अस्पताल के आसपास अतिक्रमण, मरीजों को होती है परेशानी
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : टूटी सड़क, टूटे फुटपाथ व उन पर पसरा अतिक्रमण, सड़क पर जगह- जगह
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली :
टूटी सड़क, टूटे फुटपाथ व उन पर पसरा अतिक्रमण, सड़क पर जगह- जगह फैली गंदगी, छाया में खड़े होने के लिए कोई शेल्टर नहीं, यह नजारा डाबड़ी के मातृ एवं शिशु अस्पताल के बाहर का है। यहां रोजाना कई गर्भवती महिलाएं अपने बच्चों को लेकर इलाज के लिए आती हैं। अब इसे विभाग की लापरवाही कहें या अनदेखी कि इतना महत्वपूर्ण संस्थान होने के बावजूद यहां आसपास असुविधाओं का भंडार है। फुटपाथ पर पसरे अतिक्रमण के कारण महिलाओं को तेज रफ्तार वाहनों के बीच खस्ताहाल सड़कों से गुजरना पड़ता है। यहां सड़क पार करने के लिए कोई सिग्नल नहीं है। ऐसे में सड़क को पार करने के दौरान जान जोखिम में डालना पड़ता है।
फुटपाथ पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा
दुकानदार फुटपाथ का प्रयोग मन मुताबिक व सुविधानुसार कर रहे हैं। कई जगह तो फुटपाथ की दशा काफी जर्जर है। अतिक्रमण के कारण फुटपाथ पर गंदगी का माहौल बना रहता है। फुटपाथ के एक हिस्सा रेहड़ी वालों के कब्जे में तो वहीं दूसरा हिस्सा टेंपो की पार्किंग के लिए प्रयोग हो रहा है। मुख्य सड़क से जोड़ने वाले पालम-डाबड़ी रोड से वाहनों की आवाजाही का सिलसिला बना रहता है। छोटे वाहनों के साथ बड़े ट्रक आदि भी इस सड़क से गुजरते हैं। इस सड़क पर कहीं भी धूप व बारिश से बचने के लिए शेल्टर तक की सुविधा नहीं है। लोगों को सड़क पर खड़े होकर वाहनों का इंतजार करना पड़ता है।
पसरी पड़ी गंदगी, बीमारी का खतरा
अस्पताल से कदम बाहर रखते ही लोगों का सामना गंदगी और धूल से होता है। अस्पताल से 10 कदम की दूरी पर कूड़ाघर बना है, जहां कूड़े की अव्यवस्था के कारण मच्छर, बदबू से लोगों का बुरा हाल रहता है। अस्पताल में मरीज इलाज के लिए आते है, लेकिन अस्पताल के बाहर की स्थिति नवजात बच्चे और उनकी मां को और बीमार बना रहा है। गंदगी के कारण आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। हालांकि अस्पताल परिसर में सफाई की सुविधाएं दुरुस्त हैं, लेकिन अस्पताल के बाहर की स्थिति बिल्कुल उलट। अस्पताल के सामने डिवाइडर पर हरियाली के कोई इंतजाम नहीं हैं। ऐसे में हवा के साथ वहां से काफी धूल उड़ती है, जो सांस व त्वचा रोग का कारण बन सकती है। कूड़ा घर के पास खाली प्लॉट है जहां गंदगी और धूल के सिवाए कुछ नजर नहीं आता है। यह तमाम स्थिति मरीजों के लिए हानिकारक साबित हो रही है।
सड़क पार करने की नहीं है कोई व्यवस्था
इलाज के लिए आए मरीजों के लिए सड़क पार करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों को वाहनों की आपाधापी के बीच सड़क को पार करना पड़ता है, जो जान के साथ खिलवाड़ है। सड़क पार करने के लिए यहां न कोई लालबत्ती है और न ही कोई फुटओवर ब्रिज। तेज रफ्तार वाहन चालकों की मनमानी की रोकथाम के लिए कोई यातायात पुलिस का सहयोग नहीं मिलता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी गर्भवती महिला व किसी नवजात शिशु के साथ सड़क को पार करना कितना मुश्किल है। विशेषकर, सुबह जब लोगों को अपने-अपने कार्यालय जाने की जल्दी होती है।