दुबई में बैठे सरगना के इशारों पर धोखाधड़ी करने वाले पांच जालसाज गिरफ्तार, आरोपियों में बैंक मैनेजर भी शामिल
दुबई में बैठे एक सरगना के इशारे पर धोखाधड़ी करने वाले पांच जालसाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में एक बैंक मैनेजर भी शामिल है। पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और दुबई में बैठे सरगना की तलाश जारी है। आशंका है कि इस गिरोह ने कई लोगों को धोखा दिया है।

दुबई में बैठे सरगना के इशारों पर करते थे ठगी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दुबई में बैठे भारतीय सरगना के निर्देशों पर लोगों को ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने आरबीएल बैंक अधिकारी सहित कुल पांच जालसाजों को दबोचा है। आरोपितों ने धोखाधड़ी से प्राप्त धन को ठिकाने लगाने के लिए फर्जी फर्मों और कई चालू खातों का इस्तेमाल किया।
इन्हें प्रत्येक फर्जी बैंक खाते पर 1.5 लाख कमीशन मिलती थी। जांच में पुलिस टीम को गिरोह की देशभर में 52 साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों का पता चला। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान आरबीएल बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर अनूप, हरियाणा, हिसार के मंजीत सिंह, सोनीपत, हरियाणा की मन्शवी, उत्तम नगर के मनीष मेहरा और भिवानी, हरियाणा के सोमबीर के रूप में हुई है। इनके कब्जे से 18 मोबाइल फोन, 36 सिम कार्ड और 1 लैपटाप बरामद हुआ है।
उपायुक्त आदित्य गौतम के मुताबिक, इसी वर्ष 23 जून को एक शिकायत की जांच में पता चला कि नोएडा और गुरुग्राम से संचालित एक संगठित गिरोह दुबई स्थित टाम नामक व्यक्ति के निर्देश पर काम कर रहा है। तकनीकी निगरानी पुलिस टीम को गुरुग्राम के एक आवासीय परिसर में आरोपितों के ठिकाने का पता चला।
सूचना पर एसीपी अनिल शर्मा की देखरेख में और इंस्पेक्टर संदीप सिंहघूम के नेतृत्व में गठित टीम ने 27 अक्टूबर को छापेमारी करते हुए मंजीत, मन्शवी और सोमबीर को गिरफ्तार कर लिया। उनके ठिकानों से दस मोबाइल फोन, एक लैपटाप और कई चेकबुक बरामद की गईं। बाद में उनकी निशानदेही पर मनीष मेहरा और उसके बाद बैंक अधिकारी अनूप को भी गिरफ्तार किया गया, जो फर्जी बैंक खाते खोलने और उनके संचालन में मदद करते पाए गए थे।
पूछताछ में पता चला इस गिरोह का संचालन दो व्यक्तियों द्वारा किया जाता था, जो दुबई से काम कर रहे थे। इसके अलावा गिरोह में शामिल मंजीत और मन्शवी ने फर्जी फर्में बनाईं और जालसाजी से प्राप्त धन के लेन-देन के लिए कई चालू खाते खोले। सोमबीर गिरोह में एकाउंटेंट के रूप में काम करता था, जिसने व्यय लाग बनाए थे और दुबई स्थित हैंडलर को अपडेट करता था।
मनीष मेहरा ओटीपी एक्सेस प्रदान करता था और डेबिट व क्रेडिट लेनदेन का समन्वय करता था। अनूप ने धोखाधड़ी वाले खाते खोलने में मदद की और खाता फ्रीज करने और एनसीआरपी शिकायतों से संबंधित गोपनीय सूचनाएं लीक कीं। जांच में पता चला कि प्रत्येक संचालक को धोखाधड़ी के लिए खोले गए प्रत्येक बैंक खाते पर 1.5 लाख का कमीशन मिलता था।
जालसाजों ने बना रखी थीं तीन फर्जी फर्में
पूछताछ के दौरान, आरोपितों ने बताया कि उन्होंने तीन फर्जी फर्में बनाई हुईं थीं और ठगी की गई धनराशि को ठिकाने लगाने के लिए बोल्डब्रिज और एक्सेलेंसिया जैसे नामों से आठ चालू खाते खोले। धनशोधन की गई धनराशि को कई खातों में जमा किया गया और अंततः स्रोत को छिपाने और अंतरराष्ट्रीय हस्तांतरण को आसान बनाने के लिए क्रिप्टोकरेंसी वालेट में परिवर्तित कर दिया गया।
52 साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें मिलीं
एनसीआरपी के माध्यम से बरामद चेकबुक के सत्यापन से तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, केरल और हरियाणा में 52 साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें सामने आईं।

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