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    भाजपा का दामन थाम सकते हैं सेवानिवृत्त सुपरकॉप दीपक मिश्रा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 24 Mar 2019 09:02 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस में सुपर कॉप की छवि रखने वाले सेवानिवृत्त आइपीएस दीपक मिश्रा भाजपा का दामन थाम सकते हैं। लगभग 35 सालों तक खाकी वर्दी पहनने वाले मिश्रा के भाजपा में शामिल होने के साथ पार्टी द्वारा उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट देने की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि पार्टी उन्हें नई दिल्ली अथवा उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना सकती है क्योंकि इन दोनों

    भाजपा का दामन थाम सकते हैं सेवानिवृत्त सुपरकॉप दीपक मिश्रा

    राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली

    दिल्ली पुलिस में सुपर कॉप की छवि रखने वाले सेवानिवृत्त आइपीएस दीपक मिश्रा भाजपा का दामन थाम सकते हैं। लगभग 35 सालों तक खाकी वर्दी पहनने वाले मिश्रा के भाजपा में शामिल होने के साथ पार्टी द्वारा उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट देने की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि पार्टी उन्हें नई दिल्ली अथवा उत्तर-पूर्वी लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बना सकती है, क्योंकि इन दोनों लोकसभा क्षेत्र में पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या अधिक है। मिश्रा भी पूर्वांचल से ताल्लुक रखते हैं। अगर दीपक मिश्रा भाजपा में आते हैं तो यह राष्ट्रीय राजधानी में इस पार्टी के लिए दूसरी बड़ी सफलता होगी। इसके पहले भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान गौतम गंभीर भाजपा का पटका पहन चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक इसे लेकर दोनों पक्ष लगातार संपर्क में है।

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    तेजतर्रार मिश्रा हाल ही में सीआरपीएफ के स्पेशल डीजी पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। वर्ष 2016 तक वह दिल्ली पुलिस में विभिन्न पदों पर रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी में उनके कार्यकाल में कई उपलब्धियां जुड़ी हुई हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादास्पद ढांचा ढहाए जाने के दिनों में उत्तर-पूर्वी जिले में डीसीपी रहते 16 दिनों तक सीलमपुर इलाके में भीषण दंगे पर काबू पाने को उनकी सफलता में गिना जाता है। बताया जाता है कि इस दौरान वे लगातार इलाके में ही डटे थे और 16 दिन बाद हालात सामान्य होने पर ही उन्होंने घर जाकर अपनी वर्दी उतारी थी। उत्तर-पूर्वी जिले में पुलिसकर्मी तो दूर आम लोगों ने भी अपने घरों में उनकी तस्वीरें लगा रखी थीं। हालांकि, उस मामले को लेकर बाद में राजनीतिक बवाल मचने पर साढ़े पांच माह बाद उनका तबादला कर दिया गया था।

    दिल्ली पुलिस में तैनाती के दौरान जब भी किसी बड़े मसले को लेकर दिल्ली में बवाल मचता और हालात बेकाबू होते थे तब मिश्रा को याद किया जाता था। 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में दुष्कर्म की घटना को लेकर भी जब बड़ा जनआंदोलन हुआ और कानून व्यवस्था बिगड़नी शुरू हुई तब गृहमंत्रालय के निर्देश पर दिल्ली के तत्कालीन विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था धर्मेंद्र कुमार को हटाकर उन्हें कानून एवं व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी गई। वह अकेले ऐसे आइपीएस हैं जो साढ़े तीन साल तक दिल्ली पुलिस में विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था पद पर रहे। इस दौरान उन्होंने दिल्ली में गैंगवार की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगाया। सीसीटीवी कैमरे लगवाए। भ्रष्टाचार मुक्त भर्ती प्रक्रिया लागू किया। फोर्स को आधुनिक बनाने के लिए कई एप लाए, जिससे भारतीय मानक संस्थान की ओर से दिल्ली पुलिस को आइएसओ का सर्टिफिकेट मिला।

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