लाल किला धमाके से खुला सुरक्षा में बड़ा गैप, अब दो राज्यों की स्मार्ट ड्रोन पाॅलिसी से सीखेगी दिल्ली
दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके के बाद, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश की ड्रोन नीतियों का अध्ययन करने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य दिल्ली में ड्रोन निगरानी ढांचे को अपग्रेड करना है, ताकि संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। तेलंगाना की 'ड्रोन सिटी' योजना और हिमाचल प्रदेश में ड्रोन उपयोग को बढ़ावा देने के अनुभव से दिल्ली को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। लाल किले के पास हुए धमाके ने दिल्ली की सुरक्षा प्रणाली की कमजोरियां उजागर कर दी हैं। ऐसे में, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सुरक्षा खामियों को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव को फौरन तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश की ड्रोन नीतियों का अध्ययन करने का निर्देश दिया है, ताकि राजधानी में ड्रोन निगरानी ढांचे को पूरी तरह अपग्रेड किया जा सके।
एलजी कार्यालय के अनुसार, यह घटना सिर्फ एक आतंकी चेतावनी भर नहीं, बल्कि सुरक्षा से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं का खुला संकेत है, जिन्हें तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
एलजी वीके सक्सेना ने कहा कि देशभर में ड्रोन पंजीकरण के लिए मौजूद केंद्र सरकार का डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म दिल्ली पुलिस और गृह विभाग को “डायनेमिक एक्सेस” के साथ उपलब्ध होना चाहिए। इससे गैर-नागरिक या संदिग्ध ड्रोन गतिविधियों पर तुरंत निगरानी की जा सकेगी और संभावित खतरों को समय रहते रोका जा सकेगा।
एलजी ने बताया कि तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश ने आईटी विभागों के माध्यम से ऐसी ड्रोन नीतियां बनाई हैं, जो तकनीक, सुरक्षा और विकास, तीनों का संतुलन प्रस्तुत करती हैं। तेलंगाना की ड्रोन पॉलिसी में एक ‘ड्रोन सिटी’ विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना है, जो देश का प्रमुख UAV टेस्टिंग और बिजनेस हब बनेगा।
वहीं, हिमाचल प्रदेश की नीति शासन, सर्वे, ई-गवर्नेंस और शोध कार्यों में ड्रोन उपयोग को व्यापक रूप से बढ़ावा देती है और छात्रों को इस उभरते सेक्टर के लिए तैयार करती है।
अधिकारियों का मानना है कि इन दोनों राज्यों का अनुभव दिल्ली को एक सुरक्षित, स्मार्ट और तकनीक-आधारित निगरानी व्यवस्था बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
जल्द ही इन नीतियों का तुलनात्मक विश्लेषण कर दिल्ली की नई सुरक्षा रणनीति तैयार की जाएगी, जिसमें खास तौर पर संवेदनशील इलाकों के ऊपर ड्रोन मूवमेंट की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग पर जोर रहेगा। लाल किले के पास हुए धमाके के बाद यह पहल सुरक्षा एजेंसियों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

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