फर्जी लेटरहेड बनाकर गरीबों से करता था ठगी, सीएम ऑफिस का अधिकारी बन अस्पतालों को देता था आदेश; आरोपी गिरफ्तार
एक व्यक्ति ने मुख्यमंत्री कार्यालय का फर्जी लेटरहेड बनाकर गरीबों को ठगा। वह खुद को सीएम ऑफिस का अधिकारी बताकर अस्पतालों को आदेश देता था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच कर रही है।

गिरफ्तार किया गया आरोपी। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री कार्यालय के नाम पर फर्जी लेटरहेड बनाकर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने आए गरीब मरीजों के साथ ठगी करने वाले शातिर ठग को सिविल लाइंस थाना पुलिस की टीम ने दबोचा है। आरोपी खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय का अधिकारी बताता था और फर्जी लेटरहेड पर अस्पतालों को ईडब्ल्यूएस कोटे में मुफ्त इलाज का निर्देश देने वाले पत्र तैयार करता था और खुद अस्पताल के अधिकारियों को फोन करने के लिए अपनी फर्जी पहचान का इस्तेमाल करता था।
आरोपी की पहचान बादली, झज्जर, हरियाणा के सोनू के रूप में हुई है, जो दिल्ली नगर निगम में ठेके पर माली का काम करता है। उसके कब्जे से वारदात में इस्तेमाल मोबाइल फोन, दो सिमकार्ड, सीएम कार्यालय का असली लेटर, एक बैग, जिसमें सीएम आफिस के अलावा कई और फर्जी लेटर, दिल्ली नगर निगम का फर्जी आइडी और फर्जी नंबर प्लेट लगी बाइक बरामद की है। पुलिस उससे पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।
उपायुक्त राजा बांठिया के मुताबिक, मुख्यमंत्री के ओएसडी एस.सी. वशिष्ठ ने सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि महाराजा अग्रसेन अस्पताल के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के आधिकारिक मेल आइडी पर एक पत्र भेजा था जिसमें सीएम आफिस के प्रभारी अधिकारी अनिल अग्रवाल के हस्ताक्षर वाले लेटर हेड के बारे में पुष्टि मांगी गई थी।
इस लेटरहेड का इस्तेमाल महाराजा अग्रसेन अस्पताल में श्याम शंकर नामक एक मरीज के इलाज के लिए किया गया था। अस्पताल प्रबंधन को एक संदिग्ध मोबाइल नंबर से एक फोन भी आया और कालर ने खुद को मुख्यमंत्री कार्यालय का एक अधिकारी बलबीर सिंह राठी बताया और अस्पताल अधिकारियों को उपरोक्त मरीज का इलाज आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के तहत करने का निर्देश दिया था।
अधिकारियों को शक इसलिए हुआ क्योंकि लेटर में स्पेलिंग की गलतियों के अलावा उसको ठीक से टाइप भी नहीं किया गया था। सीएम कार्यालय में जो टाइपिंग का फोंट इस्तेमाल होता है, वह उससे भी मेल नहीं खा रहा था। लेटर पर हस्ताक्षर भी नकली थे। सीएम कार्यालय ने लेटर की जांच की तो वह फर्जी निकला। शिकायत मिलने के बाद सिविल लाइंस थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी। मामले की जांच के लिए कई टीमों का गठन कर दिया।
मामले की छानबीन के लिए पुलिस ने सबसे पहले मरीज श्याम शंकर से लेटर के संबंध में पूछताछ की। श्याम ने बताया कि लेटर उसकी पत्नी अंजु किसी सोनू नामक व्यक्ति से लेकर आई है। सोनू के मोबाइल फोन की सीडीआर निकलवाई गई तो पता चला कि मोबाइल सोनू के नाम से रजिस्टर्ड है, उसके आधार पर आरोपित का एक और नंबर मिला। दोनों मोबाइल पर बादली, झज्जर का पता मिला।
मोबाइल की लोकेशन करोल बाग स्थित एमसीडी के दफ्तर में एक्टिव मिली। 29 अक्तूबर को टीम ने वहां छापेमारी की, लेकिन आरोपित वहां से फरार मिला। दफ्तर से आरोपित का एक बैग व फर्जी नंबर प्लेट लगी बाइक बरामद हुई। आरोपित के बैग में एमसीडी का आइकार्ड, सीएम दफ्तर के फर्जी लेटर और अन्य सामान बरामद हुआ।
पुलिस ने उनको कब्जे में लिया। बाद में टेक्निकल सर्विलांस के आधार पर आरोपित को 30 अक्तूबर को डबल स्टोरी, टैगोर गार्डन से दबोच लिया गया। उसके पास से एक मोबाइल फोन बरामद हो गया। पूछताछ के दौरान आरोपित ने अपना अपराध कबूल कर लिया।
मुफ्त इलाज के नाम पर लेता था पैसे
नगर निगम में ठेकेदार के पास माली का काम करने के दौरान कुछ माह पहले आरोपित के हाथ सीएम कार्यालय का एक लेटर लग गया। उसने उसके फर्जी लेटर बनवाए और गरीब मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने की योजना बनाई। वह प्राइवेट अस्पताल के आसपास घूमकर अपना शिकार ढूंढता।
बाद में वह पांच हजार रुपये में ईडब्ल्यूएस कौटे में मुफ्त इलाज कराने के नाम पर सीएम कार्यालय की ओर से फर्जी लेटर गरीबों को थमा देता था। खुद को सीएम कार्यालय का फर्जी अधिकारी बलबीर सिंह राठी बताकर अस्पताल को काल भी करता था। आरोपित ने इसी तरह कई लोगों का इलाज भी करवाया।
उसने यह भी बताया कि वह अपनी मोटरसाइकिल पर फर्जी नंबर प्लेट लगाकर इस्तेमाल करता था ताकि कोई उसका पता न लगा सके। वर्ष 2023 में वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आया था। कुछ ही दिनों बाद एक निजी कंपनी के जरिए वह दिल्ली नगर निगम में माली के रूप में नौकरी पर लग गया।

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