दिल्ली में बैठकर अमेरिकी नागरिकों को बना रहे थे शिकार, मॉडल टाउन में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़
दिल्ली के मॉडल टाउन में एक अवैध इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने मौके से सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह कॉल सेंटर अवैध रूप से अं ...और पढ़ें
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सांकेतिक तस्वीर। सौजन्य- freepik
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गुजरांवाला टाउन, मॉडन टाउन में चल रहे एक अवैध अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर सात आरोपित को गिरफ्तार किया है। यह कॉल सेंटर पाश रिहायशी इलाके में एक फ्लैट के अंदर पिछले चार माह से चल रहा था। यहां से कॉल सेंटर के कर्मी एप्पल टेक्निकल सपोर्ट बनकर अमेरिकी नागरिकों को शिकार बना रहे थे।
कॉल सेंटर से सात हाई-एंड लैपटाप और 16 स्मार्ट फोन बरामद किए गए हैं। सभी स्मार्ट फोन में कॉल रिसीव करने के लिए माइक्रो सिप साफ्टवेयर इंस्टाल था। आरोपित अमेरिकी नागरिकों के डिवाइस का रिमोट एक्सेस हासिल कर उनके संवेदनशील डाटा का दुरुपयोग कर रहे थे। अमेरिकी नागरिकों से बिटकॉइन ट्रांजक्शन के जरिये आरोपितों के क्रिप्टो वालेट में पैसे ट्रांसफर करने के साक्ष्य मिले हैं। जब्त किए गए डिवाइस से कई अमेरिकी नागरिकों के मोबाइल नंबर और उनकी बैंकिंग जानकारी बरामद की गई है।
बिटकॉइन वॉलेट पर रखते थे नजर
डीसीपी आदित्य गौतम के मुताबिक गिरफ्तार किए गए आरोपितों में अमन सिंह, संत नगर, बुराड़ी का रहने वाला है और 12वीं पास है। इसकी भूमिका सुपरवाइजर, बैंकर और बिटकॉइन वॉलेट पर नजर रखने की थी। जनप्रीत सिंह, विष्णु गार्डन का रहने वाला है और 12वीं पास है। इसकी भूमिका भी सुपरवाइजर, बैंकर, और बिटकॉइन वालेट पर नजर रखने की थी। मयंक, रघुबीर नगर का रहने वाला है और 12वीं पास है। इसकी भूमिका टेली-कॉलर की थी।
मयंक कुमार, उत्तम नगर का रहने वाला है। उसने एमबीए (फाइनेंस) कर रखा है। उसकी भूमिका टेली-कॉलर की थी। दीपांशु, नवादा, उत्तम नगर का रहने वाला है और 12वीं पास है। उसकी भूमिका टेली-कॉलर की थी। करण कपूर, मोती बाग का रहने वाला है और आठवीं पास है। इसकी भूमिका भी टेली-कॉलर की थी। अमन प्रसाद, दयाल बाग, फरीदाबाद का रहने वाला है और 10वीं पास है। इसकी भूमिका भी टेली-कॉलर की थी।
क्राइम ब्रांच द्वारा संगठित साइबर आधारित वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ की जा रही कार्रवाई में यह एक बड़ी सफलता है। यह कॉल सेंटर धोखाधड़ी से एप्पल टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर चल रहा था, जो अमेरिकी नागरिकों को निशाना बना रहा था और क्रिप्टोकरेंसी के रूप में पैसे निकालकर उन्हें धोखा दे रहा था।
एप्पल टेक सपोर्ट एग्जीक्यूटिव बनकर फंसाते थे आरोपी
लैपटॉप और माइक्रो सिप सॉफ्टवेयर वाले मोबाइल फोन जैसे एडवांस्ड इलेकट्रानिक डिवाइस का इस्तेमाल अमेरिकी नागरिकों द्वारा एप्पल टेक्निकल सपोर्ट के लिए किए गए टोल-फ्री नंबर कॉल रिसीव करने के लिए किया जाता था। टेली-कॉलर एप्पल टेक सपोर्ट एग्जीक्यूटिव बनकर पीड़ितों को अपने डिवाइस पर रिमोट एक्सेस एप्लिकेशन इंस्टाल करने के लिए मनाते थे।
एक्सेस मिलने के बाद, पीड़ितों का संवेदनशील निजी और बैंकिंग डाटा कसम्प्रोमाइज हो जाता था। आपरेशन की दूसरी लेयर में, वे बैंकर या फाइनेंशियल संस्थानों के प्रतिनिधि बनकर पीड़ितों को यूएसए में बिटकॉइन कियोस्क से बिटकॉइन खरीदने के लिए मनाते थे।
आखिरी स्टेज में, पीड़ितों को टेक्स्ट मैसेज के जरिये बिटकॉइन वालेट की क्यूआर कोड शेयर करने के लिए मैनिपुलेट किया जाता था, जिससे आरोपी क्रिप्टोकरेंसी को अपने वॉलेट में ट्रांसफर कर पाते थे। छापेमारी के दौरान सात लैपटाप, वीओआईपी डिवाइस और नेटवर्किंग उपकरण, 16 मोबाइल और सिमकार्ड, अमेरिकी नागरिकों के बैंक से संबंधित विवरण वाले दस्तावेज व बिटकॉइन वॉलेट क्यूआर कोड आदि सामान बरामद किया गया।
एसीपी अनिल शर्मा व इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र के नेतृत्व में पुलिस टीम ने कई महीने तक जांच के बाद इस कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया। आरोपितों के अन्य सहयोगियों, वित्तीय लेन-देन और अंतराष्ट्रीय संबंधों की पहचान के लिए आगे की जांच जारी है।

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