मां-बेटी की बेरहमी से हत्या कर 23 और 18 साल से फरार हत्यारे गिरफ्तार, गुजरात से लेकर नेपाल सीमा तक हुई छापेमारी
दिल्ली पुलिस ने 23 और 18 साल से फरार दोहरे हत्याकांड के आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों ने एक मां और बेटी की बेरहमी से हत्या की थी। पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए जामनगर से नेपाल सीमा तक छापेमारी की। पुलिस की सक्रियता से आखिरकार आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सरिता विहार थाना क्षेत्र में मां-बेटी की हत्या करने वाले दो भगोड़ा घोषित आरोपितों को आखिरकार क्राइम ब्रांच की टीम ने दबोच लिया। इनमें से एक आरोपित वारदात के बाद 23 वर्षों से तो दूसरा बीते 18 वर्षों से फरार चल रहा था। इनकी पहचान जिला शिवहर, बिहार के अमलेश और सुशील कुमार के रूप में हुई है।
इनमें सुशील को पहले गिरफ्तार किया गया था और ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए उसे मौत की सजा सुनाई थी। हाई कोर्ट ने उसकी सजा को बरकरार रखते हुए उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। वह 2007 में पैरोल जंप कर फरार हो गया था।
उपायुक्त पंकज कुमार के मुताबिक, 28 जनवरी, 2002 को शिकायत दर्ज कराते हुए अनिल कुमार ने बताया कि मदनपुर खादर में अपने किराए के घर पर पहुंचने पर उन्होंने देखा कि घर का दरवाजा खुला पड़ा था और सामान बिखरा पड़ा था।
किचन का दरवाजा खोलने पर उनकी पत्नी अनीता और दो वर्षीय बेटी मेघा की लाशें खून से लथपथ पड़ी थीं। उनकी गला काटकर बेरहमी से हत्या की गई थी। शुरुआती जांच के दौरान सुशील कुमार को गिरफ्तार किया गया।
उसने बताया कि उसने अपने साथी अमलेश कुमार के साथ मिलकर चाकू से दोनों की हत्या की थी। उसने आगे बताया कि हत्या के पीछे उसका मकसद बिजनेस की दुश्मनी (टेलरिंग का काम) था, क्योंकि शिकायत करने वाले अनिल कुमार को उससे अधिक बिजनेस मिल रहा था।
दोनों को न्यायाल द्वारा भगोड़ा घोषित होने पर मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। जांच के दौरान हेड कांस्टेबल सुधीर को आरोपित की मौजूदा लोकेशन जामनगर, गुजरात में मिली।
खुफिया जानकारी के आधार पर एसीपी एमेश बर्थवाल की देखरेख में और इंस्पेक्टर विवेक मलिक के नेतृत्व में गठित टीम ने आरोपित अमलेश कुमार को जामनगर, गुजरात से दबोच लिया। इसके बाद आरोपित सुशील कुमार को भारत-नेपाल सीमा के पास लालगढ़ गांव से पकड़ा गया, जहां वह अपनी पहचान बदलकर छिपा हुआ था।
पूछताछ में अमलेश कुमार ने बताया कि उसने 8वीं तक पढ़ाई की है। वह शादीशुदा है और उसके चार बच्चे हैं। उसे गुजरात के जामनगर में फैक्ट्री में श्रमिक के रूप में काम कर रहा था। वहीं सुशील कुमार ने 9वीं तक पढ़ाई की थी। उसे बिहार में मजदूरी करते हुए पकड़ा गया था। पैरोल से फरार होने के बाद, वह कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में अपने ठिकाने बदल रहा था।

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