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    9 साल की कानूनी लड़ाई के बाद डॉक्टर सुशील गर्ग मुक्त, डीएमए ने बताया सत्य की जीत

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 10:49 AM (IST)

    दिल्ली के डॉक्टर सुशील गर्ग को नौ साल की कानूनी लड़ाई के बाद भ्रूण लिंग जांच के आरोप से मुक्त कर दिया गया है। कड़कड़डूमा न्यायालय ने उन्हें पीसीपीएनडीटी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं से दोषमुक्त किया। हरियाणा की टीम द्वारा दिल्ली में छापा मारने के अधिकार पर सवाल उठाया गया। डीएमए ने इसे सत्य की जीत बताया और डॉक्टर गर्ग की सराहना की।  

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। नौ वर्ष की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एक डाक्टर सुशील गर्ग को भ्रूण लिंग जांच के आरोप से मुक्त कर दिया गया। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) ने जानकारी दी कि कड़कड़डूमा न्यायालय ने 17 अक्टूबर को उन्हें पूर्व गर्भाधान एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसीपीएनडीटी) अधिनियम, 1994 तथा भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं से पूरी तरह दोषमुक्त घोषित किया।

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    मामला वर्ष 2016 का है, जब हरियाणा के रोहतक जिले की एक टीम ने दिल्ली में डाक्टर गर्ग के क्लिनिक पर छापा डाला था। शिकायतकर्ता डाक्टर कुलदीप सिंह ने भ्रूण लिंग की जांच के आरोप लगाए थे, परंतु न्यायालय ने पाया कि हरियाणा टीम को दिल्ली में छापा मारने का कोई विधिक अधिकार प्राप्त नहीं था। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में किसी का बयान दर्ज नहीं किया गया और न ही किसी दस्तावेज़ से अधिनियम के उल्लंघन का कोई प्रमाण मिला।

    इस पर डीएमए के अध्यक्ष डा. गिरीश त्यागी ने कहा कि न्याय में देर भले हो, परंतु सत्य की जीत अवश्य होती है। डाक्टर गर्ग की सत्यनिष्ठा, धैर्य और पेशागत इमानदारी की सराहना करते हुए समस्त उन्होंने चिकित्सकों से पीसीपीएनडीटी अधिनियम के प्रावधानों का पूर्ण पालन करने का आग्रह किया।