Hybrid School का हुक्म पर सुविधाओं का अभाव, दिल्ली में नई व्यवस्था ने बढ़ाई छात्रों और शिक्षकों की मुश्किलें
दिल्ली में Hybrid School प्रणाली लागू होने के बाद छात्रों और शिक्षकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, शिक्षकों पर बढ़ता काम का बोझ और तकनीकी समस्याओं के कारण नई व्यवस्था मुश्किलों से भरी है। छात्रों के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, जिससे शिक्षा बाधित हो रही है।

बढ़ते प्रदूषण पर सरकार ने स्कूलों को हाइब्रिड मोड पर चलाने के दिए थे आदेश।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi Hybrid School Challenges राजधानी में वायु प्रदूषण के चलते पांचवीं तक के बच्चों के लिए हाइब्रिड मोड में पढ़ाई का आदेश लागू हो गया है, लेकिन स्कूलों में जमीनी हालात इसके विपरीत हैं। सरकारी दावों पर शिक्षक कह रहे हैं कि न स्कूलों में पर्याप्त लैपटाप हैं, न टैबलेट, न ही सही वाई-फाई, जिससे ऑनलाइन कक्षाएं लड़खड़ा गई हैं।
इधर, छात्रों की भी यही समस्या है। सरकारी स्कूलों में अधिकतर बच्चों के माता-पिता के पास एक ही मोबाइल फोन होने और उसमें से कुछ के पास स्मार्टफोन न होने से बच्चे आनलाइन कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं।
सरकारी स्कूलों के बहुत से छात्रों के पास मोबाइल नहीं होता और न ही उनके पास क्लास का लिंक होता है। नेटवर्क की समस्या भी कक्षाओं में बार-बार बाधा डालती है। विक्रम नगर की रहने वाली रीना ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। पहला बच्चा चौथी और दूसरा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है।
घर में एक ही फोन है, इसलिए एक बच्चा स्कूल जाता है और दूसरा ऑनलाइन जुड़ता है। कई अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू ही नहीं की, सिर्फ व्हाट्सएप पर वर्कशीट भेजे जा रहे हैं।
शिक्षक मोबाइल डाटा पर रहते हैं निर्भर
कई सरकारी स्कूलों में इंटरनेट की स्थिति बेहद खराब है। एक निगम स्कूल की शिक्षक ने बताया कि पूरे स्कूल में सिर्फ एक डोंगल है, वह भी कभी रिचार्ज रहता है तो कभी बंद। ऐसे में शिक्षक अपने मोबाइल डाटा से ही कक्षाएं लेते हैं। अच्छी सुविधाओं वाले निजी स्कूल भी संघर्ष कर रहे हैं। करोल बाग स्थित एक निजी स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि बुनियादी ढांचे होने के बावजूद बच्चे ऑनलाइन ध्यान नहीं लगा पाते।
नेटवर्क डिस्टर्ब रहता है। पांचवीं तक के छात्र सही से सवाल नहीं पूछ पाते। छोटे बच्चों का ध्यान मोबाइल पर पढ़ाई में टिकाना मुश्किल होता है। एक शिक्षक ने कहा कि ऑनलाइन और ऑफलाइन को एक साथ संभालना सबसे कठिन है। कभी कैमरा देखना पड़ता है तो कभी कक्षा में बैठे छात्रों कों।
90 प्रतिशत बच्चे जा रहे स्कूल
शिक्षकों ने कहा कि ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई में अभिभावकों की निगरानी आवश्यक है। वेस्ट विनोद नगर के एक निजी स्कूल की प्रधानाचार्य ने बताया कि 90 प्रतिशत बच्चे स्कूल आ रहे हैं, जिससे ऑनलाइन कक्षाओं में फोकस तक बंट जाता है। दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या हर वर्ष की हो गई हैं।
ऐसे में अब एयर प्यूरीफायर स्कूलों की जरूरत बनते जा रहे हैं। दिल्ली अभिभावक संघ की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने कहा कि प्रदूषण को देखते हुए सर्दियों में कम से कम 15 दिन की छुट्टी तय कर देनी चाहिए, ताकि बच्चों की पढ़ाई और सेहत दोनों का संतुलन बना रहे।

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