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    न्यू इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड पर HC में सुनवाई, केंद्र ने कहा-नए ट्रिब्यूनल बनने तक पुराने लेबर कोर्ट करेंगे सुनवाई

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 08:44 PM (IST)

    न्यू इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड पर दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि नए ट्रिब्यूनल के गठन तक पुराने लेबर कोर्ट ही मा ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। न्यू इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड-2020 से जुड़ी अधिसूचना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर गुरुवार को केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जब तक नए ट्रिब्यूनल नहीं बन जाते, तब तक मौजूदा लेबर कोर्ट और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल सभी लंबित और नए मामलों की सुनवाई करते रहेंगे।

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    आगे की सुनवाई 12 जनवरी को 

    केंद्र सरकार के वकील ने इसके साथ ही इससे जुड़ी श्रम और रोजगार मंत्रालय के आठ दिसंबर के एक अधिसूचना का हवाला दिया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्र सरकार के बयान को रिकाॅर्ड पर लेकर सरकारी अधिकारियों के साथ बैठकर इस मुद्दे को सुलझाने काे कहा। मामले पर आगे की सुनवाई 12 जनवरी को होगी।

    पुराने कानूनों को रद करने पर उठाया सवाल

    सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि इस क्षेत्र से जुड़े पुराने कानूनों को रद करने के लिए सही प्रक्रिया अपनाए बिना ही केंद्र सरकार ने न्यू इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 लागू कर दिया। पीठ ने कहा कि सरकार ने ऐसी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है।

    इसमें यह बताया गया हो कि ट्रेड यूनियंस एक्ट- 926, इंडस्ट्रियल एम्प्लायमेंट अधिनियम-1946 और इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट- 1947 को आंशिक या पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। पीठ ने कहा कि कोड को लागू करने वाले अधिसूचना के साथ एक अलग अधिसूचना जारी की जा सकती है।

    लेबर विवाद समाधान सिस्टम को बनाया पंगु

    एनए सेबेस्टियन व एक अन्य ने जनहित याचिका दायर कर नए लेबर कोड को लागू करने वाली सरकारी अधिसूचना को चुनौती दी है। याचिका में यह भी बताया गया था कि इस अधिसूचना ने इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट-1947 के तहत लेबर कोर्ट और इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के सामने लंबित सभी मामलों को नए कोड के तहत बनाए गए संबंधित ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर करके देश के लेबर विवाद समाधान सिस्टम को प्रभावी ढंग से पंगु बना दिया है। हालांकि, अभी ऐसे कोई ट्रिब्यूनल मौजूद नहीं हैं।

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