ग्रीन पटाखों की आड़ में हो रहा बड़ा 'खेल', दिल्ली के इस इलाके में मची 'लूटपाट'
दिल्ली में ग्रीन पटाखों के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। कुछ क्षेत्रों में अवैध रूप से पटाखे बेचे जा रहे हैं, जिससे ग्राहकों को लूटा जा रहा है। व्यापारी ग्रीन पटाखों के नाम पर साधारण पटाखे बेच रहे हैं, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं। प्रशासन की निष्क्रियता के कारण अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।

दिल्ली में ग्रीन पटाखों के नाम पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है।
लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की मंज़ूरी के बाद इस साल दिल्ली में ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दे दी गई है। हालाँकि, बाज़ारों की हकीकत कुछ और ही है। ग्रीन पटाखों की आड़ में अवैध पटाखे खुलेआम बिक रहे हैं। कई जगहों पर बारूद लगे पुराने पटाखे, यहाँ तक कि ग्रीन लेबल वाले भी, बिना किसी रोक-टोक के बेचे जा रहे हैं। अवैध आपूर्तिकर्ता बड़ी संख्या में दिल्ली में पटाखे पहुँचा रहे हैं, जिससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ सकता है।
जामा मस्जिद, पहाड़गंज, सदर बाज़ार, तेलीवाड़ा, आनंद पर्वत, पाईवालान, करोल बाग, राजेंद्र नगर, बलजीत नगर, फिल्मिस्तान, आनंद पर्वत, खारी बावली बाज़ार और चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस जैसे इलाकों में बिक्री ज़ोरों पर है। कई अवैध आपूर्तिकर्ता रात में बड़ी मात्रा में सामान पहुँचा रहे हैं। जामा मस्जिद के स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना लाइसेंस वाले अवैध पटाखा आपूर्तिकर्ता रात में अवैध पटाखे पहुँचा रहे हैं।
बढ़ी हुई कीमतों से उपभोक्ता नाखुश
बाजारों में ग्रीन पटाखों के नाम पर जमकर मुनाफाखोरी हो रही है। फुलझड़ियों का एक बड़ा पैकेट 500 से 600 रुपये में और मिर्च बम का एक पैकेट 600 रुपये में बिक रहा है। पहले ये 200 से 300 रुपये में मिलते थे। कई ग्राहकों का कहना है कि बच्चों के लिए पटाखे खरीदना भी अब उनकी जेब पर बोझ बनता जा रहा है। इसके अलावा, लोग मोलभाव करते भी नज़र आ रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, कई जगहों पर देर रात वाहनों में पटाखे सप्लाई किए जाते हैं। कुछ दुकानें दिन में बंद रहती हैं, जबकि रात में अंदर बिक्री होती है। प्रशासनिक निगरानी बढ़ाने की बात हो रही है, लेकिन इसका बाजारों पर कोई असर नहीं दिख रहा है।
ग्रीन पटाखों की पहचान को लेकर लोगों में असमंजस
ग्रीन पटाखों की बिक्री को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है। दिल्ली पुलिस ने ग्रीन पटाखों की बिक्री के लिए 168 लाइसेंस वितरित किए हैं। कुछ जिलों में 20 से ज़्यादा लाइसेंस जारी किए गए हैं, जबकि कुछ में सिर्फ़ पाँच से छह। लोग इन ग्रीन पटाखों की दुकानों की तलाश में भटकते नज़र आए। लोगों का कहना है कि इन पटाखों की बिक्री की सूची सार्वजनिक की जानी चाहिए थी।
लोग नाम सुनकर ही इन्हें खरीद लेते हैं। ग्रीन पटाखों को बहुत कम लोग पहचानते हैं। कई दुकानदार इसी का फायदा उठा रहे हैं। - पूनमकुछ अवैध सप्लायर रात में पुराने पटाखे मंगवाकर रेहड़ी-पटरी वालों के ज़रिए बेचते हैं। पुलिस गश्त करती है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। - कलश चोपड़ा
सुबह तक पूरा स्टॉक बिक जाता है। सबको पता है कि ये अवैध पटाखे हैं, लेकिन कोई कुछ नहीं कहता। - उमा शंकर पांडे
हर साल हम बच्चों के लिए थोड़े-बहुत पटाखे खरीदते हैं, लेकिन इस बार दाम देखकर हम हैरान रह गए। दुकानदार कहता है कि ये ग्रीन पटाखे हैं, इसलिए महंगे हैं। लेकिन पैकेट देखकर हमें फ़र्क़ नहीं पड़ता। - विश्वास त्रिपाठी, ग्राहक
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