सरकारी विद्यालयों का होगा ऑडिट, समग्र शिक्षा अभियान के तहत 60 प्रतिशत स्कूल होंगे शामिल
बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए ऑडिट किया जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान के तहत 60% स्कूलों को शामिल किया जाएगा। ऑडिट का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता, संसाधनों का उपयोग और बुनियादी ढांचे का मूल्यांकन करना है। सरकार विद्यालयों की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए कदम उठाएगी, जिससे छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी और विद्यालयों का विकास होगा। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

आरटीई अधिनियम के तहत छात्रों को मिलने वाले अधिकारों की स्थिति की होगी जांच
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी के सरकारी स्कूलों की स्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता का सोशल आडिट कराएगी। यह पहल समग्र शिक्षा अभियान 2025-26 के तहत शुरू की जा रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत छात्रों को उनके सभी अधिकार समय पर और समान रूप से मिल रहे हैं।
शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार, इस आडिट के दायरे में राजधानी के करीब 60 प्रतिशत सरकारी स्कूल शामिल किए जाएंगे। यह प्रक्रिया केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के अनुरूप होगी।
इस परियोजना के लिए 3.73 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। चयनित संस्थान सामाजिक लेखा परीक्षकों को प्रशिक्षित करने, स्कूलों का निरीक्षण करने, रिपोर्ट तैयार करने और निष्कर्षों को आनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने के लिए जिम्मेदार होंगे।
सामाजिक आडिट का कार्य बी प्लस या उससे अधिक नैक रेटिंग वाले विश्वविद्यालयों और कालेजों को सौंपा जाएगा। ये टीमें यह मूल्यांकन करेंगी कि छात्रों को आरटीई अधिनियम और समग्र शिक्षा योजना के तहत मिलने वाले लाभ जैसे यूनिफार्म, किताबें, छात्रवृत्तियां और अन्य सुविधाएं समय पर और पारदर्शी तरीके से मिल रही हैं या नहीं।
आडिट में स्कूलों के बुनियादी ढांचे, जिसमें कक्षाओं की स्थिति, शौचालय, पेयजल, बिजली की आपूर्ति और खेल सुविधाओं की उपलब्धता की भी जांच की जाएगी। साथ ही छात्रों, विशेषकर छात्राओं की सुरक्षा और स्कूल वातावरण की संवेदनशीलता का भी मूल्यांकन होगा।
समग्र शिक्षा अभियान केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है, जिसे वर्ष 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य पहली से 12वीं तक की स्कूली शिक्षा में गुणवत्तापूर्ण सुधार लाना है।
जमीनी समस्याओं की पहचान होगी
- शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस प्रक्रिया से उन समस्याओं की पहचान करने में मदद मिलेगी, जो नियमित निरीक्षण या प्रशासनिक रिपोर्टों में सामने नहीं आ पातीं।
- उन्होंने कहा कि सामाजिक आडिट से हमें स्कूल स्तर पर वास्तविक चुनौतियों का पता चलेगा। इससे सरकार को सुधारात्मक कदम उठाने और योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।
- अधिकारियों के मुताबिक सोशल आडिट से न केवल स्कूलों के कार्यनिष्पादन में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि यह छात्र सुरक्षा को लेकर सरकार की जीरो टालरेंस पालिसी को भी मजबूती देगा।
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