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    दिल्ली-एनसीआर की एयर सिक्योरिटी को मिलेगा स्वदेशी कवच, तैनात होगा मल्टीलेयर इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 06:58 AM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर की वायु सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक स्वदेशी मल्टीलेयर इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया जाएगा। यह सिस्टम क्षेत्र की हवाई सुरक ...और पढ़ें

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    एनसीआर को मिलेगा खास सुरक्षा चक्र। सांकेतिक तस्वीर

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक बड़े घटनाक्रम में भारत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) को मिसाइलों, ड्रोन और तेज रफ्तार वाले विमानों जैसे दुश्मन के हवाई खतरों से बचाने के लिए स्वदेशी इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

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    वरिष्ठ रक्षा सूत्रों ने बताया कि एनसीआर की सुरक्षा के लिए मल्टीलेयर इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (आइएडीडब्ल्यूएस) स्वदेशी एयर डिफेंस मिसाइलों जैसे क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (क्यूआरएसएएम) सिस्टम और वेरी शार्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम के साथ तैनात होगा। आइएडीडब्ल्यूएस पर एनसीआर में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जिम्मेदारी होगी और यह भारतीय वायुसेना के अधीन होगा।

    DRDO करेगा प्रोडक्शन एजेंसियों के साथ काम

    रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) इस परियोजना पर प्रोडक्शन एजेंसियों के साथ काम करेगा जो नेटवर्किंग और कमांड-कंट्रोल पर काम करेंगी। स्वदेशी हथियार प्रणाली को तैनात करने की योजना घरेलू रक्षा प्रणालियों को बढ़ावा दोगी क्योंकि भारत ने पहले अमेरिकी निर्मित नेशनल एडवांस्ड सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम-2 (एनएएसएएमएस-2) को तैनात करने की योजना बनाई थी।

    दोनों देशों ने अमेरिकी सिस्टम की बिक्री के लिए बातचीत भी शुरू कर दी थी जो वाशिंगटन डीसी और वहां व्हाइट हाउस की रक्षा करता है। सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार अमेरिका के साथ इस सौदे पर आगे नहीं बढ़ी क्योंकि वह बहुत अधिक कीमत मांग रहा था। रक्षा मंत्रालय इस परियोजना को ऐसे समय क्रियान्वित कर रहा है जब पाकिस्तान ने इस वर्ष मई में आपरेशन ¨सदूर के दौरान देश को निशाना बनाने की कोशिश की थी।

    डीआरडीओ ने स्वदेशी अनुसंधान से 2,64,000 करोड़ से अधिक बचाए

    वहीं संसद की एक समिति ने कहा है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने पिछले पांच वर्षों में अपने स्वदेशी अनुसंधान के कारण 2,64,156 करोड़ रुपये की राशि बचाने में सफलता प्राप्त की है।

    रक्षा मामलों से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने मंगलवार को संसद में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा कि पिछले वर्ष और इस वर्ष डीआरडीओ ने अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकियों और मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। समिति ने डीआरडीओ को विभिन्न उपलब्धियों के लिए बधाई दी।

    रिपोर्ट में कहा गया है, समिति को सूचित किया गया है कि डीआरडीओ ने पिछले पांच वर्षों में अपने स्वदेशी अनुसंधान के कारण 2,64,156 करोड़ रुपये बचाए हैं।सरकार ने अपने उत्तर में समिति को हाल के समय हासिल की गई डीआरडीओ की कुछ उपलब्धियों के बारे में बताया है।

    2024 में पहली हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण

    समिति को बताया गया कि लंबी दूरी की पहली हाइपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल का नवंबर 2024 में सफल परीक्षण किया गया था। मार्च 2024 में, डीआरडीओ ने अग्नि बैलिस्टिक मिसाइल का उपयोग करते हुए अपनी पहली मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआइआरवी) प्रौद्योगिकी का सफल परीक्षण किया। यह प्रौद्योगिकी एक ही मिसाइल को विभिन्न लक्ष्यों पर कई वारहेड ले जाने और तैनात करने में सक्षम बनाती है।

    इसके अलावा, बेकद कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वीएसएचओआरएउीएस) को स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है और इसका सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया है। इसके अलावा, मैन-पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ने भारतीय सेना के प्रोविजनल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स मान्यता परीक्षणों को पूरा किया है।

    समाचार एजेंसी एएनआई और पीटीआई के इनपुट के साथ