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    कॉमर्शियल वाहनों को छूट देने वाला फर्जी स्टिकर गिरोह बेनकाब, 10 साल से कर रहे थे 'धंधा'; मास्टरमाइंड समेत तीन दबोचे

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 09:51 PM (IST)

    दिल्ली में कमर्शियल वाहनों को छूट देने वाले एक फर्जी स्टिकर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यह गिरोह पिछले 10 सालों से सक्रिय था। पुलिस ने इस मामले में मास् ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्मक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। कॉमर्शियल गाड़ियों को ट्रैफिक नियमों से गैर-कानूनी तरीके से छूट देने के लिए धोखाधड़ी वाले स्टिकर का इस्तेमाल हाल फिलहाल ही नहीं बल्कि पिछले दस वर्षों से चल रहा था। पुलिस गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ कर आगे की जांच कर रही थी कि इसी तरह के ऑर्गनाइज्ड सिंडिकेट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने तीसरे एक्टिव मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपितों को दबोचा है।

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    सबकी अलग-अलग थी जिम्मेदारी

    गिरफ्तार आरोपितों में गिरोह का किंगपिन रिंकू राणा और उसके दो साथी शामिल हैं। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान मास्टरमाइंड रिंकू राणा उर्फ भूषण, सोनू शर्मा और मुकेश उर्फ पकौड़ी के रूप में हुई है। राणा और सोनू शर्मा को बृहस्पतिवार सुबह संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से गिरफ्तार किया गया। सोनू का काम बिक्री के लिए वाट्सएप ग्रुप चलाना और पुलिस चेकपाइंट्स के बारे में रियल-टाइम अलर्ट भेजना था, जिससे धोखाधड़ी का सुनहरा जाल बिछाया जा सके।

    सात प्राॅपर्टी के दस्तावेज बरामद

    तलाशी के दौरान इनके कब्जे से 500 से अधिक स्टिकर और अपराध से कमाए गए 31 लाख रुपये नकद और दिल्ली और हरियाणा में सात प्राॅपर्टी के दस्तावेज बरामद हुए, जिनके बारे में माना जा रहा है कि अपराध से कमाए गए पैसे से खरीदी गई थीं और आपरेशन चलाने के लिए इस्तेमाल किए गए छह मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं। इनके साथ ही अब तक पुलिस गिरोह के आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनसे पूछताछ कर अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है।

    दो गिरोह का भंडाफोड़, पांच गिरफ्तार

    क्राइम ब्रांच के उपायुक्त संजीव कुमार यादव के मुताबिक, शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि गिरोह वर्ष 2015 से एक्टिव था। सरकारी और ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों को टारगेट करके वसूली करने में माहिर इस गिरोह की लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं। पुलिस ने बुधवार को दो गिरोह का भंडाफोड़ कर पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया था।

    वीडियो का डर दिखाकर वसूली

    इनमें से एक गिरोह राजू मीणा चला रहा था जो ट्रांसपोर्टरों से पैसे ऐंठने में शामिल था और ट्रैफिक पुलिस के चालान काटते या दूसरे सरकारी काम करते समय उनके वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करता था। वह सरकारी अधिकारियों और दूसरों से पैसे लेते हुए मनगढ़ंत वीडियो क्लिपिंग को पब्लिक करने, उनका करियर खराब करने की धमकी देकर दबाव बना उगाही कर रहा था।

    कॉमर्शियल वाहन स्वामियों से वसूली

    वहीं, जीशान अली नाम का आरोपित चला रहा था जो नो-एंट्री पाबंदियों के दौरान व्यावसायिक वाहनों की आवाजाही को आसान बनाने का काम कर रहा था। जीशान हर माह दो हजार से पांच हजार रुपये प्रति स्टिकर प्रति गाड़ी के हिसाब से बेच रहा था।

    सिंडिकेट के खिलाफ मकोका का मुकदमा

    क्राइम ब्रांच ने सिंडिकेट के खिलाफ मकोका के तहत एफआइआर दर्ज की है, जो 10 साल से अधिक समय से चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, कई पुलिस अधिकारी जो अभी काम कर रहे हैं और रिटायर हो चुके हैं, जांच के दायरे में हैं। संदिग्धों की काल डिटेल्स और आइपी डिटेल्स, उनके वाट्सएप चैट और फोन बुक की जांच की जा रही है।

    कमांड और कंट्रोल सेंटर की तरह काम करता था गिरोह

    पूरा ऑपरेशन बहुत ही स्ट्रक्चर्ड और तकनीक से चलता था। सरगनाओं में से एक, जीशान अली, वाट्सएप ग्रुप्स के जरिये अपने फील्ड ऑपरेटरों के साथ गाड़ियों की मूवमेंट को कोआर्डिनेट करता था।

    ये ग्रुप कमांड और कंट्रोल सेंटर की तरह काम करते थे, जो रास्तों पर रियल-टाइम डायरेक्शन देते थे, चेकपाइंट्स को कोआर्डिनेट करते थे और ट्रैफिक पुलिस की पोजीशन और मूवमेंट पर अपडेट देते थे ताकि स्टिकर वाली गाड़ियां सुरक्षित रूप से निकल सकें।

    गैर-कानूनी कमाई मास्टरमाइंड के परिवार और दोस्तों के नाम पर बने कई बैंक अकाउंट्स के जरिए होती थी। सिंडिकेट ने गैर-कानूनी स्टिकर्स में हर महीने बदलाव किए, उनके डिजाइन, रंग और कोड बदल दिए, ताकि पता न चले।

    उत्तम नगर में छपवाते थे स्टिकर

    पुलिस जांच में आरोपितों ने बताया कि इन फर्जी स्टिकरों को पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में छपवाया जाता था। हालांकि इसमें प्रिंटर की भूमिका संदिग्ध नहीं मिली है क्योंकि इन स्टिकरों का डिजाइन इस तरह से बनाया जाता था कि किसी को शक न हो। पुलिस इनसे पूछताछ कर रही है कि वह और कहां-कहां इन स्टिकरों को छपवाकर खपाते थे।

    अहम बिचौलिया था मुकेश

    नई गिरफ्तारी में मुकेश उर्फ पकौड़ी, राजू मीणा का साथी है, जिसे पहले गिरफ्तार किया गया था। मुकेश ग्रुप के लिए एक अहम बिचौलिया था, जो सरकारी और पुलिस अधिकारियों को टारगेट करके वसूली करने में माहिर था। मुकेश ने सिंडिकेट के लिए मामलों को 'सेटल' करने में अहम भूमिका निभाई और ट्रैफिक पुलिस और ड्राइवरों के बीच लेनदेन का काम करता था।

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