दिल्ली दंगे की सुनवाई में हाईकोर्ट ने पुलिस जांच को ‘खराब’ बताया, दूसरी FIR के आदेश को कर दिया रद
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली दंगे की सुनवाई में पुलिस जांच को ‘खराब’ बताया है। कोर्ट ने दूसरी एफआईआर के आदेश को भी रद्द कर दिया। अदालत ने जांच में ख ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली दंगा से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे खराब करार दिया। गोली लगने से घायल हुए एक पीड़ित की अपने मामले की अलग से जांच कराने की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ता मोहम्मद नासिर की यह शिकायत कि असली दोषियों को छोड़ दिया गया, उसी प्राथमिकी में छूटे हुए पहलुओं पर विचार करके आगे की जांच में बहुत अच्छे से सुलझाई जा सकती थी।
पीठ ने पहले से दर्ज दंगे का मामले में दूसरी प्राथमिकी करने का निर्देश देने के लिए मजिस्ट्रेट की भी खिंचाई की। साथ ही पीठ ने नासिर को गोली लगने की चोट पर पुलिस को अलग मामला दर्ज करने के ट्रायल कोर्ट के निर्देश को रद कर दिया। इसके लिए कोर्ट ने पुलिस पर जुर्माना भी लगाया।
पीठ ने कहा कि मुख्य शिकायत जांच ठीक से न होने के बारे में है और जांच अधिकारी द्वारा पीड़ितों के बयान दर्ज करने का कोई साफ प्रयास नहीं किया गया। नासिर के अलावा छह अन्य आरोपित अली हसन, अल्ताफ, जावेद, अमन, फैजी और अदनान को भी गोली लगी थी।
पुलिस ने कहा कि आरोपित नरेश त्यागी और उत्तम त्यागी की जांच की गई, लेकिन उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला। पुलिस ने कहा कि वे उस समय दिल्ली में भी नहीं थे।
पीठ ने कहा कि दंगे के दौरान नासिर को गोली लगने की बात प्राथमिकी में थी और एक बार जब प्राथमिकी दर्ज हो गई, तो दूसरी प्राथमिकी करने का निर्देश देने का कोई आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि नासिर ने यह दिखाने की कोशिश की कि ये दो अलग-अलग घटनाएं थीं, लेकिन प्राथमिकी से साफ है कि यह घटना 24 फरवरी 2020 के उसी दंगे से जुड़ी है।

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