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    आग के मुहाने पर बैठी है आधी दिल्ली, इन रिहायशी इलाकों और बाजारों पर मंडरा रहा है खतरा

    By Abhishek TiwariEdited By:
    Updated: Mon, 13 Jun 2022 11:21 AM (IST)

    राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ऐसे कई रिहायशी इलाके और बाजार हैं जहां पर कभी भी आग लगने की बड़ी घटना हो सकती है। हादसा होने की स्थिति में इन जगहों पर बचाव कार्य मुश्किल से चलाया जा सकता है।

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    आग के मुहाने पर बैठी है आधी दिल्ली, इन रिहायशी इलाकों और बाजारों पर मंडरा रहा है खतरा

    नई दिल्ली [धनंजय मिश्रा]। रविवार तड़के करोल बाग के जिस संघन इलाके में आग लगी थी भले ही उसमें कोई हताहत नहीं हुआ है, लेकिन राजधानी दिल्ली में इस तरह के इलाके हमेशा आग के मुहाने पर रहते हैं। हकीकत यह है कि करीब आधी दिल्ली आग के मुहाने पर बैठी है। ना केवल पुरानी दिल्ली बल्कि अन्य कई रिहायशी इलाके और प्रमुख बाजार इस प्रकार से बसे हैं कि वहां, हादसा होने पर बचाव कार्य मुश्किल से चलाया जा सकता है।

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    इन इलाकों बनाए गए मकानों में अवैध रूप से व्यावसायिक और औद्योगिक इकाइयां चलाई जा रही हैं। इसके साथ ही पुरानी इमारतों में लगातार निर्माण कर इसे ओर कमजोर कर दिया गया है। लिहाजा एक छोटी सी चिंगारी लोग के लिए काल साबित हो रहे हैं। साथ इन इमारतों के धराशाई होने का भी खतरा बना हुआ है।

    करोल बाग के जूता मार्केट में लगी आग से वर्षों से वहां पर अपनी दुकानें चला रहे दर्जन भर दुकानदारों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। इन दुकानों में आग से बचाव के साधन पर्याप्त नहीं थे। इन इलाकों में नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य किया गया है।

    दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि जूता मार्केट की इमारतों में आमतौर पर भूतल पर दुकानें होती हैं, जबकि बिक्री के लिए जूतों का स्टोर और जूता निर्माण आदि इमारत के ऊपर किया जाता है। चूंकि इसमें अधिकतर इमारतें पुरानी हैं। लिहाजा वहां अग्निशमन के उपाए नहीं किए गए हैं। आपातकाल की स्थिति में निकास के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इमारतों में लगातार निर्माण के चलते वह कमजोर हो चुकी है। ऐसी स्थिति में यहां पर हमेशा खतरा बना रहता है।

    दिन में लगती आग तो जाती कइयों की जान

    कारोल बाग में रोजाना लाखों लोग खरीदारी करने आते हैं। यहां स्थानीय लोगों के अलावा अन्य राज्यों के कारोबारी भी थोक में सामान खरीदने आते हैं। यदि यह हादसा दिन के समय होता तो कई लोगों की जान जा सकती थी। इसके साथ ही सड़कों पर लोगों की भारी भीड़ के बीच दमकल विभाग को यहां पर पहुंचने में काफी देर लगती।