'एक भारत श्रेष्ठ भारत' को दिल्ली में बढ़ावा, राजधानी के चौराहों पर दिखेगी देश की कला-संस्कृति की झलक
दिल्ली में 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' अभियान के तहत राजधानी के चौराहों पर देश की कला-संस्कृति की झलक दिखेगी। इसका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करना और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस परियोजना से स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और दिल्ली एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में उभरेगा। दिल्ली सरकार इस पहल को लेकर उत्साहित है।

केंद्र सरकार के कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत को दिल्ली में बढ़ावा दिया जा रहा।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत को दिल्ली में बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों के त्योहार को भव्य तरीके से आयोजित करने में दिल्ली सरकार अपना योगदान दे रही है। राज्यों के स्थापना दिवस पर सरकार कार्यक्रम आयोजित करती है।
अब राजधानी के प्रमुख चौराहों पर भी इसकी झलक मिलेगी। इन्हें अलग-अलग राज्यों की कला संस्कृति, वहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल और सशस्त्र बलों की थीम पर सजाने की योजना तैयार की जा रही है।
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इसके लिए विशेष सुंदरीकरण अभियान शुरू किया है। इस पहल के अंतर्गत दिल्ली के 41 प्रमुख गोलचक्करों का चयन किया गया है। इस योजना का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में भारत की संस्कृतिक, कला और ऐतिहासिक विविधता को प्रदर्शित करना है, ताकि दिल्ली पूरे देश की भावना को प्रतिबिंबित करे। हर गोलचक्कर को उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की विशिष्ट पहचान के अनुसार सजाया जाएगा।
इनमें राजस्थान के किले और महल, ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर, उत्तर प्रदेश का अयोध्या राम मंदिर, सिक्किम के मठ, केरल के बैकवाटर, गुजरात के स्टैच्यू आफ युनिटी और उत्तर-पूर्व की बांस कला जैसी झलकियां शामिल होंगी। कुछ गोलचक्करों को भारतीय सशस्त्र बलों को समर्पित किया जाएगा।
इन गोलचक्करों पर थल सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रतीक प्रदर्शित किए जाएंगे। वीरता, अनुशासन को प्रदर्शित करने के साथ ही बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के अंतर्गत कलात्मक लैंडस्केपिंग, उन्नत प्रकाश व्यवस्था, मूर्तिकला, भित्तिचित्र और थीमैटिक हरियाली शामिल होंगे।
पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा, “दिल्ली देश की राजधानी है। इस शहर का हर कोना भारत की एकता में विविधता, यहां कि संस्कृति और सशस्त्र सेनाओं की वीरता को प्रदर्शित करेगा। इसके लिए यह पहल की गई है। इस पहल के माध्यम से गोलचक्करों को गौरव प्रतीक में बदला जा रहा है।

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