चलो गांव की ओर : कांगनहेड़ी (मटियाला विधानसभा)
आधा अधूरा ही हो पाया विकास गांव की फिरनी दुरुस्त करने के साथ गांव को जोड़ने वाली मुख्य स
आधा अधूरा ही हो पाया विकास गांव की फिरनी दुरुस्त करने के साथ गांव को जोड़ने वाली मुख्य सड़क का नए सिरे से निर्माण किया जाना तय था। हालांकि, गांव की फिरनी की सड़क का निर्माण कार्य समय पर जरूर शुरू हुआ था, लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ। गांव की फिरनी की एक चौथाई सड़क अभी भी दुरुस्त नहीं हुई। मुख्य सड़क पर भी जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं अभी तक इस सड़क की मरम्मत नहीं की गई है। नए सिरे से निर्माण की दूर-दूर तक कोई उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही है। उम्मीद तो यह भी थी और स्थानीय विधायक ने आश्वस्त भी किया था कि जोहड़ों को दुरुस्त कराया जाएगा। हालांकि, गांव के दो में से एक जोहड़ को दुरुस्त करने के नाम पर चारदीवारी कर छोड़ दी गई है, लेकिन एक जोहड़ के ऊपर नगर निगम ने डलावघर बना दिया है। निगमकर्मी डलावघर में कूड़ा डालने के बजाय जोहड़ के किनारे डालते जा रहे हैं और इस तरह से जोहड़ों को भरने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
ऐतिहासिक विशेषता : 700 वर्ष पूर्व कांगनहेड़ी गांव अस्तित्व में आया था। यहां के मूल निवासी यादव समुदाय के हैं जो हरियाणा में महेंद्रगढ़ जिले के गांव कनीना से आकर बसे थे। यादवों के गोत्र कनिनवास पर इस गांव का नाम कांगनहेड़ी पड़ा। गांव में ब्राह्मण भी अच्छी संख्या में रह रहे हैं। इस गांव में भगवान शिव का पुराना मंदिर भी है। जो 60 वर्ष पुराना है। ग्रामीणों ने ही इस मंदिर का निर्माण कराया था। गांव में जांगिड़, भारद्वाज, वशिष्ठ ब्राहम्ण हैं, लेकिन मंदिर के लिए गांव के लोग मथुरा से पुजारी लाए हैं। यहां के पुजारी 14 वर्ष की उम्र में गांव में आए थे। अब यहीं के होकर रह गए हैं। मटियाला विधानसभा क्षेत्र का यह गांव एयरपोर्ट से आठ किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। इस गांव के रास्ते लगभग 18 गांवों के लोग होकर निकलते हैं। गांव का रास्ता छावला से होकर कांगनहेड़ी, वडुसराय व नानकहेड़ी होते हुए गुरुग्राम की ओर जाता है। दो वर्ष पहले संघ लोकसेवा आयोग के शीर्ष चौथे स्थान पर रहीं आइएएस वंदना राव इसी गांव से हैं। गांव में पशु चिकित्सालय और गोबर गैस प्लांट भी लगा। यहां पर दो-दो मंदिर हैं। दौलतपुर चौक पर गांव के पूज्यनीय दादा सैय्यद का खेड़ा है जहां पर गांव से भी ज्यादा पुराना एक पीपल का पेड़ मौजूद है। नानक हेड़ी और छावला इसी गांव के समीप बसे हुए हैं।
गांव का नाम : कांगनहेड़ी
आबादी : 6000
मतदाता : 3800
साक्षरता : 90 फीसद
गांव का गंदा पानी गिरता है जोहड़ में :
दो साल पहले इलाके के जोहड़ों को दुरुस्त करने की कवायद शुरू हुई थी। योजना के तहत गांव के गंदा पानी को इन जोहड़ों में गिरने से रोकना था। इसके साथ ही जोहड़ों की साफ सफाई कर बारिश का पानी जमा करने की व्यवस्था की जानी तय थी। तय यह भी था कि इन जोहड़ों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा, लेकिन इस दिशा में कोई प्रयास अभी तक नहीं हुए। जोहड़ों के किनारे महज चारदीवारी कर छोड़ दिया गया। दो साल पहले तक गांव में डलावघर भी नहीं था निगम ने डलावघर इसी एक जोहड़ के किनारे बना दिया। हालत यह है कि गांव के लोग कूड़ा फेंकने