दिल्ली में दीवाली पर पटाखों का कहर, 200 से अधिक पक्षी घायल; अस्पताल में भर्ती
दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति के बाद, पिछले साल के मुकाबले इस साल डेढ़ गुना ज़्यादा घायल पक्षी अस्पतालों में लाए गए। चांदनी चौक के जैन पक्षी अस्पताल में 100 से ज़्यादा पक्षी लाए गए, जिनमें कौवे, कबूतर, चील और तोते शामिल थे। इनमें से कई पक्षियों के पंख और शरीर के अंग जल गए थे, और इलाज के दौरान 20 से ज़्यादा पक्षियों की मौत हो गई। आवारा कुत्ते भी घायल हुए।

दिवाली पर ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति के बाद, पिछले साल के मुकाबले इस साल डेढ़ गुना ज़्यादा घायल पक्षी अस्पतालों में लाए गए।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिवाली पर ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हुई। इस साल पिछले साल के मुकाबले डेढ़ गुना से भी ज़्यादा पक्षी इलाज के लिए पक्षी अस्पतालों में लाए गए। पिछले साल 127 पक्षी अस्पताल लाए गए थे, जबकि इस साल यह संख्या 200 से ज़्यादा रही।
दुखद बात यह है कि इनमें से 20 से ज़्यादा पक्षियों की इलाज के दौरान मौत हो गई। पक्षी अस्पताल से जुड़े लोगों के मुताबिक, पक्षियों के आने का सिलसिला अभी कुछ दिन और जारी रहेगा।
मंगलवार शाम तक चांदनी चौक स्थित जैन पक्षी अस्पताल में 100 से ज़्यादा पक्षी इलाज के लिए लाए गए। इसी तरह, शाहदरा और नजफगढ़ स्थित अन्य पक्षी एवं पशु अस्पतालों में भी देर शाम तक घायल पक्षियों को लाया जाता रहा। इनमें कौवे, कबूतर, चील, तोते व अन्य शामिल थे।
इनमें से ज़्यादातर पक्षियों के पंख और शरीर के अन्य अंग जल गए। चांदनी चौक पक्षी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. रामेश्वर यादव के मुताबिक, इस साल ज़्यादा संख्या में घायल पक्षी लाए गए हैं। शाम तक यह संख्या 100 तक पहुँच गई, जबकि पिछले साल यह लगभग 60 थी।
आने वाले दिनों में पक्षियों की संख्या और बढ़ेगी, क्योंकि और भी घायल पक्षी आ रहे हैं और पक्षी प्रेमी उन्हें इलाज के लिए ला रहे हैं। 2023 में, पटाखों से घायल लगभग 30 पक्षी चांदनी चौक अस्पताल में लाए गए, जबकि 2022 में 50 घायल पक्षी अस्पताल में भर्ती हुए।
डॉक्टरों के अनुसार, पक्षी रात में पेड़ों या छतों पर आराम करते हैं, जहाँ पटाखों से काफी नुकसान हुआ। नजफगढ़ स्थित जैन बर्ड हॉस्पिटल के अशोक जैन ने बताया कि अकेले उनके अस्पताल में ही लगभग 20 पक्षी लाए गए।
आवारा कुत्ते घायल
इसी तरह, आस-पड़ोस में रहने वाले आवारा कुत्ते भी पटाखों से घायल हुए और उन्हें इलाज के लिए विभिन्न पशु चिकित्सालयों में लाया गया।
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