सरकारी डेटा : दिल्ली में 'जहरीली' हवा ने बढ़ाया सांसों का संकट, 3 साल में 6 अस्पतालों में पहुंचे 2 लाख से ज्यादा मरीज
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में दिल्ली के छह बड़े अस्पतालों में श्वसन संबंधी बीमारियों के द ...और पढ़ें

प्रदूषण के कारण दिल्ली के कर्तव्य पथ पर छाई धुंध। पीटीआई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के प्रदूषण को लेकर लगातार चिंताजनक आंकड़े सामने आते रहते हैं। अब देश की संसद में इसे लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी आंकड़े पेश किए हैं, जो दिखाता है कि प्रदूषण और श्वास संबंधी बीमारियों का आपस में किस तरह से संबंध है।
एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने बताया है कि दिल्ली के छह प्रमुख केंद्रीय सरकारी अस्पतालों में 2022 और 2024 के बीच आपातकालीन विभागों में तीव्र श्वसन बीमारी (एआरआई) के 2,04,758 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 15 प्रतिशत मरीजों यानी 30,420 मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी।
राज्यसभा में मनोनीत सांसद डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी के सवाल पर यह डाटा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रतापराव जाधव ने सदन में पेश किया।
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डॉ. साहनी ने पूछे ये सवाल-
- क्या मंत्रालय ने शहरी इलाकों में बढ़ते प्रदूषण और सांस से जुड़ी बीमारियों में क्या संबंध है उसका अध्ययन किया है?
- मेट्रो शहरों खासतौर से दिल्ली में 2022 से 2025 के बीच अस्थमा, सीओपीडी और लंग इंफेक्शन के कितने मरीज बढ़े और कितने भर्ती हुए इसका आंकड़ा
- क्या मंत्रालय की ऐसी कोई नीति निर्माण की योजना है जिसमें वायु प्रदूषण और श्वास संबंधी बीमारियों से क्या कनेक्शन है ये समझा जा सके?
साल दर साल दिल्ली के 6 अस्पतालों एम्स, सफदरजंग, एलएचएमसी ग्रुप, आरएमएल, एनआईटीआरडी, वीपीसीआई में पहुंचे मरीजों का आंकड़ा-
| वर्ष (Year) | आपातकालीन केस (Emergency Cases) | भर्ती (Admissions) |
| 2022 | 67,054 | 9,874 |
| 2023 | 69,293 | 9,727 |
| 2024 | 68,411 | 10,819 |
सरकार ने माना प्रदूषण से बढ़ती हैं सांस की बीमारियां
हालांकि 2024 में इमरजेंसी विजिट में मामूली गिरावट देखी गई लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में बढ़त दिखाता है कि जो मामले अस्पताल में पहुंच रहे हैं वो ज्यादा गंभीर हैं।
सरकार ने सदन में माना है कि वायु प्रदूषण, सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ाने में मुख्य कारक है। हालांकि सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार होते हैं जैसे- खान-पान, पेशा, सामाजिक आर्थिक स्थिति और पहले से कोई बीमारी।
ICMR की स्टडी ने दिए सबूत
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की कई शहरों में की गई स्टडी में यह सामने आया है कि वायु प्रदूषण बढ़ते ही अस्पतालों में इमरजेंसी में सांस संबंधी मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है।
इस स्टडी में 33000 हजार से ज्यादा मरीजों का अध्ययन किया गया जिसमें खराब वायु गुणवत्ता और सांस की बीमारियों में साफ संबंध दिखाई देता है। हालांकि यह स्टडी इनके बीच सीधा कारण साबित करने में विफल रही।

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