इस साल शादियों में इतना खर्च करेंगे भारतीय, पाकिस्तान का बजट भी पड़ जाएगा फीका; सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े!
भारतीय इस साल शादियों में इतना खर्च करेंगे कि पाकिस्तान का बजट भी फीका पड़ जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, शादियों में खर्च पिछले कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ा है। यह भारी खर्च भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खर्च आने वाले सालों में और भी बढ़ सकता है।

इस साल शादियों में जमकर बरसेगा पैसा।
जागरण संवाददाता, (नेमिष हेमंत) नई दिल्ली। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भले ही हर बात पर भारत से अपनी तुलना कर लें, लेकिन किसी भी क्षेत्र में मुकाबले में दूर-दूर तक नहीं है। अब अगले माह से शुरू हो रहे 45 दिनों के वैवाहिक मौसम में ही भारतीय बैंड बाजे और विवाह के लिए रिकार्ड 6.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे, जो पाकिस्तान के कुल बजट 5.5 लाख करोड़ रुपये से एक लाख करोड़ रुपये अधिक है।
एक अध्ययन के अनुसार, त्यौहारी बिक्री में रिकार्ड कारोबार के बाद अब शादियों के मौसम में नए बिक्री के रिकार्ड का बैंड बाजा बजेगा। एक नवंबर से तुलसी विवाह के साथ शुरू हो रहे वैवाहिक मौसम में इस बार देशभर में 46 लाख से अधिक जोड़े के दांपत्य जीवन में बंधने का अनुमान है। इसमें पारंपरिक शादियों के साथ डेस्टिनेशन वेडिंग भी है। दिन के साथ रात में विवाह का मंडप सजेगा।
वैसे, पिछली बार दो लाख अधिक कुल 48 लाख विवाह हुए थे, लेकिन कारोबार 5.90 लाख करोड़ का ही हुआ था, वहीं इस बार 45 दिवसीय वैवाहिक मौसम में रिकार्ड 6.5 लाख करोड़ के व्यापार का अनुमान है। विवाह का शुभ मुहुर्त एक नवंबर से 14 दिसंबर तक है। इस दौरान अकेले दिल्ली में 4.8 लाख शादियां होंगी, जिससे 1.8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होगा।
यह अनुमान, कंफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की अनुसंधान शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी (सीआरटीडीएस) का है। इसके लिए उसने देश के 75 प्रमुख शहरों में 15 से 25 अक्टूबर के बीच अध्ययन कराया था। इस अध्ययन में पता चला कि भारत की “वैवाहिक अर्थव्यवस्था” घरेलू व्यापार का मजबूत स्तंभ बनी हुई है, जो परंपरा, आधुनिकता और आत्मनिर्भरता का संगम है।
पिछले साल की तुलना में शादियां कम
अध्ययन के अनुसार, पिछले वर्ष 2024 में देशभर में लगभग 48 लाख विवाह हुए थे, जिससे 5.90 लाख करोड़ का व्यापार हुआ था। वहीं, वर्ष 2023 में 38 लाख शादियों से करीब 4.74 लाख करोड़ और 2022 में 32 लाख शादियों से 3.75 लाख करोड़ का कारोबार हुआ था।
वैसे, पिछले वर्ष की तुलना में शादियों की संख्या इस वर्ष कम है, लेकिन प्रति शादी खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसकी प्रमुख वजह बढ़ती आय, कीमती धातुओं की कीमतों में वृद्धि और त्योहारी सीजन में उपभोक्ता विश्वास का बढ़ना है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री व चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल के अनुसार, अध्ययन में यह भी सामने आया कि परिधान, आभूषण, सजावट सामग्री, बर्तन, कैटरिंग आइटम समेत शादी से जुड़े 70 प्रतिशत से अधिक सामान भारतीय निर्मित हैं।
पारंपरिक कारीगरों, ज्वैलर्स और वस्त्र उत्पादकों को भारी आर्डर मिल रहे हैं, जिससे भारत की स्थानीय विनिर्माण क्षमता और हस्तकला को नया बल मिल रहा है। इसी तरह, 45 दिवसीय शादी के मौसम में सरकारों को भी लगभग 75 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा।
अध्ययन के अनुसार, 6.5 लाख करोड़ के अनुमानित शादी खर्च में से वस्त्र व साड़ियाें पर 10 प्रतिशत, आभूषण 15 प्रतिशत, इलेक्ट्रानिक्स व इलेक्ट्रिकल्स पांच प्रतिशत, सूखे मेवे व मिठाई तथा किराना व सब्जियों पर पांच-पांच प्रतिशत, उपहारों पर चार तथा अन्य सामानों का छह प्रतिशत हिस्सा होगा।
वहीं, सेवाओं के क्षेत्र में समारोह आयोजन में पांच, कैटरिंग पर 10, फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी पर दो, यात्रा व आतिथ्य पर तीन, पुष्प सजावट चार प्रतिशत, म्यूजिकल ग्रुप्स तीन, लाइट एंड साउंड पर तीन तथा अन्य सेवाओं पर तीन प्रतिशत खर्च होगा।
डिजिटल ट्रेंड्स पर भी होगा खर्चा
डिजिटल और आधुनिक ट्रेंड्स पर भी खर्च होगा। शादी के बजट का एक से दो प्रतिशत डिजिटल कंटेंट निर्माण और इंटरनेट मीडिया कवरेज पर खर्च होता है। जिसमें एआइ आधारित निमंत्रण पत्र व वीडियो के साथ कार्यक्रम तैयार हो रहे हैं।
दिल्ली में इस मौसम होने वाली 4.8 लाख शादियों से 1.8 लाख करोड़ का व्यापार होगा, जिसमें सबसे अधिक खर्च आभूषण, फैशन और शादी स्थान पर होगा। जबकि, राजस्थान और गुजरात में भव्य व डेस्टिनेशन वेडिंग्स का चलन बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में पारंपरिक सजावट और कैटरिंग पर भारी खर्च देखा जा रहा है।
महाराष्ट्र व कर्नाटक में समारोह प्रबंधन और बैंक्वेट सेवाओं की मांग बढ़ी है। दक्षिणी राज्यों में हेरिटेज और मंदिर शादियों के कारण पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है। इसी तरह, इस बार के शादी आयोजनों से एक करोड़ से अधिक अस्थायी और अंशकालिक रोजगार सृजित होने की संभावना है, जिससे डेकोरेटर, कैटरर, फ्लोरिस्ट, कलाकार, परिवहन और सेवा क्षेत्र के लोग सीधे लाभान्वित होंगे।
वस्त्र, गहने, हस्तशिल्प, पैकेजिंग और ढुलाई जैसे एमएसएमई क्षेत्रों को भी मौसमी बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था और मजबूत होगी। लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बाद विदेशी स्थलों की जगह देश में विवाह को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर गर्व झलकता है।

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