दिल्ली पुलिस की नई पहल, अब ‘इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क’ से एक ही जगह पर मिलेगा हर समस्या का हल
दिल्ली पुलिस ने शिकायत निवारण को सुगम बनाने के लिए हर थाने में 'इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क' शुरू किया है। यहाँ सभी प्रकार की शिकायतें दर्ज होंगी और सहायत ...और पढ़ें
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हर डेस्क पर एक महिला अधिकारी अनिवार्य रूप से की जाएगी तैनात।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। शिकायत निवारण तंत्र को अधिक जवाबदेह और सुगम बनाने के तहत दिल्ली पुलिस ने एक नई पहल की है। अब हर थाने में एक ही जगह पर हर तरह की शिकायतें दर्ज होंगी और उसी जगह से नागरिकों को सभी तरह की मदद भी मिलेगी।
इसके लिए पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा ने ‘इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क’ (एकीकृत सहायता केंद्र) शुरू करने का आदेश जारी किया है। इस नई व्यवस्था से न तो लोगों को अलग-अलग काउंटरों पर जाना पड़ेगा और न ही थानों में घंटों इंतजार करना होगा।
इसके अलावा अलग-अलग चल रही महिला सहायता डेस्क, वरिष्ठ नागरिक डेस्क, जनसहायता केंद्र और साइबर शिकायत काउंटर को मिलाकर एक ही ‘इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क’ बनाया जाएगा। यह केंद्र हर थाने में जनता और पुलिस के बीच पहला संपर्क बिंदु होगा, जहां कोई भी व्यक्ति अपनी शिकायत दे सकेगा और तुरंत उसकी एंट्री हो जाएगी। यहां आने वाले लोगों को सहायता, जानकारी और मार्गदर्शन भी मिलेगा।
पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा की ओर से जारी आर्डर के मुताबिक, हर थाने में यह डेस्क चौबीसों घंटे काम करेगा और इसे प्रशिक्षित पुलिसकर्मी संभालेंगे जिन्हें ‘इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क अधिकारी (आईएचडीओ)’ कहा जाएगा। हर डेस्क पर कम से कम एक महिला अधिकारी अनिवार्य रूप से तैनात की जाएगी ताकि महिला शिकायतकर्ताओं को सहज और सुरक्षित माहौल मिल सके।
यह अधिकारी नागरिकों को शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया बताएंगे, दस्तावेजों की जानकारी देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि हर शिकायत की स्थिति समय-समय पर अपडेट होती रहे। नई व्यवस्था में साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। अब नागरिक थाने से ही सीधे राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (साइबरक्राइम डाॅट जीओवी डाॅट इन) या सीएफसीआरएफएमएस (साइबरपुलिस डाॅट एनआईसी डाॅट इन) पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।
डेस्क पर मौजूद अधिकारी उन्हें बताएंगे कि किस तरह से साइबर अपराध, आनलाइन ठगी, बैंक खातों में हुई धोखाधड़ी या डिजिटल ब्लैकमेलिंग की रिपोर्ट दर्ज की जा सकती है। साथ ही वे यह भी बताएंगे कि बैंक खाते ब्लाक कराने या फंड रिकवरी के लिए क्या प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इसके अलावा नागरिक ‘संचार साथी ऐप’ के जरिये संदिग्ध नंबरों या साइबर अपराधों की जानकारी साझा कर सकेंगे ताकि ऐसे मामलों पर तेजी से कार्रवाई हो सके।
महिलाओं व वरिष्ठ नागरिकों को मिलेगी प्राथमिकता
महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी यह व्यवस्था वरदान साबित होगी। हर थाने में नियुक्त महिला अधिकारी यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़, वैवाहिक विवाद या घरेलू हिंसा से जुड़ी शिकायतों को प्राथमिकता से दर्ज करेंगी। वहीं वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी शिकायतों और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को तुरंत सुना जाएगा।
आदेश के मुताबिक, थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके इलाकों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों से समय-समय पर संपर्क किया जाए, उनका हालचाल लिया जाए और जरूरत पड़ने पर सहायता दी जाए। इसके लिए हर जिले में पहले से मौजूद ‘शिष्टाचार दस्ता’ (शिष्टाचार स्क्वाॅड) को भी सक्रिय भूमिका दी गई है, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मौके पर पहुंचेगा।
हर थाने के मुख्य प्रवेश द्वार पर बनाया जाएगा सहायता केंद्र
यह सहायता केंद्र हर थाने के मुख्य प्रवेश द्वार के पास बनाया जाएगा ताकि नागरिकों को आसानी से नजर आए। यहां साफ-सुथरी बैठने की व्यवस्था, पानी, कंप्यूटर, इंटरनेट, प्रिंटर और स्टेशनरी सामग्री के साथ-साथ सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे। शिकायतें इलेक्ट्रानिक और मैनुअल दोनों रूपों में दर्ज की जाएंगी और शिकायतकर्ता को तुरंत रसीद नंबर दिया जाएगा।
शिकायत की स्थिति समय-समय पर मैसेज, काल या ई-मेल के जरिये बताई जाएगी। दिल्ली पुलिस ने इस व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए जिम्मेदारियां भी तय की हैं। थाना प्रभारी यह सुनिश्चित करेंगे कि ‘इंटीग्रेटेड हेल्प डेस्क’ हमेशा सक्रिय रहे और वहां तैनात कर्मी पूरी जिम्मेदारी से काम करें।
वहीं जिले के एसीपी हर पखवाड़े इस केंद्र की समीक्षा करेंगे और उपायुक्त को रिपोर्ट देंगे। उपायुक्त स्तर पर मासिक समीक्षा की जाएगी। इसके साथ ही आईएफएसओ यूनिट तकनीकी दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण का कार्यभार संभालेगी, जबकि दिल्ली पुलिस अकादमी नागरिक व्यवहार और शिकायत निस्तारण पर प्रशिक्षण देगी।

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