'दिव्य कला मेले' में दिव्यांग कलाकारों की प्रदर्शनी ने किया मंत्रमुग्ध; CM रेखा गुप्ता ने किया उत्साहवर्धन
दिल्ली में 'दिव्य कला मेला' का आयोजन किया गया, जिसमें दिव्यांग कलाकारों की अद्भुत प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शनी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध ...और पढ़ें

कला प्रदर्शनी का अवलोकन करती मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और व्हीलचेयर पर प्रस्तुती पेश करते दिव्यांग। जागरण
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिव्यांगता मात्र एक शारीरिक स्थिति है, न कि क्षमता की कसौटी। कलाकार अमित खुद नहीं, बल्कि उनकी कूचियां संवाद करती हैं। पहाड़ों, गांवों और राजा रानी जैसे न जाने कितनी कहानियां सुनती हैं, खूब सारी बातें करती है, जिसमें सच्चाई और सपने दोनों हैं।
अमित वरदान बोल और सुन नहीं सकते, वह जन्म से मूक बधिर हैं, लेकिन उनकी प्रतिभा और जिजीविषा उन्हें किसी का मोहताज और जीवन को अभिशाप नहीं बनने देती। बल्कि, उनकी कल्पनाओं की उड़ान तथा अद्भुत कलाकारी उन्हें खास बना देती है।
प्रतिभा से किया चकित
इंडिया गेट पर आयोजित 'दिव्य कला मेले' में विभिन्न राज्यों से आए अमित वरदान जैसे दिव्यांग कलाकार, शिल्पकार और अन्य प्रतिभा के धनी, आम लोगों को अपनी प्रतिभा से चकित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता उन कलाकारों का उत्साहवर्धन किया तथा पेंटिंग्स, शिल्प समेत अन्य प्रतिभाओं की सराहना की।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित यह मेला 21 दिसम्बर तक आयोजित है, जिसमें 100 से अधिक दिव्यांग उद्यमी अपने शिल्प कौशल और उत्पाद के साथ आए हुए हैं अमित वरदान के कला और कौशल की शानदार झलक स्टाल नंबर-11 में उनके द्वारा बनाई गई तस्वीरें दे रही है।
विरासत में मिली कलाकृतियां
पहाड़ पर खेती करते किसान, घर की जर्जर दीवार और रानियों की विभिन्न भावों वाली सुंदर पेंटिंग्स हर दर्शक को अचंभित करते हैं। वह अपने हाथ से न केवल कलाकृतियां बनाकर उनमें संवेदनाओं के रंग भर रहे हैं बल्कि मानवीय भावनाओं को बखूबी व्यक्त कर रहे है। वह बताते हैं कि यह कलाकारी उन्हें विरासत में मिली। पिता भी चित्रकार थे।
वह भी बचपन से रंगों के साथ खेलते बड़े हुए। धीरे- धीरे पेंटिंग उनका जुनून बन गया। उन्होंने अपने इस हुनर को रुचि के साथ आगे बढ़ाया और आज माहिर कलाकार बन गए।
'आटिज्म फार वार' स्टाल ने खींचा ध्यान
मेले में आटिज्म फार वार के नाम से लगी स्टाल लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। इस पर घर को सजाने के समान से लेकर हैंड बैग आदि कई सुंदर कर काम की वस्तुएं उपलब्ध है। जिसे जसोला विहार की संस्था द्वारा प्रशिक्षित किए गए आटिज्म से प्रभावित बच्चों द्वारा तैयार किया गया है।
इसी तरह, मेले में घरेलू इस्तेमाल में आने वाली चीजों के साथ कपड़े खिलौने जैसे तमाम उत्पाद दिव्यांग जनों द्वारा तैयार किया गया हैं। मेले में मौजूद दिव्यांग कलाकारों में कई ग्रामीण पृष्ठभूमि तो कई शहरी क्षेत्रों से हैं। जो लकड़ी, कागजों, जूट, धागों और रंगों से बने अपने विभिन्न आकर्षक उत्पादों की स्टाल लगाए हैं। यह मेला

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।