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    दिल्ली के चिड़ियाघर में बड़ी सुरक्षा चूक, बोनट बंदर के हमले में कर्मचारी गंभीर रूप से हुआ घायल; काटनी पड़ी उंगली

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 01:57 AM (IST)

    दिल्ली चिड़ियाघर में सुरक्षा में बड़ी चूक हुई है। एक बोनट बंदर के हमले में एक कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गया। बंदर के हमले से कर्मचारी को गंभीर चोट ...और पढ़ें

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     राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में बंदर के हमले से घायल हुआ कर्मचारी।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर मंगलवार को एक बार फिर गंभीर लापरवाही सामने आई। ड्यूटी के दौरान बोनट बंदर के हमले से एक दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गया।

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    घायल कर्मचारी को तत्काल आरएमएल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत को देखते हुए एक उंगली काटनी पड़ी। घटना ने एक बार फिर चिड़ियाघर में कर्मचारियों की सुरक्षा, स्टाफ की कमी और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। चिड़ियाघर के निदेशक संजीत कुमार ने मामले में कोई जवाब नहीं दिया।

    बंदर के बाड़े की सफाई कर रहे थे भैरव

    सूत्रों के मुताबिक, कर्मचारी भैरव प्रताप सिंह बोनट बंदर के बाड़े की नियमित सफाई कर रहा था। बंदर का व्यवहार सामान्य था, लेकिन अचानक वह आक्रामक हो गया और कर्मचारी पर झपट पड़ा। हमले में कर्मचारी जमीन पर गिर गया और बंदर ने उसके शरीर के कई हिस्सों पर काट लिया। अन्य कर्मचारियों ने बीच-बचाव कर किसी तरह स्थिति को काबू में किया।

    उसे तुरंत डा. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसके पैर के पास आई गहरी चोटों पर करीब 24 टांके लगाए। संक्रमण के चलते एक उंगली को काटना पड़ा। दैनिक कर्मियों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पहले ही एक अन्य कर्मचारी शेर की चोट की ड्रेसिंग में सहायता के दौरान घायल हुआ था, जिसका इलाज चिड़ियाघर परिसर में ही किया गया था।

    चिंता की ता की बात यह भी है कि चिड़ियाघर में रेंजर के दो स्वीकृत पद होने के बावजूद फिलहाल कोई भी रेंजर तैनात नहीं है। ऐसे में क्यूरेटर डा. मनोज कुमार को अतिरिक्त प्रभार के रूप में रेंजर की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ रही है। साथ ही उन्हें अन्य विभागीय कार्य भी देखने पड़ रहे हैं।

    दो बीट पर एक ही कीपर है तैनात

    पहले हर बीट पर तीन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी और एक कीपर तैनात रहता था, जिससे जानवरों की देखरेख और सफाई सुरक्षित तरीके से हो पाती थी। अभी स्थिति यह हैं कि दो बीट पर सिर्फ एक कीपर तैनात है और कई बीटों पर केवल एक या दो कर्मचारी ही काम कर रहे हैं।

    कर्मचारियों का आरोप है कि स्टाफ की भारी कमी, बढ़ता कार्यभार और कमजोर सुरक्षा इंतजामों के कारण ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।