दिल्ली में बीते डेढ़ दशक में आठवीं बार नवंबर माह में नहीं हुई बारिश, आगामी दिनों में भी वर्षा के आसार नहीं
दिल्ली में इस साल नवंबर महीने में पिछले 15 वर्षों में आठवीं बार बारिश नहीं हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, महीने के अंत तक वर्षा की कोई संभावना नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे कृषि, भूजल स्तर और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पश्चिमी विक्षोभों की कमी और जलवायु परिवर्तन को इसका कारण माना जा रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है।
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आठवीं बार ऐसा होने जा रहा है कि नवंबर में बिल्कुल भी वर्षा नहीं हुई।
संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। डेढ़ दशक के दौरान इस साल आठवीं बार ऐसा होने जा रहा है कि नवंबर में बिल्कुल भी वर्षा नहीं हुई। सर्दियों के इस माह में 24 दिन बीत चुके हैं, सिर्फ छह दिन शेष हैं। लेकिन मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर जाएं तो 30 नवंबर तक राष्ट्रीय राजधानी में वर्षा होने की कोई संभावना नहीं है।
सर्दियों के नवंबर माह में यूं बहुत ज्यादा वर्षा नहीं होती। लेकिन तब भी इस माह की औसत वर्षा 6.0 मिमी है। यह बात अलग है कि बहुत बार पूरा नवंबर माह ही बीत जाता है और एक बूंद नहीं बरसती। यदि विशेषज्ञों की बात की जाए तो उन्होंने इसे अच्छी स्थिति नहीं बताया है। साथ ही पर्यावरणीय व खेतीबाड़ी की दृष्टि से भी इसे नकारात्मक करार दिया है।
मौसम विभाग से मिले आंकड़ों पर जाएं तो 2011 से 2025 के दौरान यह आठवीं बार होगा, जब नवंबर पूरी तरह शुष्क रहा है। इस माह में सर्वाधिक वर्षा 2010 में 26 मिमी और 2023 में 17.7 मिमी दर्ज हुई थी। जबकि इस माह का आल टाइम रिकार्ड 1972 में बना था, तब इस माह में 100.1 मिमी वर्षा हुई थी।
2011 से 2025 के दौरान नवंबर माह में किस साल क्या रही वर्षा की स्थिति (मिमी में)
| वर्ष | पकड़े गए मॉड्यूल की संख्या |
|---|---|
| 2025 | 0 |
| 2024 | 0 |
| 2023 | 13 |
| 2022 | 0 |
| 2021 | 0 |
| 2020 | 0 |
| 2019 | 1 |
| 2018 | 8 |
| 2017 | 1 |
| 2016 | 0 |
| 2015 | 1 |
| 2014 | 0 |
| 2013 | 1 |
| 2012 | 1 |
| 2011 | 0 |
नवंबर में वर्षा न होने से कई नुकसान होते हैं, जिनमें कृषि- किसानों पर संकट, भूजल स्तर का नीचे जाना, वातावरण में सूखापन एवं धूल प्रदूषण बढ़ना शामिल हैं। इससे मिट्टी की नमी भी घटती है, जिससे फसलों को नुकसान होता है। सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और हिमालय में बर्फबारी की कमी के कारण नवंबर में अपेक्षित ठंड भी नहीं पड़ पा रही है। इससे फसलों की बुआई प्रभावित होती है। -डॉ. जेपीएस डबास, पूर्व प्रधान विज्ञानी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसासर्दियों के माह में वर्षा के लिए मजबूत पश्चिमी विक्षोभों का सक्रिय होना आवश्यक है। लेकिन ऐसा नहीं होने के कारण ही नवंबर में सूखे की स्थिति बन रही है। वैसे इसे जलवायु परिवर्तन से भी जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले कुछ सालों में सर्दियों के दौरान पश्चिमी विक्षोभ देर से आना शुरू होते हैं और फिर फरवरी-मार्च तक सक्रिय रहते हैं। इस साल भी ऐसी ही स्थिति बनती नजर आ रही है। - महेश पलावत, उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन), स्काईमेट वेदर

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