गिग वर्कर्स की वायु प्रदूषण से सुरक्षा व मुआवजे की मांग तेज, सरकार और एप कंपनियों से की हस्तक्षेप की अपील
दिल्ली में गिग वर्कर्स ने वायु प्रदूषण से सुरक्षा और मुआवजे की मांग तेज कर दी है. उन्होंने सरकार और ऐप कंपनियों से तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। गिग वर्कर इंडिया ने सरकार से गिग वर्कर्स को कानूनी तौर पर श्रमिक का दर्जा और अन्य सुविधाए दिए जाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है। गिग वर्कर इंडिया का कहना है कि राष्ट्रीय राजधानी समेत देश के कई हिस्सों में बढ़ते वायु प्रदूषण का सबसे गंभीर असर गिग वर्कर्स और एप आधारित श्रमिकों पर पड़ रहा है।
डिलीवरी ब्वॉय, कैब-ऑटो ड्राइवर, बाइक टैक्सी, कूरियर और ई-कामर्स से जुड़े लाखों श्रमिक प्रतिदिन खुले में लंबे समय तक काम करने को मजबूर हैं। गिग वर्कर इंडिया ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए सरकार और एप कंपनियों से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
संगठन के अनुसार प्रदूषण के कारण गिग वर्कर्स को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, खांसी, अस्थमा, फेफड़ों की बीमारियां, सिरदर्द और लगातार थकान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद इनके लिए न तो कोई विशेष स्वास्थ्य बीमा है और न ही बीमारी के दौरान आय की भरपाई की व्यवस्था।
काम न करने पर आय पूरी तरह बंद हो जाती है और कई मामलों में आईडी ब्लॉक या इंसेंटिव में कटौती का खतरा रहता है। गिग वर्कर इंडिया का कहना है कि खराब एक्यूआई, स्माग या जीआरएपी लागू होने के बावजूद अधिकतर एप कंपनियां काम बंद नहीं करतीं। आरोप लगाया कि श्रमिकों को एन-95 मास्क, हेल्थ चेक-अप या अन्य सुरक्षा उपकरण भी उपलब्ध नहीं कराए जाते और प्रदूषण में काम करने को ‘जोखिम भत्ता’ के रूप में मान्यता नहीं दी जाती।
उनके परिवार को आर्थिक सुरक्षा भी नहीं मिलती। गिग वर्कर इंडिया ने मांग की कि खराब एक्यूआइ वाले दिनों में विशेष प्रदूषण भत्ता दिया जाए, मुफ्त एन-95 मास्क और नियमित मेडिकल जांच सुनिश्चित हो, प्रदूषण से प्रभावित श्रमिकों को आर्थिक सहायता मिले और गिग वर्कर्स को कानूनी रूप से श्रमिक का दर्जा दिया जाए। साथ ही एप कंपनियों की जवाबदेही तय करने और श्रमिक सुरक्षा को अनिवार्य बनाने की भी मांग की गई है।

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