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    दिल्ली दंगा मामले में गवाह को वापस बुलाने की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने क्या कहा?

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 08:20 AM (IST)

    दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में गवाह को वापस बुलाने की पुलिस की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि पुलिस की याचिका में कोई आधार नहीं है। यह मामला आगजनी और लूटपाट से जुड़ा है, जिसमें आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन आरोपी हैं। गवाहों के बयानों में विरोधाभास के कारण याचिका दायर की गई थी।

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    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक आगजनी मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह को वापस बुलाने की मांग वाली अर्जी से जुड़ी अपील याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी पुलिस की याचिका खारिज कर दी थी।

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    न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने मामले पर सोमावार को सुनाए अपने निर्णय में कहा कि पुलिस की याचिका का कोई आधार नहीं है। इस मामले में आम आदमी पार्टी से निलंबित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन आरोपित है।


    पुलिस ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए तर्क दिया था कि सात फरवरी 2023 को छह आरोपिताें के खिलाफ आरोप तय किए गए थे और मामला अभियोजन पक्ष के साक्ष्य के लिए सूचीबद्ध किया था।

    इस वर्ष 28 जनवरी को अभियोजन पक्ष ने गवाह (एसआइ) से पूछताछ की थी, जिसने बताया था कि 24-02-2020 को रात लगभग 11:30-12 बजे वह आरोपित द्वारा की गई कॉल के संबंध में गया था और उसने पाया कि संबंधित दुकान जली हुई अवस्था में थी और शटर भी टूटा हुआ था और चांद बाग स्थित एक दुकान में दंगाइयों ने लूटपाट, तोड़फोड़ और आगजनी की थी।

    वहीं, चार फरवरी 2025 को अभियोजन पक्ष ने अन्य गवाह (हेड कांसटेबल) से पूछताछ की, जिसने गवाही दी कि 24-2-2020 को रात 11:30 बजे से 12 बजे के बीच वह उपनिरीक्षक (एसआइ) के साथ था और उसने दुकान को सामान्य स्थिति में पाया था।

    इसके बाद अभियोजन पक्ष ने हेड कांसटेबल की गवाही के मद्देनजर एसआइ को वापस बुलाने की याचिका दायर की, लेकिन सात फरवरी उसे खारिज कर दिया गया। आरोपित के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट का आदेश एक तर्कसंगत है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।