दिल्ली में जलता कूड़ा बना सिरदर्द, बना प्रदूषण की प्रमुख वजह; लगातार बढ़ते जा रहे आंकड़े
दिल्ली में जलता कूड़ा एक बड़ी समस्या बन गया है, जो प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। कचरे के जलने से वायु गुणवत्ता खराब हो रही है और यह निवासियों के लिए स ...और पढ़ें

वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र के पास रेलवे लाइन किनारे जलता कूड़ा। जागरण आर्काइव
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है। ग्रैप पाबंदियों के बाद भी प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है। इस स्तर पर लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है और खांसी, आंखों में जलन और फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
इस जहरीली हवा के लिए कूड़े में आग लगने की बढ़ती घटनाएं भी प्रमुख कारण हैं। अग्निशमन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में इस वर्ष 30 नवंबर तक कूड़े में आग लगने की 4,753 काल्स मिलीं, जबकि बीते वर्ष समान अवधि में 4,676 काल्स मिली थीं।
इस साल आई अधिक घटनाएं
यानी इस वर्ष इस तरह की घटनाएं अधिक सामने आई हैं। इस वर्ष केवल अप्रैल माह में ही 1,030 कूड़े में आग लगने की घटनाएं सामने आईं, जबकि नवंबर माह में जब ग्रैप-4 की पाबंदियां लागू थीं, उसमें 973 ऐसी घटनाएं सामने आईं। यही नतीजा है कि नगर निगम और लोगों की लापरवाही से सांसों पर संकट बना हुआ है।
एक अग्निशमन विभाग अधिकारी के मुताबिक, दिल्ली में कूड़े में आग लगने की घटनाएं खासकर यमुनापार, गाजीपुर लैंडफिल और अन्य इलाकों से अधिक सामने आ रही हैं, जिससे भीषण प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं।
कचरे में आग लगने का सबसे आम कारण अनजाने में जलती हुई वस्तुओं, जैसे गर्म राख या कोई जलते हुए अंगारे को कचरे के ढेर में फेंकना है, जिससे आसपास का ढेर आग पकड़ लेता है। इसके अलावा, लोग अक्सर जलती हुई सिगरेट या बीड़ी के टुकड़े कचरे के ढेर में फेंक देते हैं, जिससे कचरे में आग लग जाती है और वह विकराल हो जाता है।
कूड़े में आग लगने से निकलने वाला धुआं जानलेवा
कचरा जलाने पर पीएम 2.5 के सूक्ष्म कण सांस के जरिए फेफड़ों में चले जाते हैं। कचरा जलाने के दौरान निकलने वाले जहरीले रसायनों में नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड और पालीसाइक्लिक कार्बनिक पदार्थ (पीओएम) शामिल हैं। उपचारित लकड़ी को जलाने से भी जहरीले रसायन निकलते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कूड़े में आग लगने से निकलने वाले सूक्ष्म कण (पीएम 2.5 और पीएम 10) वायु की गुणवत्ता को गंभीर रूप से खराब कर देते हैं।
11.72 लाख का लगाया जुर्माना
दिल्ली नगर निगम ने एक दिसंबर से 20 दिसंबर तक सभी 12 जोन के विभिन्न स्थानों पर निरीक्षण अभियान के लिए अधिकारियों के साथ कुल 356 निगरानी टीमें तैनात की थीं।
इस दौरान निगम ने कचरा या बायोमास को खुले में जलाने के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 420 उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ चालान जारी किए हैं। इन कार्रवाई के परिणामस्वरूप लगभग 11.72 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
कूड़े में आग लगने की काल्स - तुलना
| माह | इस वर्ष काल्स | बीते वर्ष काल्स |
|---|---|---|
| जनवरी | 147 | 244 |
| फरवरी | 272 | 203 |
| मार्च | 720 | 380 |
| अप्रैल | 1,030 | 759 |
| मई | 303 | 850 |
| जून | 259 | 581 |
| जुलाई | 90 | 51 |
| अगस्त | 62 | 40 |
| सितंबर | 256 | 72 |
| अक्टूबर | 641 | 668 |
| नवंबर | 973 | 828 |

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