दिल्ली में शिक्षा निदेशालय ने लिया बड़ा फैसला, अब 621 सरकारी स्कूलों में निजी एजेंसियां करेंगी सफाई
दिल्ली के 621 और सरकारी स्कूलों में अब निजी एजेंसियां सफाई करेंगी, पहले यह व्यवस्था 117 स्कूलों में थी। शिक्षा निदेशालय का लक्ष्य है कि सभी स्कूलों में उच्च स्तर की स्वच्छता बनी रहे। इसके लिए एजेंसियों के साथ करार किया गया है और विभागीय अधिकारी नियमित निरीक्षण करेंगे। प्रधानाचार्यों को सफाई कार्य की निगरानी करने और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इस नई व्यवस्था से स्कूलों में स्वच्छता बेहतर होगी।
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में स्वच्छता व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। शिक्षा निदेशालय ने 621 और सरकारी स्कूलों में निजी सफाई सेवाएं शुरू करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले 117 स्कूलों में यह व्यवस्था लागू थी। अब राजधानी के सैकड़ों और विद्यालय निजी एजेंसी के जरिए साफ-सफाई करवाएंगे। शिक्षा निदेशालय के अधिकारी के मुताबिक, इस व्यवस्था का उद्देश्य सभी सरकारी स्कूलों में उच्चतम स्तर की स्वच्छता सुनिश्चित करना है।
उन्होंने बताया कि निजी एजेंसी के साथ एक समझौता करार किया है कि जिसके तहत सफाई कार्य का संचालन और निगरानी की जाएगी।
निदेशालय के मुताबिक, विभागीय अधिकारी स्कूलों का नियमित निरीक्षण करेंगे ताकि अनुबंध के प्रविधानों का सही तरीके से पालन हो सके। जिन स्कूलों में निजी सफाई सेवाएं लागू नहीं हैं, वहां विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार तीन से चार नियमित सफाईकर्मी तैनात किए गए हैं। निदेशालय ने स्कूल प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया है कि वे सफाई कार्य की प्रतिदिन निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि स्कूल शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले साफ-सफाई पूरी हो जाए।
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अधिकारी ने बताया कि कम नामांकन वाले छोटे स्कूलों में दिन में दो बार और 1,500 से अधिक विद्यार्थियों वाले बड़े स्कूलों में दिन में आठ बार तक सफाई की जाएगी। सफाई की दर विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार तय की गई है। निर्देशों के अनुसार, स्कूलों के प्रधानाचार्यों को निजी सफाईकर्मियों की उपस्थिति दर्ज करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि बालिका विद्यालयों के शौचालयों में केवल महिला कर्मी ही तैनात हों।
अगर किसी भी स्थिति में सफाईकर्मी अनुपस्थित रहते हैं या सफाई कार्य में लापरवाही होती है, तो स्कूल प्रधानाचार्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे दो हजार रुपये तक की राशि खर्च कर अन्य स्रोत से सफाई करवा सकें। यह राशि बाद में संबंधित ठेकेदार के भुगतान से काटी जाएगी।
अनुबंध के अनुसार, ठेकेदारों को अनुपस्थित सफाईकर्मियों की तुरंत वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। सभी सफाईकर्मियों को ड्यूटी के दौरान अपना पहचान पत्र पहनना अनिवार्य किया गया है। निदेशालय के अधिकारी ने कहा कि नई व्यवस्था से सरकारी स्कूलों की स्वच्छता प्रणाली अधिक पारदर्शी, जिम्मेदार और कुशल बनेगी, जिससे बच्चों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई करने का अवसर मिलेगा।

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