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    दिल्ली पुलिस की लाइफलाइन मजबूत, PCR यूनिट को मिली 55 नई अर्टिगा; रिस्पॉन्स टाइम में होगा सुधार

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 09:44 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को 55 नई अर्टिगा गाड़ियां मिली हैं, जिससे पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता में सुधार होगा। इन नई गाड़ियों से अपराध नियंत्रण में मदद मिलेगी। हालांकि, कैट एम्बुलेंस की धीमी प्रतिक्रिया के कारण उनकी कार्यक्षमता पर सवाल उठ रहे हैं, जिसमें सुधार की आवश्यकता है।

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    दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को मिली अर्टिगा कारें।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को 55 और नई अर्टिगा कार मिल गई हैं। इन वाहनों में जीपीएस व लाइटों के अलावा अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण लगाए जा रहे हैं। जल्द ही ये वाहन पीसीआर यूनिट को मिल जाएंगे।

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    वर्तमान में इस यूनिट में पीसीआर वैन की क्षमता 802 है। 55 अन्य वैन मिल जाने से पीसीआर वैन की क्षमता 857 हो जाएगी। इससे आने वाले समय में पीड़ितों के पास जल्द पहुंचने में मदद मिलेगी।

    पुलिस अधिकारी का कहना है कि नई दिल्ली सबसे महत्वपूर्ण जिला होने के कारण यहां सबसे अधिक पीसीआर वैन की तैनाती रहती हैं। यहां काल भी कम आती है। जिससे इस जिले में काल रिस्पांस टाइम करीब पांच से छह मिनट का है। इसके अलावा दक्षिण-पूर्वी, मध्य, उत्तरी, पूर्वी, उत्तर-पूर्वी, शाहदरा, दक्षिण-पश्चिम आदि जिले में भी काल रिस्पांस टाइम अमूमन छह मिनट की ही है।

    दक्षिण, रोहिणी, द्वारका व बाहरी-उत्तरी जिले का बड़ा इलाका होने के कारण इन इलाकों में पीसीपी वैन की सड़कों पर मौजूदगी कम दिखती है। ये नए वैन मिल जाने से इन जिलोें में तैनाती की जा सकेगी। इन इलाकोें में वर्तमान में पीसीपी वैन की संख्या कम होने के कारण काल रिस्पांस टाइम छह मिनट से अधिक है। नए वैन मिल जाने से इन इलाकों में भी काल रिस्पांस टाइम में कमी आएगी।

    कई दशक से लोगों की लाइफ लाइन

    पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा जल्द नई पीसीआर वैन, पीसीआर यूनिट को सौंपेगे। पुलिस अधिकारी का कहना है कि कई दशक से पीसीआर वैन राजधानी में लोगों की लाइफ लाइन बनी हुई है। पीसीआर वैन का काम संकट की घड़ी में पांच मिनट के अंदर पीड़ितों के पास पहुंचकर उन्हें तुरंत सहायता प्रदान करना और उनकी शिकायत सुनकर स्थानीय थाना पुलिस को मौके पर बुलाकर उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए सौंप देने का है, लेकिन पीसीआर हर वो मानवीय कृत्य भी करती है जो पीड़ितों को जरूरत होती है।

    राजधानी में कैट एम्बुलेंस की सर्विस ठीक न होने के कारण पीसीआर ही सड़क हादसे में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने से लेकर अन्य काम करती हैं। पिछले दस माह में पीसीआर ने सड़क हादसे में घायल करीब 25 हजार लोगों को अस्पताल पहुंचाने का मानवीय कृत्य किया। जिससे समय पर अस्पताल पहुंचा देने पर बड़ी संख्या में घायलों की जान बच गई।

    '112' संकट की स्थिति में डायल की जाने वाली एकल आपातकालीन नंबर है जिससे अग्नि शमन ब्रिगेड, कैट एम्बुलेंस और पुलिस जुड़ी हुई हैं। इस नंबर पर तत्काल सहायता प्राप्त करने के लिए देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 24 घंटे व सातों दिन काल की जा सकती है।

    समय से नहीं पहुंच पाती कैट एम्बुलेंस

    राजधानी में सड़क हादसे में घायल हाेने की कॉल जब 112 नंबर पर की जाती है तब पीसीआर पांच मिनट के अंदर मौके पर पहुंच जाती है, लेकिन कैट एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है, जिससे पीसीआर को ही कैट एम्बुलेंस की जिम्मेदारी निभानी है, जबकि घायलों को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी कैट एम्बुलेंस की है।

    दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि दिल्ली पुलिस कंट्राेल रूप में कैट एम्बुलेंस के कर्मचारियों की भी ड्यूटी होती है ताकि घायलों के बारे में सूचना मिलने पर काल को तुरंत कैट एम्बुलेंस के भी अतिरिक्त हेल्पलाइन नंबर 102 पर ट्रांसफर किया जा सके। लेकिन कैट एम्बुलेंस को कॉल ट्रांसफर करने पर भी वह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है। यह दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आता है।

    राजधानी में कैट एम्बुलेंस की संख्या करीब 264 है। जो दिल्ली सरकार के अस्पतालों व आसपास खड़ी रहती हैं। अधिकतर एम्बुलेंस गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने का काम करती हैं।