ऐसे करते नकली रेमडेसिविर तैयार

    इन लोगों ने पुलिस को बताया कि टाइफाइड में इस्तेमाल किया जाने वाला टेकोसेफ इंजेक्शन (Antibiotic Tecocef Injection) की शीशी रेमडेसिविर की शीशी से काफी मिलती जुलती है। ये लोग टाइफाड की दवा लेते और उस पर अपने द्वारा तैयार किए गए नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के स्टीकर को चिपका देते थे। बस रेमडेसिविर तैयार हो जाती थी। उसके बाद इस शीशी को बढ़े हुए दाम पर बेच दिया जाता था।

    मुनाफे की चाहत में लोगों ने किया स्टोर

    जांच में यह भी पता चला है कि गिरोह के सदस्यों से कई लोगों ने नकली रेमडेसिविर खरीदकर उसे स्टोर कर लिया है। क्राइम ब्रांच ने गत 25 अप्रैल को महिला समेत सात आरोपितों को नकली रेमडेसिविर बेचने के आरोप में दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया था। इनके पास से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की 198 वाइल, एक पैकेजिंग मशीन, एक बैच कोडिंग मशीन, इस्तेमाल किए हुए रेमडेसिविर के 3000 खाली पैकेट और एजिथ्रो मायसीन की सामग्री व एक लैपटॉप बरामद हुआ था।