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    अगले दो दशकों में बदली-बदली नजर आएगी दिल्ली, जानिए मास्टर प्लान 2041 के हिसाब से क्या है तैयारी

    मास्टर प्लान 2041 में दिल्ली को विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची से बाहर निकालकर ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने की ठोस तैयारी की गई है। परिवहन व्यवस्था को इलेक्टि्रक करने आवास यातायात जाम और पार्किग की समस्या का हल निकालने के लिए किए गए हैं।

    By Vinay Kumar TiwariEdited By: Updated: Mon, 14 Jun 2021 12:57 PM (IST)
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    मास्टर प्लान 2041 में दिल्ली को ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने की ठोस तैयारी की गई है।

    नई दिल्ली, [संजीव गुप्ता]। मास्टर प्लान 2041 में दिल्ली को विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची से बाहर निकालकर ग्रीन सिटी के रूप में विकसित करने की ठोस तैयारी की गई है। इसके ज्यादातर प्रस्ताव और प्रविधान हरित क्षेत्र बढ़ाने, परिवहन व्यवस्था को इलेक्टि्रक करने, आवास, यातायात जाम और पार्किग की समस्या का हल निकालने के लिए किए गए हैं।

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    हरित क्षेत्र को 40 फीसद तक बढ़ाने का प्रस्ताव

    मास्टर प्लान 2041 में दिल्ली के हरित क्षेत्र को 30 फीसद से बढ़ाकर 40 फीसद तक करने का प्रस्ताव है। इस दिशा में सिटी फारेस्ट और घास के मैदान व पार्क तैयार किए जाएंगे।

    प्रदूषण कम करने के लिए वाक-वे, साइकिलिंग पर फोकस

    दिल्ली -एनसीआर को कनेक्ट करने के साइकिलिंग हाइवे बनाने के नए नियमों को भी मास्टर प्लान में शामिल किया किया गया है। ऐसे हाइवे की पहचान स्थानीय निकायों को करनी होगी। वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए ड्राफ्ट में वाक-वे बनाने और साइकिलिंग पर फोकस किया गया है। वाक-वे में बैरियर फ्री वा¨कग की सुविधा होगी।

    ई-वाहनों को बढ़ावा देगी ईवी-पालिसी

    मास्टर प्लान में दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से इलेक्टि्रक करने की बात कही गई है। इसके लिए विभिन्न स्थानों व सार्वजनिक पार्किग स्थलों पर इलेक्टि्रक वाहनों के लिए चार्जिग स्टेशन उपलब्ध कराए जाएंगे। बता दें कि दिल्ली सरकार इस दिशा में ईवी पालिसी अधिसूचित भी कर चुकी है। जिसमें हर श्रेणी के ई-वाहन खरीदने पर सब्सिडी का प्रविधान है। इसके अलावा अपर्याप्त सेवा वाले क्षेत्रों तक सुविधा प्रदान करने के लिए बस की पहुंच को आसान बनाया जाएगा। मेट्रो स्टेशनों से जोड़ने के लिए बस मार्गो को युक्तिसंगत बनाया जाएगा।

    बस डिपो और टर्मिनलों का बहुस्तरीय बस पार्किग सुविधा के रूप में आधुनिकीकरण किया जाएगा। अंतरराज्यीय बस अड्डे (आइएसबीटी) के भविष्य के सभी प्रस्तावों को राष्ट्रीय राजमार्गो पर शहर के उन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्थापित किया जाएगा, जहां शहर के बाकी हिस्सों के साथ मजबूत मल्टी माडल कनेक्टिविटी होगी। डीटीसी बसों को विशेष अवसरों और त्योहारों के दौरान रात में संचालित करने की भी योजना है। वहीं, दिल्ली परिवहन अवसंरचना विकास निगम द्वारा बस शेल्टर स्थलों को भी उन्नत किया जाएगा।

