रोजाना सुबह उठते ही मिली पापा के हाथ से बनी चाय
एक बच्चे के जीवन में पिता की अहमियत उस वृक्ष की तरह है जो उसे छाया देता है।
एक बच्चे के जीवन में पिता की अहमियत उस वृक्ष की तरह है, जो उसे छाया देता है। चाहे कितनी भी बड़ी चुनौती जीवन में आ जाए, पिता कभी धूप रूपी कठिनाइयों का अहसास अपने बच्चे को नहीं होने देता। लॉकडाउन के पहले मैं सुबह जल्दी घर से काम पर निकल जाता था और जब लौटता था, तब पापा सो गए होते थे। उनसे बातचीत का कभी ज्यादा अवसर नहीं मिलता था, पर लॉकडाउन के दौरान मुझे अपने पापा से ढेर सारी बातें करने का और उन्हें समझने का अवसर मिला। मुझे पता चला कि मेरे पिता काफी आधुनिक विचारों के हैं। वे घर के कामों में मां की काफी मदद करते हैं। जरूरतमंद की मदद को तत्पर रहते हैं। सबसे खास बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान मुझे रोजाना सुबह उठते ही उनके हाथ से बनी चाय पीने का अवसर मिला। पापा और मैं मौका मिलने पर देश-विदेश के राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इसके अलावा हम साथ मिलकर बागवानी करते हैं। लॉकडाउन ने मुझे मेरे पिता से मिलवाया है। मैंने पाया कि मेरे अंदर जो भी अच्छी आदत है, वह सब मुझे मेरे पापा से मिली है। डॉ. विशाल चौधरी, नजफगढ़