विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों पर नापाक नजर, देश में सफेदपोश आतंकवाद का इको-सिस्टम बना रहा पाकिस्तान
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, आईएसआई विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रही है और उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करने की साजिश रच रही है। आईएसआई हवाला और ऑनलाइन पेमेंट के माध्यम से भारत में आतंकवाद का एक इको-सिस्टम बना रहा है। सरकार को इस पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी गई है।

विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों को बना रहा कट्टरपंथी बना बना रहा ISI।
नई दिल्ली, आइएएनएस। फरीदाबाद सफेदपोश माड्यूल के पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को यह एहसास हो गया है कि उसकी ऐसी गतिविधियों पर अब भारतीय खुफिया एजेंसियों की पैनी नजर रहेगी। इसलिए, इससे बचने के लिए उसने अब विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को निशाना बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
वह चाहती है कि ये छात्र अपने देश लौटने के बाद ऐसे ही माड्यूल बनाएं और आतंकी गतिविधियों को अंजाम दें। छात्रों को कट्टरपंथी बनाने के लिए बनाया पूरा इको-सिस्टम खुफिया एजेंसियों ने चेताया है कि देशभर में कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के लिए गहरी साजिश चल रही है।
एक अधिकारी ने बताया कि सबसे ज्यादा स्क्रूटनी बांग्लादेश पर है क्योंकि आइएसआइ ने जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर भारतीय छात्रों खासकर मेडिकल कालेजों में पढ़ने वाले छात्रों को कट्टरपंथी बनाने के लिए एक पूरा इको-सिस्टम बनाया है। एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि बड़ी संख्या में लोगों को कट्टरपंथी बनाने और फरीदाबाद में पकड़े गए माड्यूल की तरह सफेदपोश माड्यूल माड्यूल बनाने की साजिशें रची जा रही हैं।
मेडिसिन-इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करने वाले छात्र ही निशाने पर एक अधिकारी ने कहा कि आईएसआई के एजेंट विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को कट्टरपंथी बनाने के मकसद से उन्हें निशाना बना रहे हैं। इनमें से ज्यादातर छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत वापस आ जाएंगे। मगर, इनमें से कट्टरपंथ का पाठ पढ़ चुके छात्र सिस्टम के लिए बड़ा खतरा हो सकते हैं।
मेडिसिन या इंजिनियरिंग के छात्रों पर खास नजर
अधिकारी ने कहा कि आईएसआई खास तौर पर उन छात्रों को निशाना बना रही है जो मेडिसिन या इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, आस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए बनाई गई टीम अब यह एक नया नार्म बन गया है जहां पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना मेडिकल और इंजीनिय¨रग कालेजों से छात्रों को चुन रहे हैं।
सफेदपोश आतंकवादी ज्यादा खतरनाक होते हैं और उनका प्रोफेशन उन्हें कवर देता है, जिसके कारण वे अक्सर पकड़े नहीं जाते। इसके अलावा, वे वेब (इंटरनेट) को संभालने में ज्यादा माहिर हैं और इससे उन्हें गुप्त तरीके से बातचीत करने एवं साजिश रचने में मदद मिलती है।
एजेंसियों को मिली खुफिया जानकारी से पता चलता है कि आईएसआई ने उन भारतीय छात्रों की पहचान करने के लिए एक टीम बनाई है, जिन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और आस्ट्रेलिया में इंजीनियरिंग या मेडिसिन में एडमिशन लिया है।
कई देशों में कट्टर मौलवियों से भी आइएसआइ का संपर्क
आईएसआई ने भारतीय छात्रों को टारगेट करने और उन्हें भड़काने के लिए अलग-अलग देशों में कई कट्टर मौलवियों से भी संपर्क किया है। आईएसआई चाहती है कि जैसे ही वे भारत लौटें, वे हमला करने के लिए तैयार रहें। भारतीय खुफिया अधिकारी लगभग 12,000 छात्रों के पिछले रिकार्ड की जांच कर रहे हैं, जो 2024 के विरोध प्रदर्शनों के समय बांग्लादेश में मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे थे। इन प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को अपदस्थ कर दिया गया था।
एक अधिकारी ने बताया कि हसीना को हटाने के बाद जमात-ए-इस्लामी की छात्र इकाई इस्लामिक छात्र शिबिर ने मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों की पहचान करने, उन्हें कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया था।

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