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    Delhi-NCR में प्रदूषण बेकाबू, कई इलाकों में AQI 500 के पार; GRAP-3 की पाबंदियां बेअसर

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 09:57 AM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है, कई क्षेत्रों में AQI 500 से ऊपर है। GRAP-3 के प्रतिबंधों के बावजूद प्रदूषण कम नहीं हो रहा है। सोनिया विहार, वज़ीरपुर जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो रही हैं, डॉक्टरों ने घर में रहने की सलाह दी है।

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    सड़कों पर धूल सेंसर लगाने पर विचार कर रहा है सीएक्यूएम एनसीआर। pic credit-ANI

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर लोगों की सांसों पर बोझ बन गई है। तापमान में गिरावट, हवा की गति धीमी होने और लगातार बढ़ते प्रदूषण स्रोतों के कारण राजधानी दिन-ब-दिन धुंध की मोटी चादर में लिपटती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, रोज़ाना बढ़ता पीएम 2.5 और पीएम 10 स्तर इस बात का संकेत है कि दिल्ली की हवा अब खतरनाक श्रेणी को पार कर ‘गंभीर’ स्थिति में पहुंच गई है।

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    इस बीच, कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्तर पर दर्ज किया गया। वजीरपुर 556 AQI के साथ सबसे अधिक प्रदूषित रहा, वहीं सोनिया विहार में 500 और बुराड़ी में 477 दर्ज किया गया। ये आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्रदूषण का बोझ पूरे NCR पर समान रूप से बढ़ रहा है।

    Delhi-NCR  के कुछ प्रमुख इलाकों का हाल

    Air Quality Index (AQI) at Key Monitoring Stations
    Station Name AQI
    वजीरपुर 556
    सोनिया विहार 500
    बुराड़ी 477
    रोहिणी 473
    सत्यवती कॉलेज 469
    इंदिरापुरम 459
    चांदनी चौक 450
    वसुंधरा (गाजियाबाद) 449
    नोएडा सेक्टर-125 446
    नोएडा सेक्टर-116 444

    सोर्स- https://aqicn.org/

    दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए CAQM (Commission for Air Quality Management) अब NCR की मुख्य सड़कों पर डस्ट सेंसर लगाने पर विचार कर रहा है, ताकि सड़क धूल की वास्तविक निगरानी हो सके और स्रोतों पर तुरंत कार्रवाई की जा सके। अधिकारियों का मानना है कि सड़क धूल और निर्माण कार्यों में लापरवाही, प्रदूषण को लगातार बढ़ा रही है।

     

     

     

    Grap-3 के नियमों का उल्लंघन

    इसके बावजूद, GRAP-3 लागू होने के बावजूद एजेंसियां सख्ती दिखाने में नाकाम रहीं। निर्माण स्थलों पर रोक, पानी का छिड़काव, सड़क सफाई—इन सभी मोर्चों पर कई विभाग फेल साबित हुए हैं। नतीजा यह कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए बनाए गए प्रावधान कागजों तक ही सीमित दिखाई देते हैं, जबकि जमीन पर हवा और ज़्यादा जहरीली होती जा रही है।

    सरकारी एजेंसियों की लगातार चूक और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, दिल्ली-एनसीआर की हवा आने वाले दिनों में और बिगड़ सकती है, जो लोगों की सेहत के लिए बड़ी चिंता का विषय है।