अल फलाह ट्रस्ट में 194 करोड़ के संदिग्ध लेन-देन पर ED सख्त, संस्थापक जवाद अहमद पर कसता जा रहा कानूनी शिकंजा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अल फलाह ट्रस्ट में 194 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन की जांच कर रहा है। ट्रस्ट के संस्थापक जवाद अहमद पर कानूनी शिकंजा कस रहा है। ईडी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह लेन-देन मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। ट्रस्ट के बैंक खाते सील कर दिए गए हैं और आगे की जांच जारी है।

फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। ईडी की हिरासत में 'सच उगल' रहे अल फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवद अहमद सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक, अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट और इससे जुड़े ट्रस्टियों के खातों में 2005 से 2019 के बीच करीब 194.75 करोड़ रुपये की लेन-देन की बात सामने आयी है।
फंड के हर लेनदेन की बना रहे रिपोर्ट
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के मुताबिक, जांच में यह भी पता चला है कि पुस्तक प्रकाशन और कंस्ट्रक्शन के नाम पर भी बीते सात वर्षों में करोड़ों रुपये विदेशों से दान में लिए गए हैं। ऐसे में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ट्रस्ट से जुड़े 12 अकाउंट की जांच करने के साथ ही जवाद के पांच करीबियों से पूछताछ कर रही है। विदेशों से मिली राशि कब और कहां निकाली गई, कहां खर्च किए गए, इसका भी पता लगाया जा रहा है।
इन पांच लोगों पर गहराया शक
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने पांचों करीबियों को काॅल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) के आधार पर चिन्हित किया है। जवाद अहमद सिद्दीकी फोन पर ज्यादातर इन्हीं पांच लोगों के संपर्क में था। अल फलाह यूनिवर्सिटी के हाॅस्टल व मेस फीस के लगभग 15.79 करोड़ रुपये दुबई में अमला इंटरप्राइज और कारकुन कंस्ट्रक्शन को भेजे गए।
दान देने वाले एनजीओ भी पर
जांच में इसके सुबूत मिले हैं कि इनका संचालन जवाद के रिश्तेदार करते हैं। कारकुन कंस्ट्रक्शन को निर्माण संबंधी कांट्रैक्ट के लिए मोटी रकम दी गई। वहीं, अलग-अलग अकाउंट से 2.45 करोड़ से अधिक की धनराशि निकाली भी गई। पिछले 7-8 वर्षों में इंग्लैंड की संस्थाओं से भी ट्रस्ट ने पुस्तक प्रकाशन के नाम पर लगभग 10 हजार डाॅलर दान लिए। दान देने वाले एनजीओ भी ईडी की रडार पर हैं।
अर्जित राजस्व की चल रही जांच
अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी, अल फलाह स्कूल ऑफ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग, अल फलाह यूनिवर्सिटी और अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के बैंक खातों में एक ही पैन नंबर इस्तेमाल किया गया। वित्तीय नियंत्रण के लिए आईटीआर अल फलाह ट्रस्ट के नाम पर भरे गए। ईडी की जांच में आया था कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने अपनी नैक मान्यता स्थिति को गलत तरीके से प्रस्तुत किया।
नैक मान्यता 2011 से 2015 तक 'ए' ग्रेड
अल फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाॅजी की नैक मान्यता 2013 से 2018 तक और डिपार्टमेंट आफ टीचर एजुकेशन की नैक मान्यता 2011 से 2015 तक 'ए' ग्रेड थी। नवीनीकरण कराए बिना ही 'ए' ग्रेड की मान्यता का दावा करते हुए लगातार एडमिशन लिए गए। यूनिवर्सिटी ने वित्तीय वर्ष 2018 से 2025 तक 415.10 करोड़ रुपये का शैक्षिक राजस्व अर्जित किया, जिसकी जांच ईडी कर रही है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।