    कालोनियों के लिए री-जेनरेशन स्कीम

    जिस तरह से डीडीए की ओर से कई बड़े प्लाटों को मिलाकर एक कालोनी और उनमें सुविधाएं विकसित करने के लिए लैंड पूलिंग स्कीम बनाई है, ऐसी ही स्कीम कच्ची कालोनियों को व्यवस्थित तरीके से विकसित करने के लिए 2041 के मास्ट प्लान में ड्राफ्ट की गई है। जिसे अनएथोराइज्ड कालोनी री-जेनरेशन स्कीम दिया गया है। इसमें कई तरह की प्रस्ताव शामिल हैं। पहले प्रस्ताव में प्लाट का साइज दो से तीन हजार वर्ग मीटर, जबकि दूसरे प्रस्ताव में प्लाट साइज तीन से पांच हजार वर्ग मीटर होगा। इन दोनों योजना के तहत विकसित एरिया में स्कूल व अन्यसार्वजनिक सुविधाएं नहीं होंगी।

    आवासीय सुविधाओं को प्राथमिकता

    मास्टर प्लान का मकसद पुराने और अनियोजित क्षेत्रों में सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता के साथ किराये के किफायती आवास उपलब्ध कराना है। इसके लिए मौजूदा स्थिति का आकलन किया जाएगा।

    लैंड पूलिंग माडल

    भविष्य में आवास की जरूरतों को दिल्ली के ग्रीन फील्ड क्षेत्रों में लैंड पूलिंग माडल का उपयोग कर पूरा किया जाएगा। इन क्षेत्रों में 17-20 लाख रिहायशी इकाइयां विकसित की जा सकती हैं। कालोनियों में ही किया जाएगा

    कूड़े का निपटारा

    भविष्य में दिल्ली में कोई नई लैंडफिल साइट नहीं बनाई जाएगी। कूड़े का प्रोसेस लोकल स्तर पर कालोनियों या ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में ही किया जाएगा। पार्कों से से निकलने वाले ग्रीन वेस्ट को वहीं पर प्रोसेस किया जाएगा। कूड़े को प्रोसेस करने के लिए हर कालोनी में डिसेंट्रलाइज्ड सालिड वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे, जिनकी क्षमता पांच या 10 टन प्रतिदिन की होगी। इसके अलावा कूड़ा उठवाने का काम लोकल स्तर पर रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन को करना होगा। वहीं, ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों में मैनेजमेंट कमेटी को यह काम सौंपा जाएगा।

    लोकल लेवल पर व्यवस्था

    कूड़ा एकत्रित करने या उसकी छंटाई के लिए प्रति 10 हजार की जनसंख्या पर एक ढलाव घर होगा, जो 200 वर्ग मीटर में बनेगा।

    सब-सिटी लेवल पर व्यवस्था

    प्रति पांच लाख की जनसंख्या पर कूड़ा एकत्रित करने के लिए एक मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर होगा, जो छह हजार से आठ हजार वर्ग मीटर में होगा।

    सिटी लेवल पर व्यवस्था

    प्रति 20 लाख की जनसंख्या पर 10 हजार टन प्रतिदिन की क्षमता का एक मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी सेंटर बनेगा, इसका एरिया 10 हजार से 20 हजार वर्ग मीटर में होगा।

    अगले 20 वर्षों के लिए दिल्ली की तैयारी

    - 700 किमी पर साइकिल ट्रैक बनाने की योजना-निजी वाहनों की संख्या में प्रतिवर्ष एक फीसद की कमी लाना।

    - सार्वजनिक परिवहन सेवा में एक हजार से अधिक इलेक्टि्रक बसें जोड़ना

    - पूरे शहर का लगभग 40 फीसद हिस्सा हरित क्षेत्र के रूप में तैयार करना

    दिल्ली का मौजूदा हरित क्षेत्र

    -20 फीसद हरियाली

    -10 फीसद खुला क्षेत्र

    -5.2 फीसद रिज का जंगल

    -26 संरक्षित वन क्षेत्र

    -40 अविकसित

    -असंरक्षित वन क्षेत्र

    -18 हजार पार्क

    -कुल हरित क्षेत्र 30 फीसद