रात को एक बजे स्टार्टअप फाउंडर को बिना FIR कैसे उठा सकते हैं? दिल्ली पुलिस को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक स्टार्टअप फाउंडर वैभव चावला से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई। अदालत ने पूछा कि पुलिस बिना प्राथमिकी के उसे कैसे उठ ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक स्टार्टअप कंपनी के फाउंडर वैभव चावला को धोखाधड़ी से जुड़े मामले से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है।
फाउंउर की बहन शिवांगी चावला की तरफ से दायर याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने उठाया कि पुलिस वैभव को मथुरा से रात एक बजे बिना किसी प्राथमिकी के कैसे उठा सकती है, जबकि शिकायत सिर्फ धोखाधड़ी की है।
पीठ ने कहा कि मामला पूरी तरह से सिविल प्रकृति का होने के बावजूद पुलिस उसे पूछताछ के नाम पर आठ दिनों में पांच बार बुलाने को कैसे सही ठहरा सकती है। अदालत ने यह भी पूछा कि एक निजी व्यवसायिक झगड़े में पुलिस की क्या भूमिका है?
उक्त टिप्पणी व सवाल करते हुए पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि अगर मामले में पुलिस को भविष्य में कोई भी जानकारी चाहिए तो याची के भाई को लिखित नोटिस जारी करना होगा।
पीठ ने कहा कि अगर पूछताछ की जरूरत है तो पुलिस वैभव चावला के कार्यालय जा सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि मामले में प्राथमिकी करने से पहले वैभव चावला को लिखित मेें इसकी जानकारी देनी होगी। उक्त टिप्पणी के साथ अदालत ने याचिका का निपटारा कर दिया।
अदालत ने उक्त निर्देश तब दिए जब याची की तरफ से पेश हुए वकील पारितोष धवन व आशीष बत्रा ने बताया कि दो दिसंबर को अदालत में सुनवाई के बाद भी उनके मुवक्किल को पूछताछ के नाम पर पांच से छह घंटे तक बुलाया गया।
मूलरूप से हरियाणा के गुरुग्राम निवासी 30 वर्षीय वैभव चावला ने 2021 में जेएलवी इनोवेशन कंपनी से स्टार्ट-अप बिजनेस शुरू की। कंपनी दूसरी चीजों के साथ-साथ वेयरहाउस.आईआई को भी चला रही है और यह ब्रांड्स को वेयरहाउसिंग, लाजिस्टिक्स और रिटेल डिस्ट्रीब्यूशन में मदद कर रही है। यह पूछा मामला दो पक्षों के बीच व्यवसायिक धोखाधड़ी से जुड़ा है।

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