वकील की मौत की अफवाह से बिगड़े थे हालात, बार काउंसिल देगा घायलों को आर्थिक मदद
वकीलों और पुलिस के बीच हुए विवाद में गोली लगने के बाद अधिवक्ता की मौत की अफवाह फैल गई। इसकी वजह से हालात सबसे ज्यादा बेकाबू हो गए।
नई दिल्ली [संतोष शर्मा]। तीस हजारी कोर्ट परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच हुए विवाद में गोली लगने के बाद अधिवक्ता की मौत की अफवाह फैल गई। इसकी वजह से हालात सबसे ज्यादा बेकाबू हो गए। इसके बाद हमलावर हुए अधिवक्ताओं ने वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की घटना को अंजाम दिया।
उधर, दिल्ली बार काउंसिल ने गंभीर रुप से घायल दो वकीलों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। जबकि घायल वकीलों को 50-50 हजार आर्थिक मदद देने का एलान किया गया है।
दरअसल, पुलिस अधिकारियों का आरोप है कि मामूली विवाद के बाद बड़ी संख्या में पहुंचे वकील कैदियों को भगाने का प्रयास कर रहे थे। घटना के समय लॉकअप में सौ से अधिक कैदी मौजूद थे। ऐसे में यदि वकील लॉकअप का ताला तोड़ने में सफल होते तो न सिर्फ पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठते बल्कि कई पुलिस कर्मियों को नौकरी से भी हाथ धोना पड़ता।
उत्तरी जिला के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त हरेंद्र सिंह ने बताया वकील जब लॉकअप तोड़ने में सफल नहीं हुए तो उन्होंने सामने खड़ी मोटरसाइकिलों में आग लगा दी। इससे अंदर मौजूद पुलिसकर्मियों और कैदियों की धुएं में दम घुटने लगी। लिहाजा पुलिसकर्मी ने वकीलों को डराने के मकसद से हवाई में गोली चलाई थी। लेकिन वह गोली किसी चीज से टकराकर लॉकअप रूम के समीप मौजूद वकील रंजीत सिंह मलिक को लग गई।
इधर तीस हजारी कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव डीडी शर्मा का कहना है कि पुलिसकर्मी लॉकअप रूम के अंदर ले जाकर वकीलों की बुरी तरह पिटाई कर रहे थे। साथी वकीलों ने जब इसका विरोध किया तो पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इस पर वकीलों ने भी विरोध दर्ज कराया। इधर बवाल बढ़ने की सूचना पर मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया और फिर लॉकअप में मौजूद कैदियों को पुलिस ने सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इसके बाद शाम करीब छह बजे हंगामा थोड़ा शांत हुआ तो कैदियों को तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
वहीं प्रत्यक्षदर्शी राहुल सिंह ने बताया कि लॉकअप के बाहर हुए मामूली झगड़े के बाद पुलिसकर्मियों ने वकीलों को समझाने का प्रयास किया तो वह अभद्रता पर उतर आए और पुलिसकर्मियों से हाथापाई शुरू कर दी। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने चार गोलियां चलाई थीं। इसके बाद हंगामा और बढ़ गया। फिर वकीलों के हमले के बाद पुलिस ने लाठी चार्ज किया।
असम से एक केस के लिए कोर्ट पहुंची वकील खुशबू वर्मा ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की आड़ में महिलाओं को भी अपना निशाना बनाया। पुलिस की लाठी चार्ज में उन्हें भी चोट आई है। अतिरिक्त पुलिस बल द्वारा शाम पांच बजे वकीलों को कोर्ट परिसर से खदेड़े जाने तक वहां अफरा-तफरी का माहौल था। इस बीच कई वकील और जज अपना कार्यालय बंद करके जा चुके थे।
इधर कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव डीडी शर्मा ने कहा कि पुलिसकर्मियों की मनमानी की वजह से हालात बिगड़े। इसलिए गोली मारने वाले आरोपित पुलिस कर्मी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे बर्खास्त किया जाए।
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