Delhi AQI: क्या है बीजिंग मॉडल जिसकी दिल्ली में हो रही है चर्चा, कैसे चीन ने अपनी राजधानी को किया 'स्मॉग फ्री'
दिल्ली-एनसीआर में जहरीली हवा के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया है। AQI 'खतरनाक लेवल' पर है, जिससे खांसी और आंखों में जलन हो रही है। बीजिंग ने 2013 में ...और पढ़ें

बीजिंग ने 2013 में गंभीर प्रदूषण के बाद सख्त कदम उठाए और वायु गुणवत्ता में सुधार किया। जागरण ग्राफिक्स
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई है। सांस लेना मुश्किल हो गया है। राजधानी काले धुएं और धूल की मोटी चादर से ढकी हुई है। AQI मीटर 'खतरनाक लेवल' पर टिका हुआ है। हर घर में लोग खांसी और आंखों में जलन से परेशान हैं। इस स्थिति में सबके मन में एक सवाल उठता है कि चीन की राजधानी बीजिंग कभी दिल्ली से ज्यादा प्रदूषित शहर था, तो चीन ने बीजिंग में स्मॉग और प्रदूषण को कैसे कम किया, और क्या दिल्ली को 'बीजिंग' मॉडल अपनाना चाहिए?
चीन की राजधानी बीजिंग में 2007 में एयर पॉल्यूशन शुरू हुआ, और 2011 तक हालात दिल्ली से भी ज्यादा खराब हो गए थे। शहर घने, भूरे धुएं से ढक गया था। PM2.5 का लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था। 2013 में, बीजिंग में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 755 रिकॉर्ड किया गया था। उस साल, कई रिपोर्ट्स ने बीजिंग को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर और 2013 को चीन के इतिहास का सबसे प्रदूषित साल घोषित किया।

बीजिंग का एयर पॉल्यूशन दुनिया भर की मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार चर्चा का विषय बना हुआ था। विदेशी कंपनियां निवेश करने में हिचकिचाने लगीं, और अमीर चीनी नागरिक दूसरे देशों में जाने के बारे में सोचने लगे। एयर पॉल्यूशन की समस्या चीन के लिए अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी का कारण बन गई थी। तभी चीन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और कार्रवाई की, और इसके परिणामस्वरूप, बीजिंग अब पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है।
एक दशक के लगातार प्रयासों का नतीजा
हाल ही में, भारत में चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने कहा कि यह अंतर पिछले दस सालों में चीन की लगातार कोशिशों का नतीजा है। उन्होंने लिखा, "हम एक छोटी सी सीरीज शेयर करेंगे जिसमें बताया जाएगा कि चीन ने एयर पॉल्यूशन से कैसे निपटा है।"
How did Beijing tackle air pollution? 🌏💨
— Yu Jing (@ChinaSpox_India) December 16, 2025
Step 1: Vehicle emissions control 🚗⚡
🔹 Adopt ultra-strict regulations like China 6NI (on par with Euro 6)
🔹 Phase-out retired old, high-emission vehicles
🔹 Curb car growth via license-plate lotteries and odd-even / weekday driving… pic.twitter.com/E0cFp4wgsV
यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई। कई यूजर्स ने इस ऑफर का स्वागत किया और दिल्ली में खराब हवा की क्वालिटी पर चिंता जताई।
साफ हवा के लिए चीन की क्या थी प्लानिंग?
- 2013 में, चीनी सरकार ने पांच साल का वायु प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण कार्य योजना शुरू की।
- इसमें बीजिंग-तियानजिन-हेबेई क्षेत्र में PM2.5 के स्तर को कम करने के लिए सख्त लक्ष्य तय किए गए।
- सरकार ने उद्योगों, ईंधन मानकों और शहरी नियोजन के लिए कड़े नियम लागू किए।
- 2018 से शुरू होकर, ब्लू स्काई प्रोटेक्शन कैंपेन ने इन नियमों को और सख्त कर दिया।
चीनी राजदूत के अनुसार, बीजिंग ने हवा प्रदूषण से कैसे निपटा?
गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण पर कंट्रोल
- चीन 6NI (यूरो 6 के बराबर) जैसे बहुत सख्त नियम अपनाए
- पुरानी, ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों को धीरे-धीरे हटाया
- लाइसेंस-प्लेट लॉटरी और ऑड-ईवन / हफ्ते के दिनों में ड्राइविंग नियमों से कारों की संख्या पर रोक लगाई
- दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो और बस नेटवर्क में से एक बनाया
- इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बदलाव को तेज किया
- बीजिंग-टियांजिन-हेबेई क्षेत्र के साथ मिलकर प्रदूषण कम करने पर काम किया
जंगल और हरी-भरी जगहें
बीजिंग के चारों ओर बड़े-बड़े ग्रीन बेल्ट, जंगल और पार्क बनाए गए हैं। इससे धूल भरी आंधियां कम हुई हैं और हवा की क्वालिटी बेहतर हुई है।
दिल्ली में बीजिंग मॉडल का कौन सा नियम तुरंत लागू किए जा सकते हैं?
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के पूर्व एडिशनल डायरेक्टर डॉ. दीपांकर साहा बताते हैं कि बीजिंग और दिल्ली दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्र हैं। बीजिंग और दिल्ली में मौसम, सरकारी नीतियां, लोगों की आदतें और प्रशासनिक तरीके सभी अलग-अलग हैं। चीन एक तानाशाही देश है, जबकि भारत एक लोकतंत्र है। वे शहर में एक भी अतिरिक्त गाड़ी या व्यक्ति को अंदर नहीं आने देते। यह भारत में संभव नहीं है।
हालांकि, सर्दियों के महीनों में कुछ सख्त कदम जरूर उठाए जा सकते हैं, जैसे:
- ठोस कचरे, कंस्ट्रक्शन के मलबे और सड़क निर्माण से जुड़े सभी गाइडलाइंस को सख्ती से लागू करना।
- धूल कंट्रोल और उत्सर्जन की कड़ी निगरानी।
- योजना बनाने और उपायों को लागू करने के लिए मौसम के पूर्वानुमान का उपयोग करना।
- पूरे क्षेत्र में एक जैसे नियम लागू करना।
- बेहतर भूमि उपयोग योजना और बफर जोन तैयार करना।
- कुछ इलाकों को वाहन-मुक्त क्षेत्र घोषित करना।
- कचरा, टायर और फसल के अवशेष सहित सभी प्रकार की जलाने वाली गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक।
- धूल बनने को कम करने के लिए नदी के किनारों को विकसित करना।
- ऊपरी मिट्टी का बेहतर प्रबंधन।
- सभी उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए नियमों को सख्ती से लागू करना।
- इन सभी प्रयासों में लोगों की भागीदारी बहुत जरूरी है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली से ज्यादा बीजिंग में था एयर पॉल्यूशन, चीन ने कैसे किया स्मॉग फ्री; क्या भारत में लागू हो सकता है Beijing Model?
सोर्स- जागरण टीम, सोशल मीडिया 'एक्स'
इनपुट- दैनिक जागरण दिल्ली राज्य ब्यूरो के मुख्य संवाददाता संजीव गुप्ता

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।