के लिए डलावघर पर नहीं जाते। निगम के सफाईकर्मी भी कूड़ा जोहड़ के किनारे डालकर छोड़ देते हैं। इसी जोहड़ के किनारे मंदिर है यहां पर मंदिर के आसपास जोहड़ के हिस्से को कूड़ा डालकर भरा जा रहा है। अतिक्रमण की कवायद भी शुरू हो गई है। इसी तरह का हाल गांव के दूसरे जोहड़ का है। गांव का गंदा पानी नाले से बाहर नहीं निकल पा रहा है इसलिए ग्रामीण गांव के नाले को बीच में तोड़कर गंदा पानी जोहड़ में बहा रहे हैं। इससे दिनोंदिन स्थिति बिगड़ रही है।
मुख्य सड़क की हालत बिगड़ी
गांव की मुख्य सड़क छावला गांव से जुड़ती है। गांव के लोगों के नजफगढ़ व बिजवासन आने जाने का यही मुख्य मार्ग है। इसी रास्ते से आसपास के 18 गांव के लोग भी निकलते हैं। गांव की यह सड़क बीस साल पहले बनी थी इसके बाद मरम्मत कर काम चलाया जा रहा है। शुरुआत में सड़क की चौड़ाई 41 फुट थी अब इसके किनारे पर अधिकांश लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। इसलिए यह सड़क महज 25 फुट ही बची है। सड़क के बीच-बीच में पानी की पाइप लाइन डाली गई है। जहां-जहां से लाइन जा रही है वहां वहां की सड़क पुरी तरह टूट चुकी है। इसी तरह के हालत प्रत्येक दो सौ मीटर पर हैं। सड़क पर रोड़ी व पत्थर निकलने की वजह से गांव से शहर की ओर साइकिल से आने जाने वालों को परेशानी तो होती ही है। सड़क की खराब हालत को देखते हुए दिल्ली परिवहन निगम ने अभी तक एक ही बस चलाई। दूसरी बस चलाने की योजना तक नहीं बनाई गई। सड़क के किनारे का हिस्सा भी मरम्मत के अभाव में धंसता जा रहा है। इससे भी दिनोंदिन स्थिति बिगड़ रही है।
जर्जर हालत में है बस स्टैंड
गांव में दो बस स्टैंड हैं जहां से बसें निकलती है। एक गांव के बीच में हैं जहां से बसें वडुसराय व नानकहेड़ी तक जाती हैं। दूसरा बस स्टैंड मुख्य सड़क पर है जो छावला की ओर जाती है। गांव में बस स्टैंड के नाम पर एक बोर्ड लगा है वह भी पुराना हो चुका है। मुख्य सड़क पर वर्षो पहले बस स्टैंड बना था उसकी छत गायब हो चुकी है। इसके दूसरी तरफ यात्रियों को खड़ा होने के लिए जगह नहीं है। हालांकि, दिल्ली परिवहन विभाग नजफगढ़ विधानसभा क्षेत्र में विधायक फंड से छह बस स्टैंड बना रहा है। गांवों में इसी तरह की बस स्टैंड की जरूरत है, लेकिन तीन साल के दौरान न तो बसें बढ़ाई गई और न बस स्टैंड बनाए गए। ऐसे में विशेषकर, बच्चों व बुजुर्गों के साथ महिलाओं को पेड़ की ओट में खड़ा होकर वाहन का इंतजार करना पड़ता है। गांव में बसों की कमी की वजह से यहां पर ग्रामीण सेवा जैसे छोटे वाहन चलाए जाते हैं। इसमें भी बैठने की जगह नहीं होती लोगों को ठूंस ठूंस कर बैठाया जाता है।
गांव में दो-दो कुएं थे। दोनों कुएं ही जल के स्त्रोत थे। इन कुओं से गांव के लोग पानी भरा करते थे। एक कुएं का पानी दूषित हो गया, क्योंकि इसके पास के जोहड़ में गंदा पानी जमा होने लगा था। दूसरे कुएं पर निगम ने हैंड पंप लगाया था, लेकिन वह कुआं भी सूख गया। जोहड़ में गंदा पानी वर्षो से सड़ रहा है। इससे गांव का पूरा माहौल खराब हो गया है। जोहड़ की बदहाली की वजह से लोगों ने गांव में पशुओं को पालना भी बंद कर दिया है।
बलवान ¨सह यादव
गांव में यादव, ब्राह्मण सहित अन्य वर्गो के लिए चौपाल है। गांव में एक भी सामुदायिक केंद्र नहीं है। गांव के सामान्य लोग शादी ब्याह करने के लिए फार्म हाउस किराए पर लेने में सक्षम नहीं हैं। टेंट का खर्चा सहन करने की क्षमता गांव के अधिकांश लोगों के पास नहीं है। गांव में कम्युनिटी सेंटर बना है, लेकिन सिलाई सेंटर चल रहा है इससे लोगों को सामाजिक समारोहों का आयोजन करने में परेशानी होती है।
