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    क्या है दिल्ली में जहरीली आबोहवा की असली वजह? सर्दी की शुरुआत में प्रदूषण के कारणों पर CSE की नई रिपोर्ट

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 07:07 PM (IST)

    सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में प्रदूषण का मुख्य कारण स्थानीय कारक हैं, न कि केवल पराली। रिपोर्ट में पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के बढ़ते स्तर पर चिंता जताई गई है। दिल्ली में प्रदूषण हाटस्पाट बढ़ गए हैं और एनसीआर के छोटे शहरों की स्थिति भी खराब है। सीएसई ने प्रदूषण को कम करने के लिए कई सिफारिशें की हैं।

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    सर्दी में प्रदूषण की स्थिति पर सेंटर फार साइंस एंड एनवायरनमेंट ने जारी की रिपोर्ट। आर्काइव

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है। इसे लेकर वर्षों से राजनीति होती रही है। परंतु, सच्चाई यह है कि राजधानी की हवा स्थानीय कारणों से जहरीली हो रही है।

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    सेंटर फाॅर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की नए अध्ययन के अनुसार भी पराली का बहाना नहीं चलेगा। प्रदूषण के स्थानीय कारकों को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

    सीएसई ने शुरुआती सर्दी में एनसीआर के शहरों में वायु प्रदूषण की प्रवृत्ति पर रिपोर्ट जारी की है। इसमें एक अक्टूबर से 15 नवंबर तक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों पर आधारित वायु प्रदूषण की स्थिति का विश्लेषण किया गया है।

    रिपोर्ट में बताया गया है कि इस बार पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं कम होने के बावजूद दिल्ली की हवा ‘बेहद खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में ही बनी रही। इससे स्पष्ट है कि यहां की हवा वाहन, उद्योग, कचरा जलाने, निर्माण कार्य से धूल और घरेलू ईंधन से जहरीली हो रही है। प्रदूषण में पराली का योगदान अधिकांश दिनों में 5% से कम और 12-13 नवंबर तक अधिकतम 22% तक ही रहा।

    पीएम 2.5 और जहरीली गैसों का मिश्रण चिंताजनक

    पीएम 2.5 के साथ ही नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) और कार्बन मोनोआक्साइड (सीओ) का स्तर भी एकसाथ बढ़ रहा है। यह वाहनों और दहन स्रोतों से उत्पन्न होता है। इसके समाधान पर अब तक ध्यान नहीं दिया गया। दिल्ली में सीपीसीबी के 22 निगरानी स्टेशनों पर 30 से ज्यादा दिनों तक सीओ का स्तर मानक से अधिक दर्ज किए गए।

    द्वारका सेक्टर-8 में सबसे अधिक 55 दिनों तक मानक से अधिक रहा। इसके बाद जहांगीरपुरी और दिल्ली विश्वविद्यालय के नार्थ कैंपस में 50 दिनों तक मानक से अधिक पाया गया। इससे स्पष्ट है कि वाहनों से जहरीली गैसों का उत्सर्जन बढ़ रहा है।

    प्रदूषण के आंकड़ों में सुधार नहीं

    वर्ष 2018 से 2020 में पीएम 2.5 के स्तर में गिरावट आई थी। वर्ष 2021-22 से कुछ बदलाव के साथ स्थिर है या वृद्धि हुई है। 2024 में 104.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंचा था। इस वर्ष इसका अधिकतम स्तर कम हुआ है, लेकिन तीन वर्षों के औसत में कोई सुधार नहीं है। नवंबर में पूरे माह एक्यूआई बहुत खराब या गंभीर श्रेणी में रहा है।

    दिल्ली में प्रदूषण हाॅटस्पाॅट बढ़े

    सीएसई की स्वच्छ वायु इकाई, अर्बन लैब की उप कार्यक्रम प्रबंधक शरणजीत कौर का कहना है कि एनसीआर क्षेत्र में दिल्ली में वर्ष 2018 में प्रदूषण के 13 हाॅटस्पाॅट की पहचान की गई थी। अब विवेक विहार, नेहरू नगर, अलीपुर, सिरीफोर्ट, पटपड़गंज आदि नए हाॅटस्पाॅट बन गए हैं। उत्तरी और पूर्वी दिल्ली में प्रदूषण की सांद्रता अधिक है। प्रदूषण के नए केंद्रों का बढ़ना चिंता की बात है।

    सबसे अधिक प्रदूषित हाॅटस्पाॅट (पीएम 2.5 का वार्षिक स्तर)

    • जहांगीरपुरीः 119 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
    • बवानाः 113 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
    • वजीरपुरः 113 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
    • आनंद विहारः 111 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
    • मुंडका, रोहिणी व अशोक विहारः 101 से 103 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर

    एनसीआर के छोटे शहरों की स्थिति भी खराब

    एनसीआर के छोटे शहर भी दिल्ली जैसे प्रदूषित हो रहे हैं। बहादुरगढ़ में 9 से 18 नवंबर तक लगातार स्माग छाया रहा।

    प्रदूषण रोकथाम के लिए सीएसई की सिफारिश

    • पुराने वाहनों को हटाना और सभी श्रेणी के वाहनों को समयबद्ध इलेक्ट्रिक में बदलना।
    • एकीकृत पब्लिक ट्रांसपोर्ट, लास्ट-माइल कनेक्टिविटी, साइकिल और पैदल मार्ग के लिए आधारभूत ढांचे का विकास।
    • निजी वाहनों पर पार्किंग कैप, पार्किंग की दर बढ़ाना और कंजेशन टैक्स।
    • उद्योगों में साफ ईंधन (प्राकृतिक गैस पर टैक्स कम करना), विद्युतीकरण।
    • कचरा जलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध। अलग-अलग संग्रहण, रिसाइक्लिंग और पुराने मलबे के ढेर का उपचार करना।
    • बिजली संयंत्रों पर सख्त उत्सर्जन मानक लागू करना।
    • निर्माण कचरे का रिसाइक्लिंग, धूल नियंत्रण और वर्ष भर स्मार्ट माॅनिटरिंग।
    • घरों में भोजन बनाने व अन्य कार्य के लिए साफ ईंधन सुनिश्चित।
    • पराली को मिट्टी में मिलाना या बायो-मिथेनेशन से एथेनाॅल/गैस बनाकर किसानों की आय बढ़ाना।

    यह भी पढ़ें- क्या अब प्रदूषण रोकने का एकमात्र उपाय लॉकडाउन ही है? Delhi-NCR में दमघोंटू हवा और वैश्विक सीखों पर पड़ताल

    “ज्यादा चिंताजनक बात पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी अन्य जहरीली गैसों का बढ़ना है। प्रदूषण दूर करने के लिए छोटे-छोटे कदम अब काम नहीं आएंगे। वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र, कचरा, निर्माण और घरेलू ऊर्जा स्रोतों में बड़े संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता है।”


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    -अनुमिता राय चौधरीः सीएसई की कार्यकारी निदेशक (रिसर्च एंड एडवोकेसी)