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    खुदरा बाजारों में चोरी छिपे बेचा जा सरकारी राशन, कई दुकानों पर गेहूं-चावल की जगह महंगा आटा बेचा जा रहा

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 05:12 AM (IST)

    दिल्ली में मुफ्त राशन वितरण में कालाबाजारी की शिकायतें आ रही हैं। यमुनापार में कई दुकानों पर गेहूं-चावल की जगह महंगा आटा बेचा जा रहा है। आरोप है कि दुकानदार थोक विक्रेताओं से मिलकर सस्ते में आटा खरीदते हैं और उपभोक्ताओं को अधिक दाम पर बेचते हैं, जबकि मुफ्त राशन को बाजार में बेच देते हैं। खाद्य विभाग का कहना है कि कालाबाजारी की सूचना मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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    यमुनापार में कई दुकानों पर गेहूं-चावल की जगह महंगा आटा बेचा जा रहा।

    शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। सरकार की तरफ से दिल्ली वालों काे नि:शुल्क राशन दिया जा रहा है। दिल्ली में 1900 सरकारी राशन की दुकानें हैं। राशनकार्ड धारकों को सरकार तीन किलो गेहूं व दो किलो चावल बेच देती है। एक व्यक्ति को पांच किलो राशन दिया जाता है। यमुनापार में अधिकतर सरकारी राशन की दुकानों पर गेहूं व चावल की जगह 20 से 25 रुपये प्रति किलो के हिसाब से आटा बेचा जा रहा है।

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    दुकानदार गेहूं व चावल को चोरी छिपे खुदरा बाजार में बेच रहे हैं। इस खेल में दुकानदारों की चांदी हो रही है। आरोप है कि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग अपनी आंखें बंद रखता है। कोई कार्रवाई नहीं होती है।

    यमुनापार में अधिकतर राशन की दुकानों पर आटा बेचा जा रहा है। माह के शुरुआत में राशन वितरित किया जाता है। आरोप है सरकारी राशन दुकानदारों ने थोक दुकानदारों से सांठगांठ की हुई है। वह सस्ते दाम पर एकसाथ आटे के कट्टे खरीद लेते हैं। खुदरा बाजार में आटा 35 से 40 रुपये किलो बेचा जा रहा।

    सरकारी राशन दुकानदार थोक में आटे को 18 से 20 रुपये किलो में खरीद लेते हैं। उसके बाद सरकारी राशन दुकान पर राशन खरीदने के लिए आने वाले उपभोक्ताओं से कहा जाता है कि गेहूं खरीदेंगे तो उसे पिसवाना पड़ेगा। चक्की पर दस रुपये प्रतिकिलो पिसवाने के देने होंगे। इससे पहले गेहूं की सफाई करनी होगी। वह गेहूं की जगह उन्हें आटा बेचते हैं। लेकिन सरकारी रिकार्ड में गेहूं और चावल ही राशन में दिखाते हैं।

    थोक बाजार से आटा खरीदते कम दाम पर हैं और तीन से पांच रुपये बढ़ोतरी पर उसे उपभोक्ताओं को बेच देते हैं। निश्शुल्क सरकारी गेहूं को 30 रुपये किलो और चावल को 40 रुपये किलो खुदरा बाजार में बेच देते हैं। इस कालाबाजारी से सरकारी राशन दुकान वालों की चांदी हो रही है। आरोप है कि कालाबाजारी की रकम अधिकारियों तक पहुंच रही है। उस वजह से ही वह कार्रवाई नहीं कर पाते हैं।

    उपभोक्ताओं ने आटे के स्तर पर सवाल उठाते हुए कहा कि गुणवत्ता ठीक नहीं होती है। बाजार से सस्ता मिलता है इसलिए वह मजबूरी में खरीद लेते हैं। इस मामले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जहां पर कालाबाजारी की सूचना मिलती है विभाग वहां कार्रवाई निश्चित रूप से करता है।

    अगर कोई गेहूं व चावल के अलावा दूसरा राशन बेचता है तो विभाग कार्रवाई कर सकता है। सरकारी नियमों का पालन करना होगा। - शिव कुमार गर्ग, दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ दिल्ली

    राशनकार्ड उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से नि:शुल्क राशन उपलब्ध करवाया जा रहा है। कोई कालाबाजारी करेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - अजय महावर, चेयरमैन उत्तर पूर्वी जिला विकास समिति