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    DU की डबल डिग्री नीति में महत्वपूर्ण बदलाव, रेगुलर के साथ पार्ट टाइम कोर्स में भी Degree ले सकते हैं छात्र

    Updated: Mon, 08 Dec 2025 08:44 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय ने दोहरी डिग्री नीति में बदलाव किया है, जिससे छात्र अब फुल-टाइम डिग्री के साथ पार्ट-टाइम डिग्री भी हासिल कर सकेंगे। पहले यह सुविध ...और पढ़ें

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    Delhi University

    लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपनी दोहरी डिग्री संबंधी नीति में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए छात्रों को अधिक लचीलेपन के साथ बड़ा अवसर दिया है। विश्वविद्यालय की नई व्यवस्था के तहत अब छात्र नियमित (फुल-टाइम) स्नातक या स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के साथ-साथ पार्ट-टाइम मोड में दूसरी डिग्री भी हासिल कर सकेंगे।

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    यह बदलाव उन छात्रों के लिए खास तौर पर उपयोगी साबित होने वाला है जो एक ही साथ दो अलग-अलग विषयों में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं, परंतु पहले डिस्टेंस लर्निंग तक ही सीमित थे।

    पहले की व्यवस्था में यदि कोई छात्र विश्वविद्यालय में नियमित कोर्स कर रहा था, तो दूसरी डिग्री केवल दूरस्थ शिक्षा पद्धति के तहत ही की जा सकती थी। लेकिन नई नीति इस प्रतिबंध को समाप्त कर व्यापक अवसर उपलब्ध कराती है। अब छात्र विश्वविद्यालय के भीतर ही पार्ट-टाइम कोर्स चुनकर अपने करियर की दिशा को और अधिक सुदृढ़ बना पाएंगे।

    नई व्यवस्था के अनुसार विद्यार्थी नियमित अध्ययन के साथ-साथ तीन वर्षीय पार्ट-टाइम एलएलएम, एमए (हिस्पैनिक स्टडीज) जैसे अन्य पेशेवर और भाषाई कार्यक्रमों को एक साथ कर सकेंगे। इससे न केवल छात्रों को विषयों के नए आयामों से जुड़ने का अवसर मिलेगा, बल्कि रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

    हालांकि, विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि दोनों पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित उपस्थिति, आंतरिक मूल्यांकन और परीक्षा संबंधी नियम अलग-अलग रूप से लागू होंगे। छात्र को दोनों कोर्सों की सभी शैक्षणिक आवश्यकताओं को समय पर पूरा करना होगा। यदि किसी परीक्षा में असफलता मिलती है, तो तय अवधि के भीतर पुनर्परीक्षा देकर उसे पूरा करना अनिवार्य होगा।

    शिक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली विश्वविद्यालय का यह कदम उच्च शिक्षा को अधिक लचीला, समावेशी और कौशल-आधारित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे छात्रों को अपनी रुचि, आवश्यकता और करियर लक्ष्यों के अनुरूप कोर्स चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी। विश्वविद्यालय का यह निर्णय भविष्य में बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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