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    गुरुनानक देव का दिल्ली से भी गहरा नाता, मजनूं का टीला और नानक प्याऊ में आज भी हैं उनकी निशानियां

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 07:00 AM (IST)

    गुरु नानक देव जी का दिल्ली से अटूट संबंध है। मजनूं का टीला, जहाँ उन्होंने भाई मजनूं को उपदेश दिया, और नानक प्याऊ साहिब, जहाँ उन्होंने प्यासों को पानी पिलाया, आज भी उनकी निशानियाँ हैं। ये ऐतिहासिक स्थल दिल्ली में उनकी विरासत को दर्शाते हैं और सिख समुदाय के लिए श्रद्धा के केंद्र हैं।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देश में आज बुधवार को सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव का 556 वां प्रकाश पर्व मनाएगा। दिल्ली में भी इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। दिल्ली से गुरुनानक देव का जुड़ाव भी रहा है। उनकी निशानियां राजधानी में गुरुद्वारा नानक प्याऊ और गुरुद्वारा मजनूं का टीला साहिब के रूप में मौजूद हैं। जानकार बताते हैं कि इन दोनों स्थानों पर गुरुनानक देव ठहरे थे। उन्होंने यहां पर लंगर और प्याऊ शुरू किया था, जो आज भी विद्यमान हैं।

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    पद्मश्री से सम्मानित और सिख नेता जितेंद्र सिंह शंटी बताते हैं कि वर्ष 1505 के आस-पास जब गुरुनानक देव जब दिल्ली पहुंचे तो पुराने जीटी रोड के पास में मौजूद एक बाग में पहुंचे। यहां एक कुआं भी होता था। उन्होंने कुछ दिन यहां पर विश्राम किया। कुछ लोग भी उनसे यहां जुड़ गए, जिन्हें वह उपदेश देते थे।

    इसे देखते हुए गुरुनानक देव ने यहां लंगर की शुरुआत की थी। इसमें वहां के बाग के मालिक ने सहयोग किया। उन्होंने गुरुनानक देव से अनुरोध किया कि वह इस जगह को संभालें। हालांकि गुरुनानक देव भ्रमण करते थे, तो कुछ समय बाद वह यहां से चले गए। आज उसी स्थान पर गुरुद्वारा मजनूं का टीला साहिब मौजूद हैं, जहां हर समय लंगर चलता रहता है। मजनूं का टीला नाम को लेकर बताया जाता है कि 12वीं शताब्दी में यहां पर एक सूफी संत मजनूं शाह थे। उनके नाम पर ही इसका नामकरण हुआ था।

    दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी परमिंदर पाल सिंह बताते हैं कि कुछ ऐसी ही कहानी गुरुद्वारा नानक प्याऊ साहिब की रही है। गुरुनानक देव कुछ समय के लिए उस स्थान पर भी ठहरे थे जो आज माडल टाउन के पास स्थित है। यहां से कई व्यापारी और अन्य मुसाफिर गुजरते थे। उनके लिए गुरुनानक देव ने प्याऊ की शुरुआत की थी। उन्होंने यहां पर सरोवर की शुरुआत की थी जो आज भी मौजूद है।

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