राहुल यादव
गांव में महज एक खेल का मैदान है, लेकिन यहां पर खेलने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसे खेल के मैदान के तौर विकसित नहीं किया गया। ऐसे में गांव के बच्चों को तरस कर रह जाना पड़ता है। हालांकि, इस मैदान पर बस डिपो बनना था। डिपो नहीं बना। डिपो का स्थानांतरण घुम्मनहेड़ा हो गया।
मनोज यादव
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की बेरुखी के कारण गांव में ग्रामीण सेवा से लोग आवाजाही करते हैं, लेकिन ग्रामीण सेवा में क्षमता से अधिक सवारियों को बिठाया जाता है। इससे हर समय दुर्घटना होने का अंदेशा लगा रहता है। सरकार को चाहिए ग्रामीण इलाकों की परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करें ताकि लोगों को शहर की ओर आने-जाने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
गो¨वद
गांव में कभी आधे घंटे के अंतराल पर दिल्ली परिवहन की बसों की सुविधा उपलब्ध थी। आसपास के गांवों में आसानी से जाया जा सकता था। ये बसें नजफगढ़ दिल्ली गेट और छावला तक आती थीं। अब मुश्किल से बसें आती है। जो सुखी संपन्न हैं उनके पास अपने साधन हैं, लेकिन उन्हें भी अपने बच्चों को शहर भेजने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है।
रोहित
नौ किलोमीटर के दायरे में हाइटेंशन तार हैं। लाइन ओपन होने की वजह से कहीं से भी दिक्कत पैदा हो जाती है। बीच-बीच में गांवों की बत्ती गुल हो जाती है। गांव में पशु चिकित्सालय था उसकी हालत जर्जर हो गई है। इसी तरह से गांव में गोबर गैस प्लांट बना था उसकी उपयोगिता खत्म होने के बाद वह भी बंद पड़ी है। गांव को दोनों की जरूरत है किसी तरह से इन्हें दुरुस्त कराने की जरुरत है।
सुखवीर
निगम के सफाईकर्मियों को हिदायत भी दी गई है कि कूड़ा डलावघर में डालें। गांव के लोगों को अगाह करने के लिए बोर्ड भी लगाया गया है। चूंकि, यह सब पहले से चला आ रहा है इसलिए कोई सुनने को तैयार नहीं है। फिर भी कोई कूड़ा डालते पकड़ा जाएगा तो उसका चालान होना भी तय है। गांव के नाले से गंदा पानी गिर रहा है इसे रोकने का प्रयास शुरू हो गया है। इसके लिए बृहस्पतिवार को निगम के अभियंताओं को बुलाया गया है। इसे रोकने का प्रयास किया जाएगा।
दीपक मेहरा, निगम पार्षद (घुम्मनहेड़ा वार्ड)
ऐसा नहीं है कि जोहड़ों को दुरुस्त करने का प्रयास रुक गया है। जोहड़ों को दुरुस्त करने के प्रति सरकार गंभीर है। गांव का पानी जोहड़ों के बजाय एक जगह एकत्र किया जाएगा फिर उसे साफ कर दोबारा उपयोग करने लायक बनाने की योजना है इसलिए छोटे छोटे तीन सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है। जब यह सीवर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तैयार हो जाएगा। जोहड़ों को दुरुस्त करने का काम शुरू हो जाएगा। गांव की फिरनी का छोटा सा टुकड़ा बच गया है इसे भी बना दिया जाएगा। मुख्य सड़क का निर्माण कार्य भी जल्द शुरू होगा इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। नजफगढ़ व मटियाला दोनों विधानसभा के गांवों में बसें चलाई जाएंगी, इसके लिए भी सरकार प्रतिबद्ध है।
गुलाब ¨सह यादव, विधायक (मटियाला विधानसभा)
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