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पर्यावरणविदों ने यमुना खादर में लैंडफिल साइट का प्रस्ताव किया खारिज

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली यमुना खादर में लैंडफिल साइट के प्रस्ताव को पर्यावरण विदों ने सिरे से खारि

By JagranEdited By: Published: Fri, 27 Apr 2018 10:53 PM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2018 10:53 PM (IST)
पर्यावरणविदों ने यमुना खादर में लैंडफिल साइट का प्रस्ताव किया खारिज
पर्यावरणविदों ने यमुना खादर में लैंडफिल साइट का प्रस्ताव किया खारिज

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली

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यमुना खादर में लैंडफिल साइट के प्रस्ताव को पर्यावरण विदों ने सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इस आशय के प्रस्ताव को न सिर्फ नियम विरूद्ध बल्कि भूजल को भी प्रदूषित करने वाला बताया है। अगर यहां लैंडफिल साइट विकसित की जाती है तो पर्यावरणविदों ने इसके खिलाफ अभियान छेड़ने की चेतावनी भी दी है। यमुना पर खासा काम करने वाले मनोज मिश्रा का कहना है कि यमुना खादर का इलाका बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आता है। ऐसे इलाके में न तो निर्माण कार्य की इजाजत दी जा सकती है, न ही लैंडफिल साइट विकसित करने की। सीपीसीबी ने 2016 में ही ठोस कचरा प्रबंधन संबंधी जो गाइडलाइंस तैयार की हैं। उसके मुताबिक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में लैंडफिल साइट के लिए अनुमति कतई नहीं दी जा सकती। यहां अमूमन हर मानसून में बाढ़ आती है। 13 जनवरी 2015 को एनजीटी भी अपने एक आदेश में यमुना के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में किसी भी निर्माण और कचरा डालने पर प्रतिबंध लगा चुका है। सोनिया विहार और घोंडा गुजरान दोनों ही इलाके बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में आते हैं।

सीपीसीबी के पूर्व चैयरमेन पारितोष त्यागी भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में लैंडफिल साइट के धुर विरोधी हैं। उनका कहना है कि खादर या बाढ़ग्रस्त क्षेत्र भूजल रिचार्ज करने के लिए होता है। अगर यहां पर कचरा डाला जाने लगा तो वह भूजल को भी प्रदूषित करने लगेगा।

सिटीजन वाटर वर्कर्स एलांयस के संयोजक एसए नकवी भी यमुना खादर में लैंडफिल साइट विकसित करने का समर्थन नहीं करते है। उनका कहना है कि यमुना पहले ही मृत प्राय हो चुकी है। अगर यमुना खादर के भूजल को भी बर्बाद किया जाने लगेगा तो दिल्ली की प्यास बुझाना और मुश्किल हो जाएगा। वैसे भी लैंडफिल साइट आबादी के 500 मीटर दायरे में नहीं हो सकती। सोनिया विहार और घोंडा गुजरान दोनों ही इलाके बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में भी आते है। इसलिए यहां लैंडफिल साइट शुरू नहीं की जा सकती। लैंडफिल साइट के लिए जहां मिली जगह, वहीं पर विरोध

जासं, पूर्वी दिल्ली: लैंडफिल साइट के दशकों से जगह की तलाश हो रही है। लेकिन कहीं भी जगह नहीं मिल रही है। जहां जगह मिलती है वहां विरोध शुरू हो जाता है। गत वर्ष सितंबर माह में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कचरे के पहाड़ गिरने से दो लोगों की मौत की घटना के बाद सभी एजेंसियां सतर्क हो गईं। निगम से लेकर डीडीए ने गंभीरता से जमीन की तलाश शुरू कर दी। जिससे लैंडफिल साइट बनाई जा सके।

इसी क्रम में डीडीए और निगम ने गाजीपुर हादसे के कुछ ही दिनों बाद यमुना खादर में घोंडा गुजरान में जगह चिह्नित की, इसका विरोध हुआ और मामला एनजीटी में पहुंचा जिससे प्रस्ताव स्थगित हो गया। सिल्ट डं¨पग साइट के लिए गीता कॉलोनी के रानी गार्डन में जगह चिह्नित की गई। इसका भी विरोध हुआ है जिससे यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब फिर डीडीए और निगम ने घोंडा गुजरान के साथ सोनिया विहार में जगह चिह्नित की है। इन दोनों ही जगहों का विरोध किया जा रहा है क्योंकि ये रिवर बेड में हैं। निगम अधिकारियों का कहना है कि पूर्वी निगम क्षेत्र में कहीं भी लैंडफिल साइट के लिए जगह नहीं है। उत्तरी दिल्ली निगम क्षेत्र में रानी खेड़ा में एक जगह मिली थी, वहां भी विरोध से ये प्रस्ताव भी रद्द हो गए। नरेला में सिल्ट डं¨पग के लिए जगह मिली है लेकिन उसका उपयोग शुरू नहीं हुआ है। निगम अधिकारियों का कहना है कि घोंडा गुजरान और सोनिया विहार में लैंडफिल साइट का जो प्रस्ताव है उसके अनुसार इसे अत्याधुनिक तरीके से बनाया जाएगा। जिससे भूमिगत जल और नदी दोनों ही प्रदूषित नहीं होंगे।


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